अतिरिक्त आय के लिए गन्ने के साथ दलहन, तिलहन एवं औषधीय फसलों के प्रयोग को बढ़ावा दे


लखनऊ : प्रदेश के आयुक्त गन्ना एवं चीनी संजय आर भूसरेड्डी द्वारा सभी गन्ना परिक्षेत्रों को सहःफसली खेती के संबंध में विस्तृत दिशा - निर्देश जारी किये गये है । इस संबंध में जानकारी देते हुए  भूसरेड्डी द्वारा बताया गया कि प्रदेश मे गन्ना किसानों की आय दोगुनी किये जाने हेतु गन्ना विकास विभाग द्वारा विविध कार्यक्रम संचालित कर गन्ना किसानों को इस तथ्य से अभिप्रेरित किया जा रहा है कि सहफसली खेती के द्वारा फसलों की विविधता सुनिश्चित होती है , जिससे गन्ने की उत्पादन लागत में कमी आती है , साथ ही दलहन , तिलहन , औषधीय फसलों जैसी स्थानीय बाजार में अधिक मांग वाली फसलों की सहःफसली खेती से गन्ना कृषकों की आय में वृद्धि भी सुनिश्चित होती है ।  भूसरेड्डी ने बताया कि स्थानीय बाजार की मॉग के अनुरूप बसन्तकाल में उरद , मूंग , खीरा , लौकी आदि की बुवाई कर दोहरा लाभ प्राप्त किया जा सकता है ।


वर्तमान परिदृश्य के दृष्टिगत यह उचित प्रतीत होता है कि गन्ने के साथ परम्परागत सहःफसली के अतिरिक्त औषधीय फसलें यथा - हल्दी , तुलसी , एलोवेरा , व लहसुन आदि को स्थानीय आवश्यकता एवं वातावरण के अनुरूप सहःफसली के अन्तर्गत सम्मिलित किया जाए । जिससे कृषकों की आय में निश्चित रूप से सार्थक वृद्धि होगी । उन्होने यह भी बताया कि गन्ने के साथ सह - फसली खेती के अन्तर्गत तुलसी का रोपण जुलाई में तथा एलोवेरा का रोपण वर्षा समाप्ति के बाद करना उचित है । इसी प्रकार शरदकालीन गन्ना बुवाई के अन्तर्गत लहसुन की बुवाई सितम्बर से नवम्बर तक की जा सकती है । प्याज की खेती को भी स्थानीय बाजार मॉग एवं वातावरण के अनुरूप गन्ने के साथ सहःफसली के रूप में शरदकाल में अक्टूबर नवम्बर माह में रोपण करके सफलता प्राप्त की जा सकती है ।