राहुल यादव/लखनऊ। सोमवार को अखिलेश यादव ने गोरखपुर में जनवरी 2019 से अक्टूबर 2019 के बीच 1500 से ज्यादा बच्चों के बीमार पड़ने पर असल अकडों से छेड़छाड़ करने पर उत्तर प्रदेश सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि कैंसर के बारे में मैं एक ही बात कह सकता हूं कि कोई भी धर्म कैंसर का इलाज नहीं कर सकता। क्यों की बहुत से बीजेपी वालों कि भी जान कैंसर के कारण गई है। बीजेपी वाले भी ये बात अच्छे से समझ लें। बीजेपी के लोग जो धर्म की ज्यादा बात करते हैं मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि वो कौन सा धर्म है जो कैंसर का इलाज कर सकता है। मैं पहले भी इस बात को बोल चुका हूं कि कैंसर का इलाज तभी हो सकता है जब डॉक्टर अच्छे होंगे, दवाइयां अच्छी होगी, मशीन अच्छी होगी, इंस्टीट्यूट अच्छे होंगे।
तब जाकर के कैंसर का इलाज होगा। लेकिन बीजेपी के लोग सोचते है कि धर्म से ही कैंसर का इलाज होगा। धर्म से तो सर के दर्द का भी इलाज नहीं होगा। ये तो कैंसर का इलाज है। हमारी सरकार के दौरान मैंने एक प्राइवेट संस्थान के डॉक्टर से कहा था कि मैं आप से बेहतर सरकार के इंस्टीट्यूट बना कर के दिखाऊंगा और आज उत्तर प्रदेश ही नहीं देश का सबसे अच्छा और बेहतर कैंसर इंस्टीट्यूट अगर कोई है तो आपके लखनऊ का होगा।
अखिलेश यादव बोल कि केंद्र सरकार ने धमकी भरे लहजे में एक पत्र हमारी सरकार के समय भेजा था कि अगर ऐम्स अस्पताल के लिए गोरखपुर में जमीन उपलब्ध नहीं होगी तो ये ऐम्स किसी और प्रदेश को दे दिया जाएगा। तो उस समय जो सबसे कीमती जमीन जो अधिकारी नहीं देना चाहते थे तब उस जमीन को हमने ऐम्स के लिए दिया था और यही नहीं जो हेल्थ इंफॉर्मेशन सिस्टम बनाया था कि यदि कोई बच्चा पीएससी या सीएससी में आता था तो उसकी बीमारी व दवाई सरकार की जानकारी में आ जाती थी।
सपा प्रमुख ने कहा कि एक अस्पताल समाजवादी सरकार में बना आज उस में पैसा लग रहा है हमारी सरकार होती तो आज भी मुफ्त इलाज मिल रहा होता। और इन्होंने उस का नाम बदल दिया इन्हें लगता है कि नाम बदल दो तो मेडिकल कॉलेज चल जाएगा। हमे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप ने किस का नाम रखा, हम तो बस यह चाहते हैं कि यदि आप उनका सम्मान करना चाहते हैं तो आप खुद अपना बनवाइए और उस पर नाम लगवा दीजिए। उत्तर प्रदेश में नाम बदलने की गलत परंपरा ना डालें।
अखिलेश बोल कि जानकारी में आया है कि हाई कोर्ट के बगल में एक बिल्डिंग है उसका भी नाम बदलने की तैयारी की जा रही है। अभी तो हमारे बहुत से काम हैं जिसके नाम बदलने में ही आप का बहुत सा समय निकाल जाएगा।
अखिलेश ने कहा कि सरकार ने मृतक बच्चों की संख्या को कम दिखाने की कोशिश की उस समय भी तत्कालीन स्वस्थ मंत्री (सिद्धार्थ नाथ सिंह) ने तो यहा तक कहा कि बीमारी व बुखार से बच्चों का मरना कोई नई बात नही है। हर साल अगस्त के महीने में दिमागी बुखार से बच्चे मरते ही हैं। बीमारी की वजह से इतनी बड़ी संख्या में बच्चों कि मौत के बाद ये मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया था। इस मुद्दे पर बहस छिड़ गई थी। तब आदरणीय मुख्य मंत्री ने मृतक बच्चों के परिजनों को सांत्वना देने के बजाय कहा था कि जो लोग बच्चे पैदा करते हैं वो खुद ही उनकी देखभाल भी करें सरकार की इसकी कोई जिम्मेदारी नहीं।
अखिलेश ने नाराजगी जताते हुए कहा कि डॉक्टर जानते हैं कि बच्चों को क्या बीमारी है पर बताते नहीं है क्यों कि सरकार का दवाब है कि अकड़े ठीक होने चाहिए। तो उसको दूसरा नाम देकर के एक्यूट फेवेराल इलनस के नाम पर इलाज शुरू कर दिया जाता है। हमारा आरोप ये है कि जो बीमारी है उसका इलाज डॉक्टर व सरकार नहीं कर रही है। डॉक्टर सरकार के इशारे पर काम नहीं कर रहे हैं। क्यों कि सरकार अपने अकड़ो को खराब नहीं करना चाहती।
नहीं भरेंगे एनपीआर,मांगेंगे हम रोजगार-अखिलेश
इसलिए देश सच्चाई जने इसलिए गोरखपुर मेडिकल कॉलेज जो सरकार के ही अकड़े हैं।
इसलिए भाजपा सरकार ने एक बहुत ही घृणित व अमानवीय कार्य किया है जिसे जानकर पूरी मानवता कांप उठेगी। जनवरी 2019 से अक्टूबर 2019 के गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के अकड़े बताते हैं कि गोरखपुर में दिमागी बुखार से पीड़ित बच्चो की वास्तविक संख्या 1500 से अधिक थी जबकि उत्तर प्रदेश सरकार ने बीमारी से पीड़ित बच्चो की संख्या 500 से भी कम दिखाई है। गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में हुई बच्चो की मौतों की जांच हो और जांच सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट के जजों से कराई जाए। भाजपा कभी सच नहीं बोलती, वह झूठी पार्टी है। दंगों से किस को लाभ मिलता है।