गोरखपुर में ही भ्रष्टाचारियों से जूझ रहे भाजपा विधायक के छूट रहे पसीने!

मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृहक्षेत्र गोरखपुर में भाजपा के शहर विधायक और भ्रष्टाचारियों की तिकड़ी (अभियंताओं/अधिकारियों/ठेकेदारों) में आर-पार का जंग छिड़ गया है। मुख्यमंत्री के लखनऊ अथवा गोरखपुर किसी भी कार्यालय की ओर से अभी तक कोई संज्ञान न लेने से विपक्षी तरह-तरह से चुटकी ले रहे हैं, जनता भी सोचने पर मजबूर हो चुकी है कि क्या योगिराज में भी भ्रस्टाचारियों की तिकड़ी अपराजेय रहेगी? शहर विधायक डा राधा मोहन दास अग्रवाल ने अपने विधानसभा क्षेत्र में हो रहे विभिन्न कार्यों की जांच करवानी चाही तो ठेकेदारों, इंजीनियरों को यह नागवार लगा। ठेकेदार काम बंद करने और इंजीनियर हड़ताल पर जाने लगे। इसके जवाब में विधायक डॉ राधामोहन दास अग्रवाल ने लिखित बयान जारी किया। जिसमें उन्होंने लिखा है कि "वर्ष 2002 से नागरिकों ने हमें अपना विधायक बनाया हुआ है, हमारी जिम्मेदारी सिर्फ उनसे है । किसी अभियंता या अधिकारी से कतई नहीं है। जब नागरिकों का जीवन कोई अभियंता नरक करेगा या उसके पैसे में भ्रष्टाचार करेगा तो हम हमेशा खडा रहते हैं और आगे भी रहेंगे। आज ये हमारे गुस्से से नाराज हैं तो हमारे गुस्सा होने के पहले पचासों हजार नागरिकों का जीवन नारकीय क्यों किया ? जमीन में फटी हुई घटिया पाईपें डाल दी और बिना गुस्सा हुए हमने पकड लिया तो कार्यवाही क्यो नही की ? दो साल से सीवर लाईन डालने के नाम पर 15 मोहल्लों की सारी सडके तोड डाली, महिलायें पैर तुड़वा कर महंगे नर्सिंग होम में इलाज करा रही,10 महीने पहिले हमने निरीक्षण किया और विधानसभा में सवाल उठाया तो कान में तेल डालकर क्यों बैठे रहे? आज जब उच्च-स्तरीय जांच टीम आ गई तो अवकाश/ हडताल की धमकी देकर बचना चाहते हैं। देवरिया रोड पर नाला बना रहे, एक किमी दूरी पर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट है ,उसमें नाला न मिलाकर 6 किमी दूर तुर्रा नाले में बिना रेगुलेटर के मिला रहे हैं। राप्ती नदी के बाढ़ में डुबाने की योजना बना रहे और मैं चुप रहूँ?  आखिर  विधायक किसलिये हूँ? हमारे आचरण, व्यवहार और शब्द-कोश के बारे में पूरा शहर जानता है। इनकी संवेदनहीनता और भ्रष्टाचार से त्रस्त नागरिक मुझे भला-बुरा कह रहे हैं, इसमें उनकी कोई गलती नहीं है। लेकिन मैं इन्हें कबतक झेलूं। सत्ता का विधायक होने के बावजूद अपने राजनैतिक भविष्य को खतरे में डालकर दो बार विधानसभा में उठा चुका, अब क्या करू? इनके पैर छूकर इन्हें माला पहनाऊ और नागरिकों का जीवन नारकीय करने के लिए धन्यवाद दूँ। हमने जांच टीम को बयान दिया था कि अगर सारी फटी हुई पाईपें बदल दी जाये और सारी सडके पहले की तरह बनाने को विभाग तैयार हो जाये तो मैं एक बार सारी लापरवाही और भ्रष्टाचार भूल सकता हैं। लेकिन नागरिकों के जीवन के साथ खिलवाड़ कतई बर्दाश्त नहीं कर सकता हूँ। अपनी परिश्रमी, ईमानदारी वाली छवि के जनहित में लड़ाकू रहने वाले विधायक को भ्रस्टाचारियों को दंड दिलाने में जब कामयाबी मिलती नहीं दिखी तो विधायक ने सशर्त समझौते का प्रस्ताव दिया।