कुशीनगर में कोरोना से लड़ने के लिए मात्र 95 रुपये में बना पीपी किट, बिना मुनाफा देने को तैयार हैं निर्माता सुभाष अग्रवाल


मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। कोरोना से जंग में पर्सनल प्रोटेक्शन(पीपी) किट की कमी से जूझ रहे स्वास्थ्य विभाग के लिए अच्छी खबर है। कुशीनगर की संस्था ने मात्र 95 रुपए में पीपी किट तैयार कर दिया है। इस किट को बीआरडी मेडिकल कालेज के माइक्रोबॉयोलॉजी विभाग ने मंजूरी दे दी। संस्था अपने लागत मूल्य पर किट को मुहैया कराने को तैयार हो गई है। यह बाजार मूल्य से 90 फीसदी सस्ता है। कोरोना संक्रमण मरीजों के इलाज में बहुत जगह सरकारी अस्पताल संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं। इस सबसे ज्यादा मांग पीपी किट की है। यह किट डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टॉफ को वायरस के संक्रमण से भी बचाती है। इस किट में व्यक्ति सिर से लेकर पैर तक ढका रहता है। शासन इस किट को देश की नामी कंपनियों से करीब 1100 रुपए में खरीद रही है। कुशीनगर के पडरौना में स्थित फर्म रंगोली टेक्सटाइल्स ने स्वास्थ्य विभाग की समस्या को दूर करने की पहल भी किया है। फर्म ने नॉन वुवेन फैब्रिक से पीपी किट का निर्माण किया है। इसमें मॉस्क, गाउन, हेड-कवर और शू-कवर शामिल है। इसकी लागत मात्र 95 रुपए बताया जा रहा है। फर्म के संचालक सुभाष अग्रवाल ने दोपहर का सामना को बताया कि पीपी किट का डिमान्ट्रेशन बीआरडी मेडिकल कालेज के माइक्रोबॉयोलॉजी विभाग में कराया। विभाग की टीम ने इसकी पूरी तरह से जांच किया उसके बाद इसे वार्ड के उपयोग में कारगर करार दिया। इसको लेकर उन्होंने कंपनी को पत्र भी सौंपा है।अब वह कोरोना की जंग में अपना योगदान देना चाहते हैं। वैसे तो हम ड्रेस सिलते हैं लेकिन ज्वाइंट मजिस्ट्रेट अभिषेक पांडेय, परियोजना निदेशक संजय पांडे व मुख्य विकास अधिकारी कुशीनगर की प्रेरणा से वह इस पीपी किट का निर्माण किये हैं, कोरोना की जंग में उनकी भी सेवा का योगदान हो इस लिए अब वह बिना कोई मुनाफा कमाये सरकार को मात्र लागत मूल्य पर देना चाहते हैं। लागत मूल्य के साथ क्रेता को जीएसटी भी देना होगा। उनकी मानें तो यह शासन द्वारा खरीदे जा रहे पीपी किट से करीब 90 फीसदी सस्ता है। नॉन वुवेन फैब्रिक होने के कारण यह टिकाउ भी है।उन्होंने जिलाधिकारी कार्यालय में अपने बनाये किट के साथ अपने बेटे अंकित अग्रवाल को भेजा, जिसे आपदा प्रबंधन के बाबू ने पहन कर किट का प्रदर्शन किया।