सुरक्षित ट्रेन संचालन की रीढ़ की हड्डी "ट्रैक मैन्टैनेर"


लखनऊ।


लखनऊ मंडल के ट्रैक पर पैदल चलने वाले ये जांबांज सिपाही जिनके मेहनत के पसीने से इस विकट परिस्थितियों में भी आवश्यक वस्तुओं का आवागमन मालगाड़ियों से किया जा रहा है। इसकी महिमा गुमनाम है। जहां करोना नाम कि महामारी ने सबको अपने घर पर सीमित कर दिया है, ये सिपाही चुपचाप भरी गर्मी में ट्रैक का अनुरक्षण कर रहे हैं।  ये गुमनाम सिपाही ट्रैक मेनटेनर हैं। 
मालगाडियों के सुरक्षित संचालन के लिए ये सेना सुबह से शाम तक लगी रहती है . नाना प्रकार के काम जैसे ड्रेसिंग, बॉक्सिंग, वेल्डिंग , ओवरहालिंग जैसे कार्य ना केवल सोशल डिसटेनसिंग बना के कर रहे हैं अपितु अपनी स्वच्छता का भी ध्यान रख रहे हैं.  मास्क, दस्ताने पहन कर 50 डिग्री के तापमान पर कार्य करना किसी भट्टी से सामने काम करने जैसा है परन्तु इनका हौसला तनिक भी डिगा नहीं है .अपने कंधे पर दस किलो के औज़ार के साथ 5 किलोमीटर चल कर ट्रैक की मरम्मत और देख रेख निरंतर कर रहे हैं। 
 मंडल रेल प्रबंधक, उत्तर रेलवे, लखनऊ  संजय त्रिपाठी का कहना है कि ये ट्रैक मैन्टैनेर वो रीढ़ कि हड्डी हैं जिनके दम पर ट्रेनों का संचालन निर्बाध रूप से हो रहा है । ऐसे मेहनती और परिश्रमी ट्रैक मैन्टैनेरों को शीघ्र ही पुरस्कृत किया जायेगा।