आंकड़ेबाजी के बजाय संक्रमितों का सही इलाज करे सरकार - रामगोविन्द चौधरी


नेता प्रतिपक्ष रामगोविन्द चौधरी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख सरकार को कोविड - 19 पर लचर व्यवस्था और उसके  भयावह दुष्परिणामों को लेकर चेताया है।  सपा नेता ने कहा कि करोना महामारी के चलते लॉक डॉउन के कारण में 10 लाख से अधिक प्रवासी कामगार व श्रमिक भी पहुंच रहे हैं। अधिकांश प्रवासी ऐसे स्थानों से आ रहे हैं , जहाँ कोविड - 19 का प्रभाव व्यापक स्तर पर है । जिससे कोविड-19 से ग्रसित लोगों की संख्या काफी होना स्वाभाविक है।  


पूरे प्रदेश में प्रतिदिन केवल 2100 लोगों की ही जॉच हो पा रही है जिसमें लगभग 100 मरीज रोज पाजिटिव मिल रहे हैं। हमें रूस से सीख लेनी चाहिए जिसने 03 हफ्ते के भीतर 33 लाख से ज्यादा टैस्ट करके लगभग एक माह के अन्दर एक लाख केस उजागर कर लिए । 

मेरे संज्ञान में आया है कि उत्तर प्रदेश में जानबूझकर वास्तविक संक्रमितों की संख्या छुपाई जा रही है , जॉच की स्थिति बहुत ही निराशाजनक है । यहाँ तक कहा जा रहा है कि वास्तविक आंकड़े छिपाने के लिए प्रशासन चुपचाप अंतिम संस्कार भी कर रहा है । यदि यह खबरें सही हैं तो बेहद खतरनाक एवं आत्मघाती हैं । कोरोना से मौतों को जो छिपा रहे हैं , वो समाज के दुश्मन हैं । आंकड़ों के खेल से संक्रमितों की संख्या छिपाने से कोरोना नहीं जायेगा उल्टे और भयंकर स्थिति उत्पन्न हो जायेगी । 

 

 

लाकडाउन के चलते लाखों प्रवासी कामगारों व श्रमिकों के सामने रोजी - रोटी की समस्या उत्पन्न हो गयी है । सरकार ने घोषणा की थी कि इन्हें निःशुल्क घर वापसी की व्यवस्था की जायेगी , परन्तु यह गरीब , बेवस मजदूरों के साथ केवल धोखा साबित हुआ है । अभी दो दिन पहले रेलगाड़ियों से भेजे जाने वाले लोगों से दोगुना - तीन गुना तक किराया वसूला गया है जो बहुत ही निन्दनीय है । यदि सरकार सहायता फण्ड में करोड़ों रूपये रहते दिवालिया हो गयी है , तो समाजवादी पार्टी इन प्रवासी मजदूरों का किराया वहन करने के लिए तैयार है ।
 

 दूसरे राज्यों से उत्तर प्रदेश में कितने प्रवासी कामगार आयेंगे , उनको 14 दिनों तक कहा - कहाँ क्वारंटीन किया जायेगा , इसका सही आंकलन अभी तक नहीं हो सका है । पैदल आने जाने वाले गरीब प्रवासियों के साथ प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा घोर अमानवीय व अभद्रता का व्यवहार किया जा रहा है । इसके अलावा प्रवासियों को क्वारिंटीन के लिए किसी स्कूल या भवन में स्थानीय लोगों या ग्राम प्रधानों के सहारे छोड़ दिया जा रहा है , यहाँ न बच्चों के लिए दूध , न खाने की व्यवस्था हो पा रही है , न उनके लेटने - बैठने की सही व्यवस्था हो पा रही है । सरकार का यह दायित्व है कि उनके आवास , भोजन चिकित्सा की सही व्यवस्था करें । इन क्वारेन्टाइन सेक्टरों पर इन्तजाम न के बराबर हैं । उनके लिए रोजगार सृजन का दायित्व निर्वहन सरकार को शीघ्र करना चाहिए । वर्तमान लचर व्यवस्थाओं और योजनाविहीन तरीकों से यह संभव हो पाना मुश्किल है इसके लिए सरकार को गरीब मजदूरों के हित की दृढ़ इच्छाशक्ति रखनी होगी , जो अभी तक परिलक्षित नहीं हो रही है । उन्होंन मुख्यमंत्री को कहा कि प्रवासी कामगारों व श्रमिकों के घर वापसी की निःशुल्क व्यवस्था हो , क्वारेन्टाइन सेन्टरों में बेहतर व्यवस्थाएं हो , जॉच प्रणाली को व्यापक किया जाय , आंकड़ेबाजी के बजाय जनता के सामने सही आंकड़े लाकर संक्रमितों का सही ईलाज किया जाय ताकि भयावह स्थिति उत्पन्न न हो ।