अखिलेश यादव ने कहा है कि अब किसी को इसमें रत्तीभर भ्रम नहीं रह गया है कि भाजपा सरकार अमीरों के लिए, अमीरों के हितों के पोषण के लिए और गरीब, किसान तथा मजदूर के खिलाफ है। हाल के भाजपा सरकार के निर्णयों से साफ हो गया है कि उसकी नीतियों के फलस्वरूप देश में अमीर-गरीब की खांई ज्यादा चौड़ी होगी तथा देश अराजकता की दिशा में चलता दिखाई देगा।
यह कौन सा किसानों के हित की घोषणा है कि किसानों को कर्ज लेने के लिए कहा जा रहा है। बे-मौसम वर्षा-ओलावृष्टि से उसकी फसल बर्बाद हुई, गेंहू का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिला, गन्ना किसान बदहाल है, बैंक और साहूकार ब्याज पर ब्याज वसूलते जा रहे है, खेती के काम आने वाले उपकरण और अन्य सामग्री सब मंहगी है, ऐसे में क्या वह और कर्ज लेकर फांसी के फंदे से बच पायेंगे?
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, आज का समय भविष्य की हवा हवाई बातों का नहीं, किसानों-गरीबों को तत्काल मदद और राहत देने का है। भाजपा सरकार के पैकेज की जैसे-जैसे परतें खुलती जा रही हैं, वैसे-वैसे इनका खोखलापन भी सामने आ रहा है। भाजपा ने कोई पैकेज नहीं दिया, जुमलों का पिटारा खोल दिया है। भूख से मर रहे है बेरोजगारी के शिकार बिना इलाज बेहाल है। बच्चों के भविष्य का क्या होगा? श्रमिकों की रोज जान जा रही है। आज भी जालौन, बहराइच, जौनपुर में श्रमिकों की मौत हो गयी, सैकड़ों घायल हैं। यह कम साहसिक कदम नहीं है कि सैकड़ों किलोमीटर महिलायें, बच्चें और लाचार श्रमिक पैदल ही अपनें गांवों की ओर निकल पड़े, क्या यही आत्मनिर्भर भारत का प्रारम्भिक परिचय का भयावह दृश्य है?
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, आज का समय भविष्य की हवा हवाई बातों का नहीं, किसानों-गरीबों को तत्काल मदद और राहत देने का है। भाजपा सरकार के पैकेज की जैसे-जैसे परतें खुलती जा रही हैं, वैसे-वैसे इनका खोखलापन भी सामने आ रहा है। भाजपा ने कोई पैकेज नहीं दिया, जुमलों का पिटारा खोल दिया है। भूख से मर रहे है बेरोजगारी के शिकार बिना इलाज बेहाल है। बच्चों के भविष्य का क्या होगा? श्रमिकों की रोज जान जा रही है। आज भी जालौन, बहराइच, जौनपुर में श्रमिकों की मौत हो गयी, सैकड़ों घायल हैं। यह कम साहसिक कदम नहीं है कि सैकड़ों किलोमीटर महिलायें, बच्चें और लाचार श्रमिक पैदल ही अपनें गांवों की ओर निकल पड़े, क्या यही आत्मनिर्भर भारत का प्रारम्भिक परिचय का भयावह दृश्य है?
घर लौट रहे उन बेबस मजदूरों के लिए कोई इंतजाम नहीं है, जो सड़कों पर भूखें प्यासे मरने को मजबूर हैं। भाजपा सरकार अब भेदभाव और विद्वेष के चलते गरीबों, मजदूरों को राशनपानी-भोजन की मदद देने वाले समाजवादी कार्यकर्ताओं पर मुकदमें दर्ज कर रही है और उन्हें राहत कार्य करने से रोक रही है। मेरठ, बुलंदशहर और कई अन्य जनपदों से ऐसी शिकायतें मिल रही है। मोदी किचन, कम्यूनिटी किचन और आरएसएस भण्डारा का परस्पर सम्बंध क्या है?
मुख्यमंत्री तो प्रवचन देते हैं कि प्रवासियों का अपमान न हो पर उनके अधिकारी गरीब को अपमानित करने का मौका नहीं चूकते हैं। आगरा के डीएम साहब को एक मजबूर की बेबसी पर अपने बचपन का मनोरंजन याद आता है। कई जगह गरीबों से पुलिस वालों ने ही वसूली कर डाली। लगता है कई अफसरों के आंखों का पानी मर गया है। क्या मुख्यमंत्री ऐसे नाकारा, संवेदनशून्य अफसरों पर तत्काल कड़ी कार्यवाही करेंगे?
मुख्यमंत्री तो प्रवचन देते हैं कि प्रवासियों का अपमान न हो पर उनके अधिकारी गरीब को अपमानित करने का मौका नहीं चूकते हैं। आगरा के डीएम साहब को एक मजबूर की बेबसी पर अपने बचपन का मनोरंजन याद आता है। कई जगह गरीबों से पुलिस वालों ने ही वसूली कर डाली। लगता है कई अफसरों के आंखों का पानी मर गया है। क्या मुख्यमंत्री ऐसे नाकारा, संवेदनशून्य अफसरों पर तत्काल कड़ी कार्यवाही करेंगे?