हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में उत्तर मध्य रेलवे मुख्यालय में 14 सितंबर से आयोजित राजभाषा पखवाड़े के अंतर्गत 28 सितंबर को हिंदी कार्यशाला का आयोजन किया गया है। कार्यशाला में मुख्य राजभाषा अधिकारी एवं प्रधान मुख्य वाणिज्य प्रबंधक महेन्द्र नाथ ओझा ने कहा कि हिंदी सदैव से ही गतिशील एवं ग्रहणशील भाषा रही है। भारत के संविधान में हिंदी को देश की सामासिक संस्कृति की अभिव्यक्ति का माध्यम बनाने की परिकल्पना की गई है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का भी यही सपना था। इस परिकल्पना को साकार बनाने के लिए संविधान की अष्टम अनुसूची में शामिल सभी भारतीय भाषाओं के शब्दों और अभिव्यक्तियों को इसमें शामिल किया जाना चाहिए। मीर, गालिब, तुलसीदास जैसे महान रचनाकार इसी साझी भाषिक परंपरा के प्रतिनिधि हैं। उन्होंने कहा कि हिंदी का निर्माण अत्यधिक उतार-चढ़ाव भरे इतिहास प्रवाह में हुआ है। अत: आधुनिक ज्ञान विज्ञान में हिंदी को बढ़ाने के लिए किए जा रहे प्रयासों के बीच हमें इतिहास और वर्तमान दोनों से सीख लेनी चाहिए और सूझ-बूझ एवं तालमेल की भावना का परिचय देना चाहिए। इस क्रम में श्री ओझा ने कहा कि राजभाषा की संपूर्ण संवैधानिक एवं वैधानिक परंपरा में जिन पहलुओं पर विशेष बल दिया गया है, उनका अपना विशिष्ट महत्व है और उनमें निहित प्रवृत्तियों एवं उद्देश्यों को ध्यान में रखकर राजभाषा का प्रयोग प्रसार बढ़ाया जाना चाहिए। ओझा ने कर्मचारियों द्वारा हिंदी में किए जा रहे कार्यों की प्रशंसा की और उनसे अपील की कि हिंदी में शब्दावलियों पर निर्भरता कम करके बोलचाल और आमफहम के शब्दों का प्रयोग करना चाहिए। ओझा ने बताया कि हिंदी को लेकर दक्षिण भारत के निवासियों के बारे में प्रचारित धारणाएं सही नहीं हैं और हिंदी फिल्मों, उनके संवाद और गीतों के कारण तमिलनाडु जैसे प्रांत में भी हिंदी काफी लोकप्रिय है और परिस्थितियाँ काफी बदली हैं। भाषांतर और रूपांतर की प्रक्रिया चुनौतीपूर्ण है और यह बहुत ही जिम्मेदारी का कार्य है। भाषांतर और भाषिक अनुप्रयोग कोई यांत्रिक प्रक्रिया नहीं है। इसमें संबंधित भाषाओं के ज्ञान की गहराई, अनुभूति, संवेदना तथा सौंदर्य चेतना की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
कार्यक्रम के प्रारंभ में महेन्द्र नाथ ओझा ने माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलित कर कार्यशाला का शुभारंभ किया। कार्यशाला में वरिष्ठ राजभाषा अधिकारी चन्द्र भूषण पाण्डेय ने कर्मचारियों को राजभाषा की संवैधानिक एवं विधिक संरचना की जानकारी दी। राजभाषा अधिकारी यथार्थ पाण्डेय ने सरकार की राजभाषा नीति और मीडिया में प्रयोग किए जा रहे नए शब्दों और उनके अभिप्राय की विस्तृत जानकारियां प्रदान की। कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के कर्मचारी उपस्थित थे।