चुनाव में भी चुनौती बने बेलगाम अपराध

चुनाव में भी चुनौती बने बेलगाम अपराध



 


भोपाल में बीते बुधवार दिनदहाड़े 12 साल की नाबालिग बच्ची के साथ दुष्कर्म होता है और उसके बाद हत्या कर उसे पहाड़ी से नीचे फेंक दिया जाताहै! यह सबकुछ 45 मिनट में ही हो जाता है! और, पुलिस को भोपाल में ही घूम रहे आरोपित को तलाशने में साढ़े तेरह घंटे लग जाते हैं। यह है राज्य की राजधानी के जरिए दिख रहा मध्य प्रदेश की कानून-व्यवस्था का वो खौफनाक चेहरा, जो घट रहे अपराधों से भी ज्यादा भयावह है। आचार संहिता के दौरान पुलिस की उपस्थिति-सख्ती चर्चा का विषय होती है। कई उदाहरणों के साथ बार-बार यह स्थापना भी सामने आती है कि यही दौर होता है, जिसमें पुलिस-प्रशासन जनप्रतिनिधियों से ज्यादा ताकतवर हो जाता है। लेकिन, चिंताजनक यह है कि इसी दौरान कई कस्बों, जिलों और शहरों की घटनाओं ने पुलिस-प्रशासनिक नुमाइंदों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इंदौर में आए दिन नशे की हालत में आपराधिक तत्व राह चलते लोगों पर चाकू चला रहे हैं। चर्चा तब ज्यादा हो जाती है, जब काम से लौटते समय एटीएम से रुपए निकालकर घर जाते एलआईसी एजेंट की बीच सड़क पर हत्या कर दी जाती है। पूछताछ में पता चलता है कि आरोपित इतने नशे में था कि उसे होश ही नहीं रहा कि वह किसके पीछे भाग रहा था और किसे चाकू मार रहा था। आठ अप्रैल की सुबह जबलपुर के बीच बाजार में कांग्रेस महासचिव दिनेश गोस्वामी को दो युवकों ने गोली मार दी। गोली कान से पास से निकल गई लेकिन पूरे इलाके में फैली दहशत ने यह संदेश जरूर दे दिया कि इस अराजकता के खिलाफ उठ रही आवाज पुलिस के कानों तक कब पहुंचेगी ? ग्वालियर अंचल में लूटपाट की घटनाएं भी बरकरार हैं ।समय की सुई को अब जरा-सा पीछे ले जाते हैं। करीब छह महीने पहले वर्तमान मुख्यमंत्री (तब के कांग्रेस अध्यक्ष) कमलनाथ ने भाजपा सरकार के खिलाफ40 दिन-40 सवाल अभियान के तहत तीसरा सवाल प्रदेश की बदहाल कानून-व्यवस्था को लेकर ही किया था। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) का हवाला देते हुए उन्होंने बताया था मध्य प्रदेश में 2004 से 2016 में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 74 99: वृद्धि हुई नाबालिग बच्चियों के साथ बलात्कार 249: बढ़ गए महिलाओं के अपहरण की घटनाओं में 755: की वृद्धि हुई। 13 साल में अराजक तत्वों, अवसाद और आर्थिक तंगी की वजह से 27 हजार 457 महिलाओं ने आत्महत्या कर ली। 93 हजार 479 महिलाएं छेड़छाड़ का शिकार हुईं । बहनों के साथ अन्याय में 1168: बढ़ोतरी हुई। मामा के राज में मप्र में 32: नाबालिग बच्चियों की शादी होती है। अब सरकार बनने के बाद कमलनाथ सरकार के गृह मंत्री बाला बच्चन का विधानसभा में दिया गयाजवाब भी देखिए - मध्य प्रदेश में कांग्रेस के शासनकाल में दो महीने से अधिक समय (नवंबर 2018 से जनवरी 2019 तक) में हत्या, लूटपाट और महिलाओं पर अत्याचार के 12000 से भी ज्यादा मामले सामने आए, जिनमें महिलाओं पर अत्याचार के सबसे ज्यादा 6310 प्रकरण शामिल हैं। एक अन्य सवाल के लिखित जवाब में गृह मंत्री ने बताया कि 15 दिसंबर 2018 से 22 जनवरी 2019 तक के अंतराल में कुल 179 हत्याएं और 410 दुष्कृत्य के मामले दर्ज हुए हैं। इस अवधि में चोरी के पांच हजार 467, लूटपाट के 213 और डकैती के तीन मामले भी दर्ज हुए। राजधानी भोपाल में महिला अत्याचार के सर्वाधिक 445 मामले सामने आए। उज्जैन में यह संख्या 348, ग्वालियर में 325, धार में 296 और इंदौर में 265 रही उल्लेख की गई अवधि में सबसे ज्यादा 776 चोरियां भी राजधानी भोपाल में दर्ज हुईं। इंदौर में ये आंकड़ा 671 रहा। हत्या के मामले में इंदौर सबसे आगे है। यहां 21, ग्वालियर में 16, भोपाल में 15 और सागर में 14 केस दर्ज हुए। इन आंकड़ों में बीते तीन महीने में हुए अपराधों के आधिकारिक आंकड़े शामिल नहीं हैं। लेकिन, पराना संदर्भ यह बताने के लिए कार्फ हैं कि मध्य प्रदेश में अपराधों ने किस निरंकुशता के साथ पैर जमा लिए हैं। आश्चर्य की बात यह है कि चुनावी माहौल में भी सभी राजनीतिक दल चप हैं। जबकि, विपक्ष में खड़ी भाजपा के लिए प्रश्न पूछने का मौका है। इस अधिकारपूर्वक अपेक्षा के साथ कि जो कार्य वे स्वयं नहीं कर पाए, उस कसौटी पर अपने विरोधी दल को कैसे परखेंगे ? दरअसल, राजनीतिक दल भी रंगकर्म करते हैं लेकिन वह कभी असरदार नहीं दिखता! मध्य प्रदेश की बिगड़ती कानून-व्यवस्था के खिलाफ बीती जनवरी में भाजपा ने सभी जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन कर प्रदेश सरकार के पुतले फूछे थे। राज्य में सत्ता बदलाव के बाद कानून-व्यवस्था पर बात करते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने कहा था - प्रदेश में कानून व्यवस्था के हालात गंभीर रूप लेने लगे हैं। भोपाल में पुलिस पार्टी पर पथराव, इंदौर में कारोबारी संदीप अग्रवाल की हत्या, मंदसौर में नगरपालिका के अध्यक्ष प्रहलाद बंधवार की बीच बाजार नृशंस हत्या और बड़वानी में भाजपा मंडल अध्यक्ष की निर्मम हत्या कर दी गई । इन घटनाओं से लोगों में दहशत का माहौल है, वहीं यह बात भी साबित होती है कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार का कानून-व्यवस्था से कोई लेना-देना नहीं है । उसी दौर में प्रदेश के गृह मंत्री बाला बच्चन इस आरोप और आश्वासन के साथ मीडिया के सामने आए थे कि - श्राज्य में 15 वर्षों तक भाजपा का राज होने से कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ गई है। नई सरकार लगातार स्थिति सुधारने का प्रयास कर रही है। आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति पांच माह पहले इसलिए नई बात थी कि एक सरकार का जाना नया था और दूसरी का आना भी नया ही था! प्रदेश का आम आदमी उम्मीद लगाए बैठा था कि पुराने अनुभव के साथ कांग्रेस की नई सरकार बुनियादी समस्याओं पर कुछ करे या ना करे, लेकिन बात जरूर करेगी! लेकिन, इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि लचर कानूनव्यवस्था पर अब तक कोई निर्णायक पहल सामने नहीं आई है। श्तबादला- उद्योग के आरोप झेल चुकी कांग्रेस को पुलिस महकमे में हुए बार-बार के बदलाव पर भी कठघरे में खड़ा किया गया था। महिला अपराध में मध्य प्रदेश के माथे पर लगा काला टीका कब मिटेगा, कहा नहीं जा सकता। लेकिन, निरंकुश कानून-व्यवस्था यदि जल्दी ही काबू में नहीं आई तो यह ऐसे प्रदेश की छवि खराब कर देगी, जिसे कभी शांति का टाप कहा जाता था। चुनावी