गन्ने की सूखी पत्तियों को जलाये नहीं ट्रैश मल्चिंग को बढ़ावा दें

गन्ने की सूखी पत्तियों को जलाये नहीं ट्रैश मल्चिंग को बढ़ावा दें




लखनऊः


गन्ना किसान गन्ने की कटाई के बाद गन्ने की सूखी पत्तियांे को जला देते हैं, जिससे न सिर्फ वातावरण में प्रदूषण बढ़ता है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता पर भी कुप्रभाव पड़ता है। गन्ना विकास विभाग ने गन्ना कृषकों में जागरूकता फैलाने की दृष्टि से यह जानकारी प्रदान की है कि किसान अपने गन्ने के खेत में ट्रैश मल्चिंग करके अधिक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। इससे गन्ना किसानों की आय दोगुनी होने के साथ ही पर्यावरण प्रदूषण पर भी रोक लगेगी।


गन्ने की सूखी पत्तियों को बुआई के समय दो पक्तियों के बीच ट्रैश मल्चिंग करने से न सिर्फ खेत की नमी को देर तक बनाये रखा जा सकता है, अपितु कालान्तर में यही सूखी पत्तियां खाद के रूप में परिवर्तित हो जाती हंै तथा खरपतवार भी नष्ट हो जाते हैं। मल्चिंग के रूप में उपयोग होने वाली सूखी पत्तियां कुछ समय के बाद खाद में बदल जाती हैं। इन पत्तियों में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश व कार्बनिक पदार्थ प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जोकि मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते हैं। मल्चिंग विधि अपनाने से किसान की जमीन की भौतिक व जैविक दशा में भी सुधार होता है। ट्रैश मल्चिंग कराने के लिए मार्च और अप्रैल का महीना सबसे उपयुक्त होता है। यह प्रक्रिया उन खेतों में ठीक से हो पाती है, जिसमें ट्रैंच विधि से 3-4 फीट की दूरी पर गन्ना बोया गया है। इस प्रकार ट्रैश मल्चिंग के फलस्वरूप गन्ने की सिंचाई मे बचत होती है जिससे खेत की उर्वरता मे वृद्वि होने के साथ-साथ गन्ना कृषकों की आय में भी 1 से 2 प्रतिशत की वृद्धि का आकलन किया गया है।