मध्य वर्ग पर भी ध्यान दें पार्टियां

मध्य वर्ग पर भी ध्यान दें पार्टियां


इन दिनों आम चुनाव, 2019 के लिए विभिन्न राजनीतिक दल अपने-अपने घोषणा-पत्र तैयार करने में जुट गये हैं. इन घोषणा-पत्रों में विभिन्न वर्गों को लुभाने के लिए चमकीली घोषणाएं शामिल की जायेंगी. ऐसे में विभिन्न राजनीतिक दलों के चुनावी घोषणा-पत्रों में मध्य वर्ग के हितों के लिए भी उपयुक्त घोषणाएं अपेक्षित हैं। निश्चित रूप से छलांगें लगा कर बढ़ते हुए भारत के उपभोक्ता बाजार और भारतीय अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में जिस मध्य वर्ग की महत्वपूर्ण भूमिका है, वह विभिन्न सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है। इन चुनौतियों के निराकरण की संभावनाओं वाली घोषणाओं की मध्य वर्ग को इंतजार है। चूंकि देश का मध्य वर्ग देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में कहा गया है कि वर्तमान में देश में उच्च मध्यम वर्ग के से देश के सांस्कृतिक मूल्यों का रक्षक है, अपने सबसे प्रभावी भूमिका निभा रहा हैअतएव सरकार के 17 करोड़ लोग पूरे देश में 46 फसदी क्रेडिट कार्ड, 49 परिवार में उपभोक्ता संस्कृति और पश्चिमी संस्कृति के किसी भी नये आर्थिक-सामाजिक सहयोग से उसका फसदी कार, 52 फसदी एसी तथा 53 फसदी कंप्यूटर खतरों को नहीं रोक पा रहा है। इसमें कोई दो मत नहीं उत्साह बढ़ेगा। हाल ही में प्रकाशित विश्व प्रसिद्ध के मालिक हैं। वैश्विक परिदृश्य के अनुरूप ही भारत में है कि विभिन्न दलों के द्वारा तैयार किये जा रहे घोषणाकंसल्टेंसी # बीसीजी की रिपोर्ट, 2019 में कहा गया भी मध्य वर्ग की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। अंतरराष्ट्रीय पत्रों में मध्य वर्ग को लाभान्वित करने वाली ऐसी है कि भारत के उपभोक्ता बाजार को दुनिया में सबसे तेज श्रम संगठन ने कहा है कि दुनिया के अधिकांश देशों में घोषणाएं जरूरी हैं, जिनके कार्यान्वयन से उसकी गति से आगे बढ़ने वाले बाजार की पहचान दिलाने में मध्यम वर्ग की प्रगति रुक गयी है। उसके जॉब्स कम आर्थिक-सामाजिक चुनौतियां कम हो सकें, पर ऐसे मध्य वर्ग की प्रभावी भूमिका है। इसी वर्ग के कारण होने और काम के लिए जरूरी कौशल न होने से आय कई और प्रभावी प्रयासों की जरूरत बनी हुई हैयह 2008 में भारत का जो उपभोक्ता बाजार महज 31 लाख में असमानता बढ़ी है। 2000 के बाद यूरोपियन यूनियन स्पष्ट समझाना होगा कि मध्य वर्ग की मौजूदा शैक्षणिक करोड़ रुपये का था, 2018 में 110 लाख करोड़ रुपये के दो तिहाई देशों में मध्य वर्ग में शामिल लोगों की परेशानियों को कोई विदेशी निवेशक और विदेशी का हो गया। भारत का उपभोक्ता बाजार 2028 तक तीन संख्या कम होने लगी है। इसी तरह की गिरावट संस्थान सरलता से बदल नहीं सकते। अतएव केंद्र गुना बढ़ कर 335 लाख करोड़ रुपये का हो जायेगा। अमेरिका में भी आयी है। खासतौर से 2008 के आर्थिक सरकार के द्वारा उच्च शिक्षा व्यवस्था में सुधार के एजेंडे मध्य वर्ग की बढ़ती क्रयशक्ति अर्थव्यवस्था को नयी गति संकट के बाद विभिन्न देशों में मध्य वर्ग की मुश्किलें को तत्काल आगे बढ़ाना चाहिए। बड़े शहरों में दे रही है। हाल ही में प्रख्यात ग्लोबल कंसल्टेंसी फर्म तेजी से बढ़ी हैं। भले मध्य वर्ग के करोड़ों लोगों के सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को कारगर बनाया जाना पीडब्ल्यूसी ने कहा है कि 2019 में भारत ब्रिटेन को पीछे चेहरे पर मुस्कुराहट दिखाई दे रही है, पर इस चाहिए, ताकि यातायात पर मध्य वर्ग के बढ़ते हुए व्यय छोड़ते हुए क्रय शक्ति के आधार पर दुनिया की पांचवीं मुस्कुराहट के पीछे महंगाई, सामाजिक सुरक्षा, बच्चों में कमी आ सके। गरीबी रेखा के ऊपर (एपीएल) सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा। निस्संदेह इस समय जब की शिक्षा, रोजगार, कर्ज पर बढ़ता ब्याज जैसी कई आने वाले निम्न मध्य वर्ग के परिवारों को भी विभिन्न भारत की विकास दर दुनिया में सर्वाधिक 7: से अधिक सामाजिक और आर्थिक चुनौतियां भी छिपी हुई हैं। सरकारी योजनाओं के तहत मिलने वाले लाभ जरूर के स्तर पर है, तो उसमें मध्य वर्ग की अहम भूमिका निजी क्षेत्र की महंगी शिक्षा को बढ़ावा मिला है। दिये जाने चाहिए। मध्य वर्ग को लाभान्वित करने के है ।इसी ताकत के बल पर भारत ने 2008 के ग्लोबल परिणामस्वरूप मध्य वर्ग की स्तरीय शैक्षणिक लिए सरकार के द्वारा एक प्रभावी प्रत्यक्ष कर प्रणाली वित्तीय संकट से सबसे पहले निजात पायी। 1991 से सुविधाओं संबंधी कठिनाइयां बढ़ती जा रही हैं। मध्य के तहत प्रत्यक्ष कर व्यवस्था को सरल और पारदर्शी शुरू हुए आर्थिक सुधारों के बाद देश में मध्य वर्ग के वर्ग दैनिक जीवन में कर संबंधी आर्थिक मुश्किलें भी बनाना होगा। उद्योग-कारोबार के लिए वस्तु एवं सेवा लोगों की संख्या और खरीदी की क्षमता चमकीली अनुभव कर रहा है। सामाजिक प्रतिष्ठा और जीवन कर (जीएसटी) को और सरल करना होगा। निश्चित ऊंचाई पर पहुंच गयी है और चारों ओर भारतीय मध्य स्तर के लिए मध्य वर्ग के द्वारा लिए जाने वाले सबसे रूप से नयी सरकार के द्वारा मध्य वर्ग की सामाजिकवर्ग का स्वागत हो रहा है। देश में मध्य वर्ग के लोगों जरूरी हाउसिंग लोन, ऑटो लोन, कंज्यूमर लोन आदि आर्थिक चुनौतियों के निराकरण से वह देश की की संख्या 30 करोड़ से अधिक है। नेशनल इंस्टीट्यूट पर ब्याज दर बढ़ने के परिदृश्य ने उसकी चिंताएं बढ़ा आर्थिक-सामाजिक तस्वीर को और चमकीला बनाता मॅर अप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च की नवीनतम रिपोर्ट में दी हैं। इन सबके अलावा, जो मध्यम वर्ग शताब्दियों हुआ दिखाई देगा।