अगला प्रधानमंत्री कौन?

अगला प्रधानमंत्री कौन?


यह पिछले हफ्ते का वाकया है। मैं ओला टैक्सी लेकर पहले की तरह गंदगी से अटा पड़ा है। बस, कहीं-कहीं सौ साल से देश के कोने-कोने में रोजगार की तलाश में कहीं जा रहा थाचुनावों के समय सामान्यत हम सफई दिख जाती है ।वि.- नहीं सर! आपने फिर ठीक से जाते रहे हैं। टाटानगर का इस्पात कारखाना, कलकत्ता पत्रकार ही विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधियों से चर्चा कर हवा देखा नहीं है। या आप मोदीजी के विरोधी हैं, इसलिए की जूट मिलें, असम के चाय-बागान, जम्मू-कश्मीर का का रुख भांपने का प्रयत्न करते हैं। इनमें टैक्सी ड्राइवरों ऐसा कह रहे हैं मैं- चलिए, आपकी बात मान भी लें तो नेशनल हाईवे, मेरठ के ईंट भन्ने सब तरफछत्तीसगढ़िया से बात करना तो एक तरह से अनिवार्य होता हैउसकी शहर की सफई में मोदीजी का क्या योगदान है ?वि.- मजदूरी करते आए हैं। वजह भी है। टैक्सी हो, रिक्शा हो, आटो हो, हर सवारी उनका नहीं तो किसका है?मैं- भाई ! शहर की सफाई वि.- माफ कीजिए सर! यह बात मुझे मालूम नहीं थी। की अपनी अलग पृष्ठभूमि और अलग कहानी होती है। का जिम्मा तो नगर निगम का है। मेयर का है। वार्ड लेकिन जब वे इतने मेहनती हैं तो अपने घर में रहकर सवारियों के बीच या उनके साथ हुई चर्चा से ड्राइवर पार्षद का है। फि सबसे बढ़कर स्वयं नागरिकों का है। काम क्यों नहीं करते? मैं- विकास! इसके पीछे काफ-कुछ अनुमान लगा लेते हैं। इसलिए उन्हें शहर की गंदगी साफ करना प्रधानमंत्री का काम नहीं जबरदस्त षड़यंत्र है। पूंजीपति, कारखानेदार, ठेकेदार, विश्वसनीय स्रोत मान लिया जाता है। गो कि अब पहले है वि.- तो सर, आप ही बताइए, प्रधानमंत्री का काम स्थानीय लोगों को नौकरी देना पसंद नहीं करते। बाहर जैसा भरोसा नहीं रह गया है। टैक्सी ड्राइवर कई बार क्या है?मैं- विकास! आज देश में जो हालात हैं, उसमें से मजदूर आता है तो वह हाड़-तोड़ मेहनत करता है। सवाल पूछने वाले के इरादे समझकर उसके मनोनुकूल प्रधानमंत्री को सबसे पहिले नौजवानों पर ध्यान देने की वह छुट्टियां नहीं लेता। बारह-चौदह घंटे काम में लगा राय दे देते हैं। फि ऐसे ड्राइवर भी हैं जो स्वयं जरूरत है। जिस तरह से बेरोजगारी बढ़ रही है, उसे कैसे रहता हैउसे एक तरह से बंधक या गुलाम बना दिया राजनीतिक रूप से सक्रिय हैं और वे अपनी प्रतिबद्धता रोका जाए, युवाओं को काम कैसे मिले, यह सोचना जाता हैस्थानीय व्यक्ति गुलामी बर्दाश्त नहीं करेगा। वह के मुताबिक जानकारी देते हैं। खैर, तो हुआ यह कि इस उनका काम है। वक्त-जरूरत छुट्टी भी लेगा। जबकि इजारेदार कम वाकये में सवाल पूछने की शुरुआत मैंने नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री और देश की सरकार को खेती-किसानी पर मजदूरी अधिक मुनाफे के सिद्धांत पर चलता है। अब टैक्सी ड्राइवर ने की। सुविधा के लिए हम उसका नाम भी अपना ध्यान लगाना चाहिए। किसान खुशहाल रहेगा जैसे आप ही हैं। आपकी जब मर्जी होगी, गाड़ी बंद कर विकास रख लेते हैं। मैं किन्हीं अन्य ख्यालों में खोया तो सबको बरकत होगी वि.- खेती-किसानी की बात घर जाकर सो जाएंगे वि.- आप जो कह रहे हैं, वह ठीक था, जब मुझे लगभग चौंकाते हुए विकास ने अपना तो आपने ठीक की, लेकिन मैं नहीं मानता कि देश में तो लगता है, फिर भी मेरा कहना है सर ! रोजगार की कोई पहला सवाल मेरी उछाला। मैं कोई पंद्रह मिनट चले बेरोजगारी कोई समस्या है मैं आपको बेराजेगारी समस्या नहीं है ।मैं- ठीक है। आप मेरी बात मत मानिए। संवाद को अविकल पेश करने की कोशिश नीचे कर रहा समस्या मालूम नहीं देती ? वि.- बिल्कुल नहीं सर! यह बताइए कि आपके बच्चे कितने हैं? वि.- सर! एक हूं विकास- सर! आपको क्या लगता है, मोदीजी फिर से आपके छत्तीसगढ़ में देखिए, काम की कहां कमी है। बेटा है, कॉलेज में पढ़ रहा हैमैं- आपने कभी उससे प्रधानमंत्री बन पाएंगे?मैं- मालूम नहीं भाई, लेकिन मुझे छत्तीसगढ़िया काम करना ही नहीं चाहते मैं- आप या उसके दोस्तों से पूछा कि वे पढ़ाई खत्म होने के बाद इस बारे में शंका है। वि. - मोदीजी नहीं तो फि कौन छत्तीसगढ़ के नहीं हैं? कहीं बाहर से आए हैं?वि.- नहीं क्या करेंगे ?वि.- अभी तक तो नहीं पूछा मैं- तो अब बनेगा? उनके सामने कौन टिकेगा?मैं- कौन बनेगा, यह सर, मैं तो पैदाइशी छत्तीसगढ़िया हूं। मेरे कहने का पूछकर देखिए। यह जरूर पूछिए कि वह आपकी तरह मैं अभी नहीं कह सकता, लेकिन मोदीजी नहीं मतलब है कि यहां लोग-बाग काम करने से जी चुराते दिन-रात टैक्सी चलाना पसंद करेगा या उसे किसी बनेंगे वि.- आप ऐसा क्यों कह रहे हैं?मैं- इसलिए कि हैं। मुझको देखिए, नौकरी नहीं मिली तो ओला टैक्सी और नौकरी की तलाश होगी? आप उसके संगीमेरा वोट उनको नहीं जाएगा। विकास- लेकिन मैं तो चलाकर चार पैसे कमा रहा हूं। मैं- विकास! मैं आपकी साथियों से भी पूछिए कि वे अपने भविष्य को लेकर मोदीजी को ही वोट दूंगा। मैं- ठीक है। आप अपनी तारीफ करता हूं कि आप एक मेहनतकश इंसान हैं और चिंतित हैं या नहीं ?वि.- आपने सलाह दी है तो पसंद से वोट कीजिए, मैं अपनी पसंद से। वि.- पर आप पसीना बहाकर अपना घर-बार चला रहे हैं। लेकिन आप अवश्य पूछेगा। बस एक आखिरी सवाल है। आपको उनको वोट क्यों नहीं देंगे?मैं- मेरी बात छोड़ो। अपनी ऐसा कैसे कहते हैं कि हमारे लोग काम से जी चुराते हैं? जहां जाना था, वहां तक हम आ ही चुके हैं। तो इतना बताओ कि तुम उन्हें वोट क्यों दोगे? वि.- वाह, उन्होंने वि.- आप ही सोचिए। इतने कारखाने खुल गए हैं। और बताइए कि नरेंद्र मोदी नहीं तो प्रधानमंत्री कौन इतना सारा काम किया है। बताइए, आज तक किसी भी कितने सारे अवसर हैं। लेकिन सब जगह यू.पी., बनेगा?मैं- भाई ! सीधी सी बात है। जिस पार्टी को और प्रधानमंत्री ने इतना काम किया है ?मैं- अच्छा! बिहार के लोग आकर मेहनत-मजूरी कर रहे हैं। अगर ज्यादा वोट मिलेंगे, ज्यादा सीटें मिलेंगी, उसी का कोई उन्होंने ऐसा कौन सा बड़ा काम किया है जो आपको हमारे लोग काम करते तो ये बाहर से मजदूर क्यों लाते? नेता प्रधानमंत्री बनेगा। हम जनतंत्र में रहते हैं। हमें पसंद आया हो वि.- उन्होंने स्वच्छता अभियान चलाया। मैं- आप जितना देख पा रहे हैं, उसके हिसाब से शायद अपनी याने मतदाता की ताकत को पहिचानना अपने शहर में ही देखिए। कितना साफ-सुथरा हो गया आपकी बात ठीक है। लेकिन यह पूरी सच्चाई नहीं है। चाहिए। प्रधानमंत्री कोई भी बने, वह सही मायने में है। पहले सब तरफगंदगी, कूड़े के ढेर दिखाई देते थे।मैं- वि.- तब तो आप बताइए सच्चाई क्या है? जनता की सेवा करे, जुमलेबाजी नहींबाकी आपका विकास! मैं आपसे सहमत नहीं हूं। शहर तो आज भी मैं- सच्चाई यह है कि छत्तीसगढ़ के मेहनती लोग डेढ़ जो भी निर्णय हो।