चुनाव बाद जीएसटी में सुधार

चुनाव बाद जीएसटी में सुधार


 



जीएसटी लागू करने को भाजपा और कांग्रेस पड़ा है। राज्यों के बीच व्यापार करना आसान हो गया टैक्स वसूलने से आम आदमी पर सीधा नकारात्मक पार्टियाँ एकमत रही हैं। इस व्यवस्था को कैसे लागू है। बड़ी कम्पनियों द्वारा इसका विशेषकर लाभ प्रभाव पड़ता है। साथ-साथ आम आदमी के लिए किया जाये इस मात्र में विवाद है। जीएसटी का आम उठाया जा रहा है। इस कारण छोटे उद्योगों को रोजगार बनाने वाले छोटे उद्योग दबाव में आते हैंआदमी के उपर दो प्रकार से प्रभाव पड़ता है। जीएसटी परेशानी बढ़ी है। पहले राज्यों की सरहद के कारण जिससे पुनरू उसकी आय पर विपरीत प्रभाव पड़ता का सीधा प्रभाव यह होता है कि तमाम टैक्स की दरों उन्हें दूर स्थापित बड़ी कम्पनियों से एक प्राकृतिक है। साथ-साथ यह भी सही है कि जीएसटी के कारण को चुनिन्दा 3 या 4 टैक्स दरों में परिवर्तित कर दिया संरक्षण मिलता था जो अब समाप्त हो गया है। इस अर्थव्यवस्था में कुशलता स्थापित होती है और गया है। इससे व्यापार करना आसान हो गया है। कारण जीएसटी का छोटे उद्योगों पर नकारात्मक विकास दर बढ़ती है। विकास दर के बढ़ने से सभी राज्यों में एक दर से जीएसटी लगने से राज्यों प्रभाव पड़ा है। छोटे उद्योगों के मंत्रालय के अनुसार रोजगार में वृद्धि होनी चाहिए। लेकिन यह कौतुहल बीच व्यापार सुलभ हो गया है। विचार यह था कि वर्ष 2011-12 में हमारे देश की आय में छोटे उद्योगों का विषय है कि जीएसटी का यह सार्थक प्रभाव क्यों जीएसटी से व्यापार करना आसान हो जायेगा जिससे का हिस्सा 29.6 प्रतिशत था जो कि 2016 में घट नहीं पड़ता दिख रहा है? जीएसटी के लागू होने से आर्थिक विकास को गति मिलेगी और रोजगार उत्पन्न कर 28.8 प्रतिशत रह गया था। इन्हीं छोटे उद्योगों आम आदमी पर नकारात्मक प्रभाव मात्र क्यों पड़ होंगे। यह जीएसटी का अप्रत्यक्ष सुप्रभाव हुआ। द्वारा अधिकतर रोजगार बनाये जाते हैं। छोटे उद्योगों रहा हैइस पहेली का उत्तर यह है कि जीएसटी के दूसरी तरफ जीएसटी का आम आदमी पर सीधे के मंत्रालय के अनुसार छोटे उद्योगों द्वारा 11.2 कारण आम आदमी पर टैक्स का बोझ बढ़ता है और नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अब तक हम टैक्स करोड़ रोजगार बनाये गये हैं जबकि वित्त मंत्रालय के छोटे उद्योगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने से उसके पॉलिसी को जन कल्याण के एक अस्त्र के रूप में अनुसार बड़े निजी क्षेत्रों के उद्योगों में केवल 1.2 रोजगार का हनन होता हैइन कारणों से बाजार में देखते थे। आम आदमी द्वारा खपत की गयी वस्तुएं करोड़ रोजगार बनाये गये हैं। छोटे उद्योगों के दबाव मांग कम होती है। आम आदमी को साईकिल पर 5 जैसे बाईसिकिल एवं सस्ते जूतों पर टैक्स की दर में आने से कुल रोजगार का हनन हुआ है। जिससे प्रतिशत की जगह यदि 18 प्रतिशत देना पड़े तो कम लगाई जाती थी और अमीर द्वारा खपत की जा आम आदमी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। उसकी साईकिल खरीदने की क्षमता कम होती है। रही वस्तुओं जैसे एयर कंडिशनर और मर्सडीज कार जीएसटी के ये नकारात्मक प्रभाव पूरे विश्व में पाये तदानुसार साईकिल बनाने वाली फैक्ट्री का माल पर टैक्स की दर अधिक लगायी जाती थी। जीएसटी गए हैं। आस्ट्रेलिया की विक्टोरिया युनिवर्सिटी द्वारा कठिनाई से बिकता है। इसलिए जीएसटी से बाजार अंतर्गत इन दरों को एकल दिशा में ले जाया जा किये गये अध्ययन में पाया गया कि छोटे उद्दोगों द्वारा में कुल मांग कम हो रही हैमांग के कम होने से रहा है। वर्तमान में 12 प्रतिशत 18 प्रतिशत एवं 28 अपनी कुल आय का तीन प्रतिशत हिस्सा जीएसटी निवेश कम हो रहा है । आर्थिक विकास के लिए प्रतिशत की तीन दरें हैं लेकिन सरकार की मंशा है के अनुपालन में खर्च किया जा रहा है। उद्योगों को मांग और निवेश का जो सुचक्र जरूरी है वह सुचक्र कि इन्हें भी एक ही दर पर ले जाये। बाइसिकल पर सामान्यतरू बिक्री का 15 प्रतिशत लाभ होता है। टूट रहा है। पहले मांग उत्पन्न होती है और फि उस यदि पूर्व में 5 प्रतिशत टैक्स था तो वह अब 18 इसमें 3 प्रतिशत की गिरावट आई है। आस्ट्रेलिया के मांग की पूर्ति के लिए निवेश होता है। मांग ही कम प्रतिशत हो जायेगा और मर्सिडीज कार पर यदि 28 6 में से 5 छोटे उद्योगों को जीएसटी से नुकसान हुआ उत्पन्न होने से यह सुचक्र टूट रहा है जिसके कारण प्रतिशत टैक्स था तो वह भी 18 प्रतिशत हो जायेगा। है। न्यूजीलैंड की विलिंग्टन यूनिवर्सिटी ने पाया कि हमारी विकास दर भी गिरी है और आम आदमी की इस प्रकार आम आदमी द्वारा खपत की जाने वाले बड़े उद्दिमयों की तुलना में छोटे उद्दमी जीएसटी कठिनाई भी बढ़ी है। जीएसटी के कारण माल पर टैक्स की दरें आम तौर पर बढ़ी हैं। इस अधिक अदा करते हैं। जीएसटी के अनुपालन के अर्थव्यवस्था की कुशलता का लाभ नहीं मिल रहा कारण जीएसटी का आम आदमी पर सीधा लिए कंप्यूटर और साफ्टवेयर खरीदना पड़ता है। है। जीएसटी लागू होने के कारण साईकिल की नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। न्यूजीलैंड सरकार के छोटा उद्दमी एक लाख का कंप्यूटर खरीद कर साल उत्पादन लागत कम हुई है लेकिन आम अदमी के द्वारा किये गये एक अध्यन में कहा गया कि भिन्न दरों में दस लाख का माल बेचता है। बड़ा उद्यमी उसी पास साईकिल खरीदने के लिए क्रय शक्ति ही नहीं गरीबों पर टैक्स का भार कम होता है। नोबल एक लाख का कंप्यूटर खरीदकर दस करोड़ का माल रही है। यह ऐसे हुआ कि आम आदमी के सामने 56 पुरस्कार से सम्मानित प्रोफेसर जेम्स मिर्लोस द्वारा बेचता है। मलेशिया की मोनाश नियूवर्सिटी के एक भोग परोसकर उसके हाथ पीछे बांध दिए जाएँ। इस दिए गये एक अध्यन में कहा गया कि एकल दर से अध्ययन में पाया गया कि मलेशिया के छोटे उद्दमों प्रकार जीएसटी का कुल प्रभाव आम अदमी पर और गरीब पर टैक्स का भार बढ़ता है। आस्ट्रेलिया की पर मनोवैज्ञानिक दबाव बढ़ गया है। वे बंद होने की अर्थव्यवस्था दोनों पर नकारात्मक हुआ है और मूल रूप शेरिदन कॉलेज द्वारा बोस्तवाना के लिए किये गये चिंता से जूझ रहे हैं। अब हम जीएसटी के आम से जीएसटी पर पुनर्विचार करने की जरूरत हैचुनाव एक अध्ययन में भी इस बात की पुष्टि की गई है। आदमी पर समग्र विकास का आकलन कर सकते बाद सत्तारूढ़ पार्टी के लिए यह प्रमुख आर्थिक चुनौती जीएसटी का एक और तरह से नकारात्मक प्रभाव हैं। जीएसटी के अंतर्गत सभी माल पर समान दर से होगी