मानव तस्करी के खिलाफ लड़ाई

मानव तस्करी के खिलाफ लड़ाई



मानव तस्करी अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा है. यह कानून के शासन को कमजोर करता है, लाखों लोगों को उनकी गरिमा और आजादी से वंचित करता है, संलग्न अपराधियों को समृद्ध करता है, और दुनियाभर में जनता की सलामती और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा उत्पन्न करता है । मानव तस्करी में संलग्न अपराधियों द्वारा पीड़ितों पर ढाये जानेवाले बेइंतहा जुल्म से कोई भी धर्म, देश या समुदाय अछूता नहीं है। मानव तस्करी में संलग्न अपराधियों को रोकने, पीड़ितों को संरक्षण देने और इन अपराधियों के फ्लने-फूलने में मददगार व्यवस्थाओं को नष्ट करने हेतु नीतियों और कानूनों को बेहतर बनाने के लिए अमेरिका दुनियाभर में सरकारों के साथ निरंतर सहयोग कर रहा है। हम मानव तस्करी के हर प्रकार से मुकाबला करने के लिए सहभागी गैरसरकारी संस्थाओं के साथ मिलकर काम करने के लिए कटिबद्ध हैं। मानव तस्करी के खिलाफकिसी भी देश की प्रतिक्रिया मुकम्मल नहीं है और हम सभी इस संबंध में लगातार सीख रहे हैं, नयी तकनीकों को अपना रहे हैं, और अपने तौर-तरीकों को बेहतर बना रहे हैं। अगर भारत की बात करें, तो अमेरिका निरंतर ही भारतीय सरकार और यहां के गैरसरकारी संस्थानों को ‘3पी' प्रतिमान- मानव तस्करी मामलों में अभियोजन (प्रॉसेक्यूशन), पीड़ितों की रक्षा (प्रोटेक्शन) और मानव तस्करी की रोकथाम (प्रिवेंशन)- के तहत मजबूत बनाने में मदद कर रहा है। इस प्रयास को आगे बढ़ाते हुए कोलकाता स्थित अमेरिकी कॉन्सुलेट ने बीते 13-16 मार्च तक मानव तस्करी-रोधी युवा चौंपियनों के आठवें सम्मेलन (एट्थ एंटी-ट्रैफिंा इन पसँस यूथ चौंपियंस कॉन्क्लेव) की मेजबानी की। सरकार और सिविल सोसाइटी के नेताओं और युवा सहभागियों को एकजुट कर यह सम्मेलन मानव तस्करी के विरुद्ध काम करनेवाले कार्यकर्ताओं की अगली पीढ़ी का सशक्तिकरण करता है तथा हमें एकजुट होने और समाधानों पर काम करने के लिए प्रोत्साहित करता है। इस साल के सम्मेलन में विदेश विभाग की डिजिटल कथा वाचन पहल 'मानव तस्करी का उन्मूलन एक बार में एक कहानी' को भी शामिल किया गया था, जिसके तहत मानव तस्करी की पीड़ा झेल चुके आठ व्यक्तियों को मानव तस्करी के खिलाफ उम्मीद और विजय की उनकी यात्राओं को साझा करने के वास्ते लघु फिल्में बनाने के लिए एक साथ लाया गया।


इस नयी पहल ने सम्मेलन के सहभागियों को मानव तस्करी के पीड़ित व्यक्तियों, उनके परिवारों और समुदायों पर पड़नेवाले प्रभाव के बारे में जानकारी देने और शिक्षित करने का काम किया। पीड़ित व्यक्तियों के अनभव मानव तस्करी के खिलाफ हमारी सामहिक प्रतिक्रिया को बेहतर बनाने के लिए महत्वपूर्ण हैं ।यहीं पश्चिम बंगाल में राज्य सरकार सफ्लतापूर्वक स्वयंसिद्ध अभियान चला रही है, जिसे पश्चिम बंगाल पुलिस ने एक परीक्षण परियोजना के तौर पर दक्षिण 24 परगना जिले में शुरू किया था। मानव तस्करी-रोधी लड़ाई में छात्रों और सामुदायिक समूहों को शामिल करने पर केंद्रित इस अभियान ने युवा महिला नेताओं की फैज खड़ी कर दी है वास्तव में, अब इस मॉडल को राज्य के सभी जिलों में कार्यान्वित किया जानेवाला है। गत वर्ष, अपने मानव तस्करी विरोधी सम्मेलन में स्वयंसिद्ध अभियान की सफलता को प्रस्तुत करना हमारे लिए सम्मान की बात थी, और हमारी योजना भारत के अन्य राज्यों के साथ इस मॉडल को साझा करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार और अन्य प्रमुख सहभागियों के साथ काम करना जारी रखने की है। अमेरिका के लिए पीड़ितों की आवाज को सुनने का एक और जरिया यूएस एडवाइजरी कौंसिल ऑन ह्यूमन ट्रैफिकिंग है। इस संस्था में राष्ट्रपति द्वारा विशेष रूप से सिर्फ मानव तस्करी का शिकार रहे व्यक्तियों को शामिल किया गया है। एडवाइजरी कौंसिल राष्ट्रीय मानव तस्करी-रोधी नीतियों पर अमेरिका सरकार को सलाह और अनुशंसाएं करने के लिए पीड़ितों को एक औपचारिक मंच प्रदान करती है। यह सरकार के प्रयासों को आकार देने में पीड़ितों का योगदान सुनिश्चित करने की दिशा में एक अहम प्रगति है।सम्मेलन में यौन शोषण के लिए मानव तस्करी में इंटरनेट की बढ़ती भूमिका पर भी चर्चा हुई और इसके खिलाफ निजी क्षेत्र को अहम साझेदार बनाने के महत्व पर जोर दिया गया। इस अवसर पर अमेरिका के टेक्सस क्रिश्चियन यनिवर्सिटी की डॉ वनेसा बुशे और उनके छात्रों ने कैंपस सक्रियता, सामुदायिक सक्रियता और पेशेवर सक्रियता पर कार्यशालाओं का भी आयोजन किया। भारत में ऐसे सम्मेलनों के जरिये हो रहे जमीनी प्रयासों का अमेरिका समर्थन करता है। हम इस बात को महसूस करते हैं कि भारत की सरकार के साथ हमारी सहभागिता अंतरराष्ट्रीय संदर्भ में बहुत महत्वपूर्ण है, पर मानव तस्करी के खिलाफ लड़ाई सिर्फ सरकारों की ही जवाबदेही नहीं है। सिविल सोसाइटी की पहलकदमियां, जिन पर सालाना सम्मेलन में विचार किया गया, सफलता पाने के लिए आवश्यक और अहम हैं। साथ मिलकर काम करने पर ही हम उस दौर में पहुंचने की कल्पना कर सकते हैं, जब मानव तस्करी में संलग्न अपराधी बेखौफ होकर काम नहीं कर पायेंगे।