आइए इस बार बनाएं मतदान के नए कीर्तिमान
मध्य प्रदेश में मतदान के तीन चरण हुए हैं और एक बाकी हैं। गेम जारी है...तो जीतने की उम्मीद भी बनी हुई है और गेम-चेंजर बनने का जज्बा भी। चुनावी माहौल में ये सारे नए शब्द नेताओं-प्रत्याशियों के लिए ही बोले-गढ़े जाते हैं। क्योंकि, वे विचार और व्यवहार की परंपरागत राजनीतिक लड़ाई लड़ ही रहे हैं। स्वाभाविक है-कोई हारेगा और कोई जीत जाएगा। लेकिन, इस बार मामला जरा हटकर है! लोकतंत्र के इस महापर्व में एक और निर्णायक लड़ाई लड़ी जा रही है। यह लड़ाई है मतदाताओं की भूमिका-भागीदारी और जिम्मेदारी-जवाबदेही की। हम इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि इस समय पूरी दुनिया की नजर है कि रंगरूप, वेशभूषा, आकार-प्रकार, सोच-विचार में अलगअलग होने के बावजूद विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के 90 करोड़ मतदाता एक साथ मिलकर-एक- दूसरे से आगे निकलने का प्रयास कर रहे हैं। लोकतंत्र के इस सबसे बड़े यज्ञ में आहुति देने के लिए मध्य प्रदेश के 5,17,94,677 मतदाता कितने तैयार हैं, कैसी भागीदारी निभा रहे हैं और आगे क्या कर सकते हैं? इन सवालों के जवाब तलाशने की शुरुआत करते हैं सागर जिले में बंडा तहसील के डिलाखेड़ी गांव से। करीब 2.18 लाख की आबादी वाले इस छोटे से ब्लॉक में छह मई को जो कुछ हुआ, वह प्रमाण है कि मतदान को लेकर मध्य प्रदेश कितना सजग हुआ है और प्रदेश के बड़े हिस्से को अभी भी कितना जागरूक होना बाकी है? सफेद कपड़ों में सिर मुंडाए युवक शिवेंद्रप्रताप सिंह ने पिता का अंतिम संस्कार कर पुत्र धर्म निभाया। उसके बाद मतदान कर राष्ट्रधर्म का भी पालन किया। मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में हुए मतदान के दौरान यह दृश्य सोशल मीडिया के जरिए देश-प्रदेश में साझा किया गया। जिला
गए हैं तो कहा जा सकता है कि मध्य प्रदेश का शायद उत्साहजनक नजर आए लेकिन बढ़ोतरी के कुल जनमानस संवैधानिक अधिकारों के साथ कर्तव्य को क्रम को समझें तो 52 साल में केवल 16.78; की वृद्धि मध्य प्रदेश में मतदान के दो चरण हुए हैं और दो लेकर भी सजग है। लेकिन, प्रदेश की इसी जागरूक ही हुई है। हालांकि इस बार दो चरणों में जिस उत्साह बाकी हैं। गेम जारी है...तो जीतने की उम्मीद भी जमीन पर असहमति और असंतोष के कुछ ऐसे स्वर से मतदान हुआ है उससे लगता है कि मध्य प्रदेश इस बनी हुई है और गेम-चेंजर बनने का जज्बा भी। चुनावी भी हैं जो धारा के विपरीत अपनी उपस्थिति दर्ज करवा बार नया रिकॉर्ड बनाएगा। लेकिन, केवल इतना ही माहौल में ये सारे नए शब्द नेताओं-प्रत्याशियों के लिए रहे हैं। सागर जिले के देवड़ी इलाके में सरखेड़ा ग्राम पर्याप्त होगा?भारत निर्वाचन आयोग ने मतदान के लिए ही बोले-गढ़े जाते हैं। क्योंकि, वे विचार और व्यवहार पंचायत के लोगों ने मतदान का बहिष्कार कर दिया! 75: का लक्ष्य दिया है। पांचवें चरण के चुनाव यानी की परंपरागत राजनीतिक लड़ाई लड़ ही रहे हैं। इन्हें ना प्रशासन मतदान केंद्र ला पाया और ना कोई अब तक केवल पश्चिम बंगाल ने ही इस लक्ष्य को भेदा स्वाभाविक है-कोई हारेगा और कोई जीत जाएगा। सामाजिक संस्था। लेकिन, भिंड के अटेर विधानसभा है। यदि अब तक हुए मतदान का औसत निकालें तो लेकिन, इस बार मामला जरा हटकर है! लोकतंत्र के क्षेत्र में आने वाले दतावली गांव के मतदाताओं को इस यह लगभग 77.52: हैअगले दो चरणों में पश्चिम इस महापर्व में एक और निर्णायक लड़ाई लड़ी जा रही बहिष्कार से रोका जा सकता है। विकास कार्य नहीं बंगाल इस आंकड़े को 80: से ऊपर ले जाने का प्रयास है। यह लड़ाई है मतदाताओं की भूमिका-भागीदारी होने से नाराज ग्रामीणों का कहना है कि गांव के 250 कर रहा है। यदि मध्य प्रदेश की तुलना करें तो हम और जिम्मेदारी-जवाबदेही की। हम इसे ऐसे भी समझ मतदाता वोट डालने नहीं जाएंगे! यहां आज (रविवार पहले में 74.88 और दूसरे चरण में 69.14: तक पहुंचे सकते हैं कि इस समय पूरी दुनिया की नजर है कि रंगको) मतदान है। हो सकता है, इनकी असहमति हैं। मतलब, औसत 72.01 प्रतिशत। स्वाभाविक हैरूप, वेशभूषा, आकार-प्रकार, सोच-विचार में अलगतार्किक हो लेकिन व्यक्त करने का तरीका कुछ और मध्य प्रदेश के सामने दो लक्ष्य हैं। यदि निर्वाचन अलग होने के बावजूद विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक मुख्यालय पर जब मीडिया के कैमरे शिवेंद्र पर फेकस होना चाहिए। यहां प्रशासन के साथ-साथ आयोग द्वारा निर्धारित आंकड़े तक पहुंचना है तो देश के 90 करोड़ मतदाता एक साथ मिलकर-एक- कर रहे थे, उसी जिले की छोटी सी तहसील में भी कई जनप्रतिनिधियों की भूमिका ज्यादा अहम है। वे उन्हें वर्तमान की तुलना से 03: अधिक मतदान की दूसरे से आगे निकलने का प्रयास कर रहे हैं। लोकतंत्र लोग मिसाल बन रहे थेबंडा के डिलाखेड़ी गांव में ही सुनें, समझें और समस्या दूर करने का त्वरित समाधान आवश्यकता है। और, यदि पश्चिम बंगाल का रिकॉर्ड के इस सबसे बड़े यज्ञ में आहुति देने के लिए मध्य 80 वर्षीय उदय सिंह की पत्नी का लंबी बीमारी के बाद भी तलाशें, ताकि वे मतदान केंद्र तक जरूर आएं। तोड़ना है तो 09 से 10: तक ज्यादा वोटिंग कर देश के प्रदेश के 5,17,94,677 मतदाता कितने तैयार हैं, कैसी देहांत हो गया था। अंतिम संस्कार छह मई को होना चिंता मिटाने और बढ़ाने वाले ये किस्से लोकतंत्र में सामने एक नई मिसाल कायम हो सकती हैमतदाताओं भागीदारी निभा रहे हैं और आगे क्या कर सकते हैं? था। सुबह आठ बजे परिवार के लगभग 33 सदस्य मध्य प्रदेश के मतदाताओं का जोश-जज्बा और को जागरूक करने और मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए इन सवालों के जवाब तलाशने की शुरुआत करते हैं मतदान केंद्र पहुंचे। पहले मतदान और फ्फि अंतिम जागरूकता बताते हैं तो आंकड़े, तथ्यों के साथ गंभीर कुछ जिलों पर सामूहिक और सार्वजनिक चिंता होना सागर जिले में बंडा तहसील के डिलाखेड़ी गांव से। संस्कार किया। बंडा से 22 किमी दूर अंदरुनी इलाके गवाही भी देते हैं। मध्य प्रदेश में मतदान प्रतिशत चाहिए। क्योंकि, 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां करीब 2.18 लाख की आबादी वाले इस छोटे से ब्लॉक का एक और उदाहरण। महिला-पुरुष और युवा, जब कितना रहा, कैसे बढ़ा, कब घटा और आगे बढ़ने के सबसे कम मतदान हुआ था! भिंड (43.58:), मुरैना में छह मई को जो कुछ हुआ, वह प्रमाण है कि मतदान सभी मतदान कर रहे हैं तो शतायु कहां पीछे रहने वाले लिए क्या करना है-यह जानने के लिए कुछ पुराने (48.08:) और आलीराजपुर (54.09:) के को लेकर मध्य प्रदेश कितना सजग हुआ है और प्रदेश हैं। गोराखुर्द मतदान केंद्र में 105 वर्षीय बालकदास आंकड़े खंगालते हैं। मप्र निर्वाचन आयोग के अनुसार, मतदाताओं का मन जरूर पढ़ना चाहिए कि कैसे और के बड़े हिस्से को अभी भी कितना जागरूक होना महाराज ने भी वोट देकर लोकतंत्र की उम्र बढ़ा दी। 1962 से लेकर 2014 तक हुए 14 लोकसभा चुनावों क्यों वे इस सकारात्मक प्रतिस्पर्धा में पिछड़ रहे हैं? बाकी है? सफेद कपड़ों में सिर मुंडाए युवक पास के ही तिगोड़ा गांव की रेखा अपने नवजात बच्चे में मध्य प्रदेश ने अपना खाता 44.79 मतदान प्रतिशत इसके अलावा भोपाल, ग्वालियर, दतिया, शिवपुरी, शिवेंद्रप्रताप सिंह ने पिता का अंतिम संस्कार कर पुत्र को लेकर वोट देने पहुंची। मतदान केंद्र पर ही बनाए से खोला था। बिना प्रचार-प्रसार के ही 1967 में हुए श्योपुर, शिवपुरी जैसे जिलों में भी 60 फसदी से कम धर्म निभाया। उसके बाद मतदान कर राष्ट्रधर्म का भी गए झूलाघर और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के पास अगले लोकसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत की दर मतदान हुआ था। इस पूरे इलाके में अभी मतदान होना पालन किया। मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव के दूसरे नवजात को छोड़कर उसने गणतंत्र की जिम्मेदारी पूरी 8.67 तक बढ़ गई। यह रिकॉर्ड 1996 में 9.27: पर बाकी हैउम्मीद की जानी चाहिए कि मध्य प्रदेश के ये चरण में हुए मतदान के दौरान यह दृश्य सोशल मीडिया की। जब प्रदेश के छोटे-छोटे गांव, कस्बों और जाकर टूटा। उसके बाद 2014 में यह 16.78 फसदी इलाके पुरानी धारणाओं को तोड़ेंगे और नए उत्साह से, के जरिए देश-प्रदेश में साझा किया गया। जिला तहसीलों में लोग मतदान को लेकर इतना जागरूक हो तक पहुंचा। यदि इस संदर्भ को अलग-अलग देखें तो उपलब्धियों के नए कीर्तिमान बनाएंगे।