आतंकी चुनौती और हमारा सुरक्षा तंत्र

आतंकी चुनौती और हमारा सुरक्षा तंत्र



जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किया जाना भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक सफ्लता है। जैश ने भारत में कई बड़े आतंकी हमले किए हैं। वर्ष 2000 में सेना के 15 कोर मुख्यालय, जो श्रीनगर में बदामी बाग में है, पर हमला किया था। इसके बाद 2001 में संसद पर धावा बोला। 2016 में पठानकोट में वायुसेना के स्टेशन पर आतंकी हमला और 2019 में पुलवामा में नरसंहार भी इसी आतंकी संगठन ने किया। मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने के प्रयास 2009 से ही चल रहे थे, परंतु चीन के असहयोग के कारण ऐसा नहीं हो पा रहा था। अंततरू अंतरराष्ट्रीय दबाव में चीन को झुकना पड़ा, परंतु यह सोचना गलत होगा कि मसूद अजहर पर अंतरराष्ट्रीय आतंकी की छाप लगने के बाद पाकिस्तान सही मायने में उस पर कोई प्रभावी अंकुश लगाएगा। पाकिस्तान के अमेरिका में राजदूत ने स्वयं यह बयान दिया है कि इस कदम का कोई ठोस प्रभाव नहीं पड़ेगा। लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद पर अमेरिका ने एक करोड़ डॉलर का ईनाम घोषित कर रखा है, परंतु यह आतंकी सरगना पाकिस्तान में खुलेआम घूमता है और भारत के विरुद्ध भड़काऊ बयान देता रहता है। कथनी और करनी में अंतर करते हुए और झूठ बोलकर दुनिया को बेवकूफ बनाने की कला में पाकिस्तान माहिर है। पड़ोसी देश श्रीलंका में 21 अप्रैल को जो भीषण आतंकी हमला हुआ, वह भी हमारे लिए खतरे की घंटी है। उस हमले में 250 से अधिक लोग मारे गए और 500 से ज्यादा घायल हुए। इस्लामिक स्टेट यानी आईएस ने श्रीलंका के आतंकी हमलों की जिम्मेदारी ली। इन हमलों को स्थानीय चरमपंथी संगठनों- नेशनल तौहीद जमात और जमीयथुल मिलाथु इब्राहिम ने अंजाम दिया। आईएस हमलों का श्रेय लेकर शायद अपना कद बड़ा करना चाहता है। यह भी हो सकता है कि स्थानीय संगठनों को आईएस के दर्शन से प्रेरणा मिली हो। गौरतलब है कि श्रीलंका के सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल महेश सेनानायके ने अपने हालिया बयान में कहा है कि आत्मघाती हमलावर कश्मीर, कर्नाटक और केरल में प्रशिक्षण और शायद कुछ मदद के लिए गए थे। हमारे एक अन्य पड़ोसी देश बांग्लादेश में तो आईएस ने निश्चित रूप से पैठ बना ली हैजुलाई 2016 में आतंकियों ने ढाका में आर्टिजान बेकरी पर हमला कर कई लोगों को बंधक बना लिया था। इस आतंकी घटना में 29 लोग और दो पुलिसकर्मी मारे गए थे। प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हाल में बयान दिया कि आतंकियों के पुनः हमले की आशंका है और इसके लिए देश की पुलिस व खुफिया विभाग को सतर्क कर दिया गया हैमालदीव में यद्यपि सत्ता परिवर्तन हो गया है, परंतु वहां चरमपंथी अपनी जड़ें जमा चुके हैं। भारत के गृह मंत्री बराबर यह कहते हैं कि देश को इस्लामिक स्टेट से खतरा नहीं है और देश के मुसलमान इस आतंकी संगठन के राजनीतिक दर्शन से प्रभावित नहीं होंगे, परंतु जमीनी हकीकत कुछ और है। यह सही है कि भारत में मुसलमानों की आबादी को देखते हुए आईएस प्रभावित मुसलमानों का प्रतिशत बहुत कम है। इस्लामिक स्टेट ने भारत व बांग्लादेश, दोनों को ही साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल के अनुसार अभी तक चेतावनी दी है। आतंकवाद के बढ़ते खतरे पर जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को केवल 167 लोग इस्लामिक स्टेट के समर्थक होने के पाकिस्तान की चर्चा करना शायद गैरजरूरी हैदुनिया अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किया जाना भारत के संदेह में गिरफ्तार किए गए हैं और इनमें से 73 लोगों में आज आतंकवाद के दो सबसे बड़े स्रोत हैं। एक लिए एक बड़ी कूटनीतिक सफ्लता है। जैश ने भारत में को चेतावनी और सलाह देने के बाद छोड़ा जा चुका पाकिस्तान और दूसरा सऊदी अरब। आर्थिक दृष्टि से कई बड़े आतंकी हमले किए हैं। वर्ष 2000 में सेना के है। इसके अलावा, 98 इस्लामिक स्टेट की तरफ से संपन्न् सऊदी अरब दुनियाभर में वहाबी दर्शन के 15 कोर मुख्यालय, जो श्रीनगर में बदामी बाग में है, लड़ने के लिए सीरिया, इराक या अफगानिस्तान गएप्रचार-प्रसार में मदद दे रहा हैपाकिस्तान तो पर हमला किया था। इसके बाद 2001 में संसद पर इनमें से 33 मारे जा चुके हैंकश्मीर में जब-तब आतंकवादियों की नर्सरी ही है। अफगानिस्तान, ईरान, धावा बोला। 2016 में पठानकोट में वायुसेना के स्टेशन आईएस के झंडे दिखाई देते हैं। महाराष्ट्र, कर्नाटक, भारत और अन्य देश पाकिस्तान से आतंकवादियों के पर आतंकी हमला और 2019 में पुलवामा में नरसंहार केरल मुख्य रूप से प्रभावित प्रदेश माने जाते हैं। उत्तर निर्यात से परेशान हैं। इस तरह आतंकवाद हमारी भी इसी आतंकी संगठन ने किया। मसूद अजहर को प्रदेश में भी कुछ स्थानों पर इस्लामिक स्टेट के समर्थक सीमाओं पर हर दिशा से दस्तक दे रहा है। पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने के प्रयास 2009 से हमलों का श्रेय लेकर शायद अपना कद बड़ा करना होने का अंदेशा है। पिछले साल 4 अप्रैल को नेशनल से तो है ही, श्रीलंका, मालदीव और बांग्लादेश की ओर ही चल रहे थे, परंतु चीन के असहयोग के कारण ऐसा चाहता है। यह भी हो सकता है कि स्थानीय संगठनों इंवेस्टिगेटिव एजेंसी (एनआईए) ने बांदा जनपद से से भी खतरे की घंटी बज रही है। सवाल है कि क्या नहीं हो पा रहा था। अंततरू अंतरराष्ट्रीय दबाव में चीन को आईएस के दर्शन से प्रेरणा मिली हो। गौरतलब है जामिया अरबिया मदरसा के सात युवकों को गिरफ्तार हम इन खतरों से निपटने के लिए तैयार हैं? कुछ हद को झुकना पड़ा, परंतु यह सोचना गलत होगा कि मसूद कि श्रीलंका के सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल महेश किया था। दिसंबर 2018 में एनआईए ने दिल्ली और तक तो हैं, परंतु अगर गहराई में देखा जाए तो अभी अजहर पर अंतरराष्ट्रीय आतंकी की छाप लगने के बाद सेनानायके ने अपने हालिया बयान में कहा है कि उत्तर प्रदेश के 17 स्थानों पर इस्लामिक स्टेट समर्थक बहुत कुछ करना बाकी है। सीमाओं पर सैन्य बल पाकिस्तान सही मायने में उस पर कोई प्रभावी अंकुश आत्मघाती हमलावर कश्मीर, कर्नाटक और केरल में इकाइयों के सक्रिय होने की सूचना होने पर छापे मारे पर्याप्त है, उन्हें किसी खतरे का जवाब देने की भी पूरी लगाएगा। पाकिस्तान के अमेरिका में राजदूत ने स्वयं प्रशिक्षण और शायद कुछ मदद के लिए गए थे। और दस लोगों को (जो हरकत-उल-हर्ब-ए-इस्लाम स्वतंत्रता है, परंतु तटीय सुरक्षा अभी भी जर्जर है। यह बयान दिया है कि इस कदम का कोई ठोस प्रभाव हमारे एक अन्य पड़ोसी देश बांग्लादेश में तो के सदस्य थे) को गिरफ्तार किया। 22 जनवरी 2019 कोस्टल सिक्युरिटी स्कीम मंथर गति से लागू हो रही नहीं पड़ेगा। लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद आईएस ने निश्चित रूप से पैठ बना ली हैजुलाई 2016 को महाराष्ट्र के आतंक-रोधी दस्ते ने नौ लोगों को है। हमें याद रखना होगा कि मुंबई में 26:11 का हमला पर अमेरिका ने एक करोड़ डॉलर का ईनाम घोषित कर में आतंकियों ने ढाका में आर्टिजान बेकरी पर हमला इस्लामिक स्टेट से जुड़े होने के आधार पर गिरफ्तार समुद्री रास्ते से ही हुआ था। सबसे बड़ी कमजोरी रखा है, परंतु यह आतंकी सरगना पाकिस्तान में कर कई लोगों को बंधक बना लिया था। इस आतंकी किया। इनमें से कुछ उम्मत-ए-मोहम्मदिया के सदस्य हमारी पुलिस व्यवस्था की है, जबकि घेरलू आतंकी खुलेआम घूमता है और भारत के विरुद्ध भड़काऊ घटना में 29 लोग और दो पुलिसकर्मी मारे गए थे। थे। पूछताछ से पता चला कि इनका प्रमुख सरगना तत्वों और विदेशी आतंकी संगठनों के समर्थकों से इसी बयान देता रहता है। कथनी और करनी में अंतर करते प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हाल में बयान दिया कि सीरिया में इस्लामिक स्टेट के एक आतंकी के संपर्क बल को सबसे पहले निपटना पड़ता है। पुलिस में हुए और झूठ बोलकर दुनिया को बेवकूफ बनाने की आतंकियों के पुनः हमले की आशंका है और इसके में था। 26 जनवरी 2019 को महाराष्ट्र पुलिस ने ठाणे जनशक्ति और संसाधन की भयंकर कमी है। इसे सशक्त कला में पाकिस्तान माहिर है। पड़ोसी देश श्रीलंका में लिए देश की पुलिस व खुफिया विभाग को सतर्क कर से एक युवक को गिरफ्तार किया। इसके बारे में कहा बनाना और आवश्यक संसाधनों से लैस करना देश के 21 अप्रैल को जो भीषण आतंकी हमला हुआ, वह भी दिया गया हैमालदीव में यद्यपि सत्ता परिवर्तन हो गया जाता है कि वह किसी सार्वजनिक स्थल पर जहर लिए अत्यंत आवश्यक है। आतंकवाद से निपटने की हमारे लिए खतरे की घंटी है। उस हमले में 250 से है, परंतु वहां चरमपंथी अपनी जड़ें जमा चुके हैं। भारत डालकर भारी संख्या में लोगों को मारने की योजना नीति को भी परिभाषित करने की आवश्यकता है। इसी अधिक लोग मारे गए और 500 से ज्यादा घायल हुए। के गृह मंत्री बराबर यह कहते हैं कि देश को इस्लामिक बना रहा था। केरल में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया राष्ट्र तरह आतंकवाद से निपटने के कानून को भी और धार इस्लामिक स्टेट यानी आईएस ने श्रीलंका के आतंकी स्टेट से खतरा नहीं है और देश के मुसलमान इस विरोधी गतिविधियों के चलते गृह मंत्रालय के रडार पर देने की जरूरत है। सरहद के पार जाकर तो हमने हमलों की जिम्मेदारी ली। इन हमलों को स्थानीय आतंकी संगठन के राजनीतिक दर्शन से प्रभावित नहीं हैयह संगठन आतंकी गतिविधियों और राजनीतिक सर्जिकल स्ट्राइक की है और देश को उस पर गर्व भी चरमपंथी संगठनों- नेशनल तौहीद जमात और होंगे, परंतु जमीनी हकीकत कुछ और है। यह सही है हत्याओं में संलिप्त पाया गया है। हाल में एक पोस्टर, है, परंतु सीमा के अंदर भी ऐसे बहुत तत्व हैं, जिन पर जमीयथुल मिलाथु इब्राहिम ने अंजाम दिया। आईएस कि भारत में मुसलमानों की आबादी को देखते हुए जिसका शीर्षक है कमिंग सून (शीघ्र आ रहे हैं), द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक होनी चाहिए।