अधिकांश राज्यों की बकाया देनदारी सीमा से अधिक

अधिकांश राज्यों की बकाया देनदारी सीमा से अधिक



 वर्गीकरण समाप्त कर देने से राज्यों को न केवल 30 के कारण इन 12 राज्य सरकारों का राजकोषीय घाटा प्रतिशत केन्द्रीय हिस्सा अधिक मिलने लगा बल्कि व्यय बढ़ गयाराजस्थान ने अपनी जीएसपी के 88 राराजकोषीय अनुशासन विधिवत सुनिश्चित करने के करने में स्वतंत्रता भी प्राप्त हुई। 2017 में केन्द्र सरकार प्रतिशत कर्ज उठाया, हरियाणा ने 5.4 प्रतिशत और लिए वर्ष 2003 में संसद ने राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं द्वारा एनके सिंह की अध्यक्षता में गठित राजकोषीय मध्यप्रदेश ने 4.8 प्रतिशत कर्ज उठाया। उदय योजना बजट प्रबंधन अधिनियम एफआरबीएम एक्ट-2003 उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम एफआरबीएम अपनाकर डिस्कॉम कर्ज अपना लेने से अधिकांश राज्यों पारित किया जिसने केन्द्र सरकार की घाटे और बकाया एक्ट ने केन्द्र और राज्यों के राजकोषीय प्रशासन की का राजकोषीय घाटा 3.0 प्रतिशत की सीमा से बढ़ गया देनदारियों की सीमा निर्धारित की। इस अधिनियम का स्थिति की समीक्षा की। समिति का सुझाव था कि केवल छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र का राजकोषीय घाटा प्रमुख उद्देश्य राजकोषीय घाटा को सीमित करके राजकोषीय घाटा की बजाय कुल बकाया देनदारियों को उनकी जीएसडीपी का 3.0 प्रतिशत से नीचा रहा। एनके सरकारी उधारियों को अनुशासित करना है ताकि भविष्य मुख्य लक्ष्य एवं मानदंड के रूप में प्रयोग किया जाना सिंह समिति ने राज्यों के लिए जीएसडीपी की कुल की सरकारों पर पुनर्भुगतान का दबाव न पड़े। चाहिए। समिति ने केन्द्र के लिए कुल देनदारियां जीडीपी देनदारियां जीएसडीपी के 20 प्रतिशत तक सीमित रखने एफ्आरबीएम एक्ट के अनुसार राजकोषीय घाटा जीडीपी का 40 प्रतिशत तथा राज्यों के लिए जीएसडीपी का 20 की सिफारिश की थी। यदि इससे अधिक देनदारियां या का 3.0 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। प्रतिशत सीमा की सिफरिश की। एनके सिंह समिति ने कर्ज भार है तो यह राज्य के कमजोर राजकोषीय राजकोषीय घाटा जितना अधिक होगा उसको पूरा करने राजकोषीय घाटा को जीडीपी का 30 प्रतिशत रखने की अनुशासन को इंगित करता है2018-19 में 20 राज्यों के लिए सरकार को उतना अधिक कर्ज लेने को मजबूर बात दुहराई जिससे कुल देनदारियां सीमित रखी जा की देनदारियां उनकी जीएसडीपी की 20 प्रतिशत से होना पड़ेगा जिससे सरकार की देनदारियां बढ़ जाती हैं। सके। पीआरएस लेजिसलेटिव रिफर्स के अनुसार अधिक थीसबसे अधिक कर्जभार जीएसडीपी का 50 केन्द्रीय एफ्बीआरबीएम एक्ट के समान ही राज्यों ने भी केरल, पंजाब, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, प्रतिशत जम्मू एवं कश्मीर पर है, देनदारियों में दूसरे कानून पास करके क्रियान्वयन प्रारंभ किया। उल्लेखनीय महाराष्ट्र और तमिलनाडु भारत के इन सात राज्यों के स्थान पर पंजाब राज्य जीएसडीपी का 41 प्रतिशत हैहै कि केन्द्र सरकार 2003 में इस एक्ट को पारित करने 2018-19 बजट में राजस्व घाटा बताया गया थाइसके तथा तीसरे स्थान पर पश्चिम बंगाल 38 प्रतिशत है। इन से पहले ही 2001 से नवगठित छत्तीसगढ़ राज्य के कारण इनका राजकोषीय घाटा भी जीडीपी के 30 दोनों राज्यों पर बड़ा कर्जभार होने का प्रमुख कारण यह वित्तमंत्री स्वर्गीय रामचन्द्र सिंहदेव ने राज्य का प्रतिशत से अधिक था। जिन राज्यों का राजकोषीय घाटा है कि हर साल ये बढ़ती मात्रा में कर्ज ले रहे हैं। राजकोषीय घाटा और सरकारी कर्ज सीमित रखने की 3.0 प्रतिशत से अधिक था, उनमें मुख्य थे- जम्मू व जीएसडीपी के 21 प्रतिशत से 30 प्रतिशत कर्जभार वाले कवायद प्रारंभ कर दी थी। राजकोषीय घाटा जीएसडीपी कश्मीर 5.1 प्रतिशत, पंजाब 4.8 प्रतिशत, हिमाचल प्रमुख राज्य ये हैं- मध्यप्रदेश 25, उत्तरप्रदेश 26, का 30 प्रतिशत तक सीमित रखने के लिए जरूरी हैप्रदेश 41 प्रतिशत और राजस्थान 4.0 प्रतिशत। 2018- आंध्रप्रदेश 29, तमिलनाडु 23, ओडिशा 23 और कि राज्य का अतिरेक राजस्व बजट हो, तभी विकास 19 में 15 राज्यों का राजकोषीय घाटा उनकी जीएसडीपी झारखंड 27अधिक बकाया देनदारी वाले राज्यों के कार्यों के लिए आवश्यक पूंजीगत व्यय 3 प्रतिशत की का 3.0 प्रतिशत से कम था। गुजरात तथा महाराष्ट्र का साथ एक समस्या यह है कि उनको पुराने कर्ज को सीमा में करना संभव हो पाता है। केन्द्र सरकार द्वारा राजकोषीय घाटा उनकी जीएसडीपी का 1.7 प्रतिशत चुकाने के लिए नया कर्ज लेना पड़ता है। जिन राज्यों 2003 में एफआरबीएम एक्ट पास करने के बावजूद तथा 1.8 प्रतिशत था। इस प्रकार इन दोनों ही राज्यों का कुल देनदारियां 2018-19 में उनकी जीएसडीपी की 20 2014 तक अपना राजकोषीय घाटा जीडीपी के 50 राजकोषीय अनुशासन अच्छा कहा जा सकता है। नवंबर प्रतिशत से कम थी, उनमें गुजरात, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, प्रतिशत से नीचे लाने में असमर्थ रही। जबकि अधिकांश 2015 में केन्द्र सरकार द्वारा राज्यों की सरकारी बिजली कर्नाटक, असम और केन्द्र शासित राज्य दिल्ली राज्य सरकारें अपना राजकोषीय घाटा जीडीपी की 3 0 वितरण कंपनियों डिस्कॉम्स की वित्तीय स्थिति में सुधार उल्लेखनीय हैं। आम तौर पर पूंजीगत खर्चा की पूर्ति के प्रतिशत की सीमा में रखने में कामयाब रही, भले ही हेतु उज्ज्वल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना उदय योजना शुरू लिए ही राज्यों को कर्ज लेने की नौबत आती हैवित्तीय इसके लिए उन्हें अपने अप्रतिबद्ध व्ययों में कटौती करना की गई। इन बिजली कंपनियों पर 31 मार्च 2015 तक वर्ष 2019-20 का पहला महीना बीता है तथा लोकसभा पड़ा हो। भारत में पश्चिम बंगाल राज्य ही एकमात्र राज्य 4 लाख करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज था। उदय चुनाव के कारण आचार संहिता लागू हो जाने से अप्रैल था जिसने राजकोषीय अनुशासन की ओर ध्यान नहीं योजना पर हस्तक्षर करने वाले राज्यों से अपेक्षा की गई महीने में सभी राज्यों ने प्रतिबद्ध व्यय ही किए हैं इसलिए दिया, संभवतरू इसी कारण वामपंथी सरकार ने अपनी थी कि वे इन बिजली कंपनियों का 75 प्रतिशत कर्ज राज्यों को इस माह नया कर्ज लेने की नौबत नहीं आई बिदाई के समय 2010 में एफआरबीएम एक्ट पास दो वर्ष की अवधि में अपने पर ले लेंगे12 राज्यों ने है। चुनाव के बाद राज्यों में सत्तारूढ़ दल द्वारा किए गए किया। 14वें वित्त आयोग द्वारा केन्द्र सरकार के राजस्व डिस्कॉम कंपनियों का 2.19 लाख करोड़ रुपए का कर्ज वादों को देखते हुए बड़ी मात्रा में नया कर्ज लेना पड़ में राज्यों का हिस्सा 32 प्रतिशत से बढ़ाकर 42 प्रतिशत अपने उपर ले लिया, इससे- 2017 के बाद बिजली सकता है, जिससे कुल देनदारी बढ़ने की संभावना है। कर देने एवं योजनांतर्गत तथा गैर-योजनांतर्गत व्यय कंपनियों का कर्ज राज्य सरकार के कर्ज में शामिल होने खासकर जिन राज्यों में कांग्रेस पार्टी सत्तारूढ़ है।