धनबल से मुक्त नहीं हो पाया महापर्व

धनबल से मुक्त नहीं हो पाया महापर्व 


 



यह वाकई चौकाने वाले बॉत है कि जिस सुचिता के साथ लोकतंत्र का उत्सव मनाया जाना चाहिए उतनी सूचिता अभी भी भारतीय महापर्व में दिखाई नहीं दे रही है। बाहुबल से कार्फ हद तक मुक्त भारत का महापर्व धनबल के प्रयोग से दागी बना हुआ हैं। लोकतंत्र के इस महापर्व पर वैधानिक तौर से अरबों खरबों रूपये खर्च हो रहे है। इसके अलावा एक एक चुनावी सभा का अगर वास्तविक खर्चा देखा जाए तो कई कई करोड़ रूपये खर्च हो रहे है। पिछले चारण चरण तक सीमित संसाधनों के चलते जो धन जब्त किया गया है वह चौकाने वाला है। हालांकि इतना ही धन ऐसा रहा होगा जो चोरी छिपे चुनाव में खपाया जा चुका होगा। चुनावों में धनबल का बढ़ता इस्तेमाल गंभीर चिंता का कारण बन रहा है। चुनाव आयोग के एक आंकड़े के अनुसार 23 अप्रैल तक करीब 3200 करोड़ रुपये की वह सामग्री बरामद की जा चुकी है जिसका इस्तेमाल मतदाताओं को लुभाने में किया जाना था। इनमें नकदी के अलावा शराब एवं अन्य वस्तुएं हैजब प्रत्येक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में प्रत्याशियों द्वारा पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है तो इस स्थिति में आम नागरिक लोकतांत्रिक प्रक्रिया से बाहर होता प्रतीत हो रहा है। देश में कोई संस्था चुनावी खर्च को नियंत्रित करने में सक्षम नहीं दिखती। सांसदों की बढ़ती आमदनी भी देश में लोकतंत्र की गतिशीलता को मापने का एक और पैमाना हैचुनाव के दौरान अवैध और ब्लैक मनी के खिलाफ कार्रवाई करने को लेकर चुनाव आयोग और जांच एजेंसियों के बीच विवाद भी उठे। यह विवाद तब उठा था जब इनकम टैक्स ने ताबड़तोड़ मध्य प्रदेश में कांग्रेस और तमिलनाडु में डीएमके नेताओं के यहां छापे मारे थे। इन छापों के बाद आयोग ने सभी जांच एजेंसियों को राजनीतिक रूप से निष्पक्ष कार्रवाई करने की हिदायत दी थी। इसके जवाब में चुनाव अधिसूचना के बाद जब्त किया है नेशनल प्रत्याशियों की तुलना में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले इनकम टैक्स ने भी अपनी कार्रवाई को पूरी तरह जायज इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन मॅर डेमोक्रेटिक उम्मीदवारों के जीतने की संभावनाएं काफी अधिक यह वाकई चौकाने वाले बॉत है कि जिस सुचिता ठहराया था। 2014 के आम चुनाव में 3 अरब के अवैध रिसॅर्स ने इस संदर्भ में व्यापक जानकारियां उपलब्ध होती हैंचुनावों को प्रभावित करने वाला एक और साथ लोकतंत्र का उत्सव मनाया जाना चाहिए उतनी धन की जब्ती हुई थी। चुनाव आयोग की कोशिशों के कराई हैं। ये जानकारियां नामांकन के दौरान दायर किए अहम मुद्दा है धनबल। हालांकि चुनावों में बाहुबल पर सूचिता अभी भी भारतीय महापर्व में दिखाई नहीं दे रही कारण इस बार आम चुनाव के दौरान अवैध धन की गए प्रत्याशियों के शपथपत्रों पर आधारित हैं। तो अंकुश लगा दिया गया है लेकिन चुनावी खर्च बाहुबल से कार्फ हद तक मुक्त भारत का महापर्व जब्ती का रेकार्ड बन रहा है। हालांकि यह भी माना जा निवर्तमान लोकसभा के 521 सांसदों के हलफनामों के निर्वाचन आयोग के नियंत्रण से पूरी तरह बाहर होता धनबल के प्रयोग से दागी बना हुआ हैं। लोकतंत्र के रहा है कि पूरे देश में जिस तरह इस बार अवैध धन से विश्लेषण में जो निष्कर्ष निकलेए वे बहुत चिंतित करने जा रहा है। बड़े पैमाने पर पर्यवेक्षकों की तैनाती और इस महापर्व पर वैधानिक तौर से अरबों खरबों रूपये लेकर ड्रग तक का इस्तेमाल चुनाव में हो रहा है उससे वाले हैं। उक्त संस्थाओं के विश्लेषण के अनुसार 521 मतदाताओं को लुभाने के लिए बड़े स्तर पर दी जाने खर्च हो रहे है। इसके अलावा एक एक चुनावी सभा इसपर रोक लगाने के दावे एक बार फिर गलत साबित सांसदों में से 174 के खिलाफ आपराधिक मामले चल वाली नकदीए सोनाए शराब और मादक पदार्थों की अगर वास्तविक खर्चा देखा जाए तो कई कई करोड़ हो गया हैसबसे अधिक चिंता शराब और ड्रग का रहे हैं। यह आंकड़ा कुल सांसदों के एक तिहाई के जब्ती के बावजूद आयोग इस मामले में असहाय ही रूपये खर्च हो रहे है। पिछले चारण चरण तक सीमित उपयोग बढ़ने को लेकर सामने आई है। चुनाव आयोग बराबर है। इनमें से भी 106 सांसदों के खिलाफ तो दिखता है। शुरुआती दो चरणों तक आयोग 700 करोड़ संसाधनों के चलते जो धन जब्त किया गया है वह से मिली जानकारी के अनुसार 26 अप्रैल तक पूरे देश गंभीर आपराधिक मामले लंबित हैं जिनमें हत्याए हत्या की नकदीए 218 करोड़ की शराब और 1ए152 करोड़ चौकाने वाला है। हालांकि इतना ही धन ऐसा रहा होगा में 3000 करोड़ से अधिक अधिक कैश या दूसरी चीज का प्रयासए अपहरणए सांप्रदायिक विद्वेष फैलाने जैसे रुपये के मादक पदार्थ जब्त कर चुका है। 500 करोड़ चोरी छिपे चुनाव में खपाया जा चुका होगा। चुनावों पकड़ी गई हैं। सूत्रों के अनुसार शुरुआती चरण में ही मामले शामिल हैंमौजूदा लोकसभा में भाजपा के 35 रुपये का सोना और अन्य मूल्यवान धातुएं भी जब्त हुई धनबल का बढ़ता इस्तेमाल गंभीर चिंता का कारण नोट का प्रभाव दिखने के बाद आयोग ने और सख्ती प्रतिशत और कांग्रेस एवं अन्नाद्रमुक के 16 प्रतिशत हैं। इसके अलावा चोरी छिपे कितनी कहाँ पहुंच गई बन रहा है। चुनाव आयोग के एक आंकड़े के अनुसार बढ़ा दी है। सबसे चिंता की बात है कि पूरे देश में सांसद आपराधिक पृष्ठभूमि के हैं। हालांकि इस सूची में इसका कोई ऑकड़ा नही। लोकसभा चुनाव में खर्च 23 अप्रैल तक करीब 3200 करोड़ रुपये की वह समान रूप से इसका प्रभाव दिखा हैचुनाव आयोग ने शिवसेना शीर्षपर है जिसके 83 फसद सांसदों का आसमान छू रहा है। सभी प्रमुख राजनीतिक दल प्रत्येक सामग्री बरामद की जा चुकी है जिसका इस्तेमाल खर्च पर नजर रखने वाले सभी अधिकारियों को हर आपराधिक अतीत रहा है521 मौजूदा सांसदों में से निर्वाचन क्षेत्र में दस.दस करोड़ रुपये तक खर्च कर रहे मतदाताओं को लुभाने में किया जाना था। इनमें नकदी संदिग्ध लेनदेन और राजनीतिक दलों के खर्च पर 430 यानी 83 फेसद करोड़पति थे। इन करोड़पति हैंकई जगहों पर प्रत्याशी भी इतनी रकम लगा रहे हैं। अलावा शराब एवं अन्य वस्तुएं हैजब प्रत्येक कड़ी निगरानी रखने को कहा है। मालूम हो कि हर सांसदों की औसत संपत्ति भी 1472 करोड़ रुपये थी। जिससे यह आंकड़ा 20 करोड़ रुपये तक जा रहा है। लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में प्रत्याशियों द्वारा पानी की संसदीय क्षेत्र में राज्य के हिसाब से एक उम्मीदवार को भाजपा के 87 प्रतिशत सांसद करोड़पति हैं जबकि आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के कुछ चुनाव क्षेत्रों में तो तरह पैसा बहाया जा रहा है तो इस स्थिति में आम 50 से 75 लाख रुपये खर्च करने की अनुमति होती है। कांग्रेस के करोड़पति सांसद 82 फंसद और अन्नाद्रमुक प्रत्याशी द्वारा सांसद बनने के लिए सौ.सौ करोड़ रुपये नागरिक लोकतांत्रिक प्रक्रिया से बाहर होता प्रतीत हो लेकिन जिस तरह से खुद आयोग ने माना है कि इसबार के 78 प्रतिशत हैं। भाजपा सांसदों की औसत संपत्ति तक खर्च किए जाने की खबरें आ रही हैं। एक एक रहा है। देश में कोई संस्था चुनावी खर्च को नियंत्रित रेकार्ड संख्या में अब तक सैकड़ों करोड़ की जब्ती हुई जहां 12 करोड़ तो कांग्रेस सांसदों की औसत संपत्ति रैली करोड़े की पड़ रही हैकोई कल्पना ही कर करने में सक्षम नहीं दिखती। सांसदों की बढ़ती हैए उससे एक बार फि पूरे सिस्टम की समीक्षा करने 1547 करोड़ रुपये थी। सिर्फदो चरणों में प्रत्याशियों सकता है कि सांसद बनने के बाद ये क्या करेंगेघ् आमदनी भी देश में लोकतंत्र की गतिशीलता को मापने की जरूरत है। चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार 19 के शपथपत्रों का विश्लेषण भी चौंकाने वाला हैचुनाव आयोग द्वारा बड़े राज्यों के लोकसभा क्षेत्रों में एक और पैमाना हैचुनाव के दौरान अवैध और मई तक यह आंकड़ा 10 हजार करोड़ तक जा सकता 2ए923 प्रत्याशियों के 2ए856 शपथपत्रों का विश्लेषण खर्च की सीमा बढ़ाकर 70 लाख कर दी गई हैए ब्लैक मनी के खिलाफ कार्रवाई करने को लेकर चुनाव है। अभी दो हजार करोड़ से अधिक की जब्ती और हो दर्शाता है कि इनमें से 464 प्रत्याशी आपराधिक लेकिन प्रत्येक गंभीर उम्मीदवार और उसकी पार्टी आयोग और जांच एजेंसियों के बीच विवाद भी उठे। चुकी है जिसे दर्ज किया जा रहा है। एक रिपोर्ट के पृष्ठभूमि के हैं।अगर 2014 के चुनाव में सफल बीस.बीस करोड़ रुपये तक खर्च कर रहे हैं। इस तरह यह विवाद तब उठा था जब इनकम टैक्स ने ताबड़तोड़ अनुसार इस बार देश के आम चुनाव में एक लाख उम्मीदवारों से तुलना करें तो मौजूदा चुनाव में अगर प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र में दो गंभीर प्रत्याशियों को मध्य प्रदेश में कांग्रेस और तमिलनाडु में डीएमके करोड़ से अधिक खर्च करने का अनुमान है जो पूरे आपराधिक पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों की संख्या में कमी भी मान लें तो वे और उनकी पार्टी चुनावों में 20,000 नेताओं के यहां छापे मारे थे। इन छापों के बाद आयोग विश्व का सबसे महंगे चुनाव में यह एक हो सकता है। आई है। मगर केवल यही सही तस्वीर नहीं हैए क्योंकि करोड़ रुपये से अधिक रकम खर्च करने जा रहे हैं जो सभी जांच एजेंसियों को राजनीतिक रूप से निष्पक्ष इस जब्ती में वह शामिल नहीं है जिसे जांच एजेंसी ने इसका एक दुखद पहलू यह भी है कि स्वच्छ छवि वाले मुख्य रूप से मतदाताओं को रिश्वत ही है।