यूनिवर्सल इनकम बेसिक स्कीम लागू कीजिये

यूनिवर्सल इनकम बेसिक स्कीम लागू कीजिये



जैसे सोना खरीदने में वह रकम देश से बाहर चली परिवारों को इसका 5 प्रतिशत यानि 5000 करोड़ का करोड़ रुपये प्रति परिवार प्रति वर्ष, अथवा 2,500 जाती है। सीधे नकद देने में यह रिसाव बंद हो नुकसान होगा। फर्टलाइजर तथा पेट्रोलियम की रुपये प्रति परिवार प्रति माह बैठती हैइस रकम को चुनाव के इस मौसम में दोनों प्रमुख पार्टियों जायेगा और अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी तीसरा सब्सिडी में उनका हिस्सा कम होगा क्योंकि इन माल देने में सरकार पर कोई अतिरिक्त भार नहीं पड़ेगा। भाजपा तथा कांग्रेस के बीच मतदाता को लुभाने की लाभ होगा कि तमाम कल्याणकारी योजनाओं में की खपत बीपीएल द्वारा कम की जाती है। शेष अब देखें कि बीपीएल परिवार पर इस योजना का घोषणाएं की जा रही हैं। पहले भाजपा के वित्त मंत्री ने व्याप्त नौकरशाही के भ्रष्टाचार से मुक्ति मिल जाएगी। 95,000 करोड़ का घाटा एपीएल परिवारों को होगा। क्या प्रभाव पड़ेगा। बीपीएल को कल्याणकारी अन्तरिम बजट में ऐलान किया कि हर छोटे किसान के इन सभी लाभों को देखते हुए देशवासियों को सीधे सरकार कुछ रकम अतिरिक्त टैक्स लगाकर अर्जित योजनाओं के निरस्त होने से 102,000 करोड़ की खाते में 6,000 रुपये की रकम प्रतिवर्ष सीधे डाल दी रकम देने की योजना को लागू करना चाहिए। कर सकती है। अपने देश में पेट्रोल और डीजल की हानि होगी। फर्टिलाइजर एवं पेट्रोलियम सब्सिडी जाएगी। इसके बाद कांग्रेस ने ऐलान किया कि यदि लेकिन सभी को संशय है कि इतनी बड़ी रकम कहां 14,532 करोड़ लीटर की खपत होती हैइस पर 10 समाप्त करने से 5,000 करोड़ की हानि होगी। पेट्रोल वह सत्ता में आई तो गरीब व्यक्ति को यानि केवल से आएगी? इस संशय को बल इस बात से भी रुपये प्रति लीटर का यूबीआईएस सैस लगा दिया एवं जीएसटी पर यूबीआईएस सैस लगाने से छोटे किसान को ही नहीं, बल्कि देश के हर गरीब मिलता है कि विश्व में केवल एक देश ने जाये तो 140,000 करोड़ रुपये अर्जित हो सकते हैं। 26,000 करोड़ की हानि होगी। कुल 133,000 नागरिक के खाते में 6,000 रुपया प्रतिमाह या यूबीआईएस को प्रयोग के रूप में लागू किया गया इसी प्रकार जीएसटी पर यदि 10 प्रतिशत करोड़ की हानि होगी। इसके सामने यूबीआईएस से 72,000 रुपये प्रतिवर्ष की रकम सीधे डाली जाएगी था, फिनलैंड में। और फिनलैंड ने इस योजना को यूबीआईएस सैस लगा दिया जाये तो 120,000 बीपीएल परिवारों को कुल 870,000 करोड़ का एक जिससे वह अपनी मौलिक जरूरतों को पूरा कर केवल 2 साल बाद ही त्याग दिया क्योंकि इस करोड़ रुपये प्रतिवर्ष अर्जित हो सकते हैं। इन दोनों तिहाई यानि 287,000 करोड़ रुपये का लाभ होगा। सकें। दोनों पार्टियों को यह समझ आ रहा है कि योजना को लागू करने का आर्थिक भार बहुत मदों पर 260,000 करोड़ रुपये अर्जित किये जा इस प्रकार बीपीएल परिवारों को 154,000 करोड़ सरकारी योजनाओं से गरीब को राहत पहुंचाने की अधिक था। लेकिन मेरे गणित के अनुसार अपने देश सकते हैं। इसमें बीपीएल पर भार 10 प्रतिशत यानि रुपये का शुद्ध लाभ होगा एपीएल के लिए भी यह योजनाएं सफल नहीं हुई हैं। इस प्रस्तावित नकद में यह भय निर्मूल है चूंकि हम बहुत बड़ी रकम 26,000 करोड़ रुपये पड़ेगा, जबकि एपीएल पर भार सौदा लाभ का है। उन्हें विभिन्न सब्सिडियों को ट्रान्सफ योजना का एक सीधा लाभ यह होगा कि कल्याणकारी योजनाओं पर व्यय कर रहे हैं। देश की 90 प्रतिशत यानि 234,000 करोड़ पड़ेगा क्योंकि समाप्त करने से 102,000 करोड़ रुपये की हानि गरीबी पूरी तरह दूर हो जाएगी बशर्ते सभी नागरिकों सरकार यदि चाहे तो यूबीआईएस के लिए धन जुटा पेट्रोल एवं अन्य वस्तुओं की अधिकाधिक खपत होगी। र्टिलाइजर एवं पेट्रोलियम की सब्सिडी को को इन योजनाओं में शामिल किया जाए। ऐसे नकद सकती है। गणित इस प्रकार है- केंद्र सरकार द्वारा एपीएल परिवारों द्वारा ही की जाती है। केंद्र सरकार समाप्त करने से 95,000 करोड़ रुपये की हानि होगीट्रान्सफ को यूनिवर्सल इनकम बेसिक स्कीम अथवा कल्याणकारी योजनाओं पर निम्न प्रकार के खर्च द्वारा आयकर पर यदि 10 प्रतिशत का यूबीआईएस पेट्रोल और जीएसटी पर यूबीआईएस सैस से यूबीआईएस कहा जाता है। जैसे यदि केवल किये जा रहे हैंरू खाद्य सब्सिडी पर 140,000 करोड़ सैस लगा दिया जाये तो 100 करोड़ रुपये अर्जित 234,000 करोड़ की हानि होगी और इनकम टैक्स बीपीएल धारकों को यह रकम दी जाती है तो यह रुपए प्रतिवर्ष, रोजगार गारंटी एवं दूसरी किये जा सकते हैं जिसका पूरा भार एपीएल परिवारों पर सैस लगाने से 100,000 करोड़ की हानि होगी। पर्याप्त नहीं होगा क्योंकि कई अध्ययन बताते हैं कि कल्याणकारी योजनाओं पर 136,000 करोड़ एवं पर पड़ेगा क्योंकि बीपीएल परिवार आयकर नहीं देते कुल हानि 531,000 करोड़ होगीइसके सामने तमाम गरीबों के पास बीपील कार्ड नहीं हैं। इसलिए शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर 134,000 करोड़, कुल हैं उपरोक्त गणना के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा 870,000 करोड़ रुपये की कुल यूबीआईएस राशि में यदि यह योजना सभी देशवासियों के ऊपर लगाई 410,000 करोड़। इस रकम का मेरे आंकलन में 410,000 करोड़ विभिन्न सब्सिडियों को समाप्त इनका दो तिहाई हिस्सा होगा यानि इन्हें 574,000 जाती है तो गरीबी निश्चित रूप से दूर हो जाएगी। इस आधा यानि 205,000 करोड़ प्रशासनिक खर्च में करके, 100,000 करोड़ फर्टलाइजर एवं पेट्रोलियम करोड़ रुपये मिलेंगे। इस प्रकार इन्हें भी 43,000 योजना का दूसरा लाभ होगा कि अर्थव्यवस्था में मांग जाता है। शेष का आधा यानि 102,000 करोड़ सब्सिडी समाप्त करके, 260,000 करोड़ रुपये पेट्रोल करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ होगा। अंतिम आंकलन बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था चल निकलेगी। गरीब के बीपीएल परिवारों को मिलता है और शेष का आधा एवं जीएसटी पर सैस लगाकर और 100,000 है कि केंद्र सरकार अपने ही बल पर यूबीआईएस पास धन आएगा तो वह उस रकम से कपड़ा और 102,000 करोड़ एपीएल परिवारों को मिलता है करोड़ इनकम टैक्स पर सैस लगाकर अर्जित किये को लागू कर सकती है। वित्त मंत्री ने जो छोटे साईकिल खरीदेगा और अर्थव्यवस्था में मांग और जिसका बीपीएल को नुकसान होगा। केंद्र सरकार जा सकते हैं। यह कुल मिलाकर 870,000 करोड़ किसान को सीधे रकम देने का वायदा किया है, निवेश का सुचक्रस्थापित हो जायेगा। यही रकम यदि द्वारा ही फर्टलाइजर एवं पेट्रोलियम पर 100,000 होता है। इस रकम से 135 करोड़ लोगों को 6,000 उसका विस्तार करना चाहिए। कांग्रेस को भयग्रस्त कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से व्यय की करोड़ रुपये की सब्सिडी हर वर्ष दी जा रही है। इसे रुपये प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष दिया जा सकता है। यदि होकर यूबीआईएस को केवल गरीबों पर लागू करने जाती है तो उसके एक हिस्से का रिसाव हो जाता हैसमाप्त कर दिया जाये तो मेरे आंकलन में बीपीएल पांच लोगों का परिवार माने तो यह रकम 30,000 के स्थान पर सम्पूर्ण जनता पर लागू करना चाहिए।