गन्ना किसानों को खतौनी राजस्व कर्मियों से प्रमाणित कराने की आवश्यकता नहीं


लखनऊ। नोडल अधिकारियों को भी अपने आवंटित परिक्षेत्रों में भ्रमण कर कतिपय स्थानों पर गन्ना कृषकों के समक्ष आ रही समस्याओं के निराकरण के निर्देश देते हुए प्रमुख सचिव, भूसरेड्डी ने कहा कि सर्वे कार्य की शुद्धता एवं पारदर्शिता के लिए प्रभावी कदम उठाये जाने की आवश्यकता है जिसके तहत सर्वे कार्य के दौरान नये सदस्यों का शत्प्रतिषत सत्यापन तथा कृषकों के घोषणा-पत्र, खसरा-खतौनी एवं अन्य अभिलेखों की जांच में कड़ाई बरती जाए। बैठक में आगामी गन्ना पेराई सत्र के सफल एवं शीघ्र संचालन के तहत चीनी मिलों की आॅफ सीजन रिपेयर एवं मेन्टीनेन्स कार्य यथा रोलर, बायलर, क्वार्ड, केन कैरियर, टरबाईन, के निरीक्षण तथा गत वर्षों में हुए ब्रेक डाउन से बचाव के निर्देश दिये गये जिससे पेराई कार्य प्रभावित न हो। बैठक में अधिकारियों की सुविधा के लिए गन्ना सर्वे एनालिसिस साॅफ्टवेयर एवं ई-नाम व ई-रकम से सम्बन्धित तकनीकी प्रस्तुतिकरणदिया गया।


चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग के प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में विभागीय अधिकारियों के साथ एक दिवसीय विस्तृत व गहन मासिक समीक्षा बैठक शनिवार को लाल बहादुर शास्त्री, गन्ना किसान संस्थान, उ.प्र. लखनऊ के सभागार में सम्पन्न हुई। बैठक में गन्ना सर्वेक्षण की अद्यतन स्थिति की जानकारी, गन्ना मूल्य भुगतान, गन्ना समितियों के क्रिया-कलापों, प्रचार-प्रसार, लेखा एवं प्रषासनिक प्रकरणों से सम्बन्धित बिन्दुओं पर समीक्षा करते हुए गन्ना सर्वेक्षण कार्यो को तत्काल पूर्ण करने तथा फर्जी सट्टों को तत्काल निरस्त करने को कहा।


 


गन्ना एवं चीनी, आयुक्त मनीष चैहान ने कुछ क्षेत्रों में आ रही तकनीकी समस्याओं के दृष्टिगत बताया गया कि गन्ना सर्वेक्षण का कार्य पूर्ण होने की तरफ अग्रसर है तथा कुछ किसानों को अवगत कराया गया है कि राजस्व विभाग से खतौनी मिलने में कठिनाई आ रही है, ऐसी स्थिति में कृषकों से अनुरोध है कि वे अपने नजदीकी जनसेवा केन्द्रों से या इन्टरनेट से अपनी खतौनी की प्रति निकलवाकर उसे स्वः प्रमाणित कर सर्वे कर्मी के समक्ष प्रस्तुत कर सकते हैं। कृषक को खतौनी में अपने हिस्से को राजस्व कर्मियों से प्रमाणित कराने की आवश्यकता नहीं होगी, अपितु उनके घोषणा-पत्र में दर्ज किये गये हिस्से को ही वैद्य प्रमाण माना जायेगा। सर्वेक्षण के समय अपने गन्ना क्षेत्रफल के संबंध में किसान को निर्धारित प्रारूप पर घोषणा पत्र भरकर देना होगा। घोषणा पत्र नही भरने पर किसान का सट्टा संचालित नही होगा और गन्ना आपूर्ति की सुविधा भी अनुमन्य नहीं होगी।