कानपुर। हर व्यक्ति सामाजिक बदलाव का माध्यम बनना चाहता है, किन्तु इसके लिए पहले आंतरिक बदलाव जरूरी हैं। स्टेप एचबीटीआई में इंडक्शन सप्ताह के दौरान अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय से आए इंडियन स्कूल ऑफ डेमोक्रेसी के संस्थापक प्रखर भारतीय ने कहा कि आंतरिक बदलाव से ही सामाजिक बदलाव की राह खुलेगी।
एमबीए व पीजीडीएम प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों से संवाद करते हुए प्रखर ने कहा कि जीवन में सफलता के लिए मोटिवेशन बहुत जरूरी है। ऐसे में डीमोटीवेट करने वाले लोग ज्यादा मिलेंगे, किन्तु अपने ऊपर उसका प्रतिकूल प्रभाव न पड़ने दें। अधिकारों के साथ कर्तव्यों पर भी फोकस करें और अपनी जिम्मेदारी समझना शुरू करें। आप जहाँ हैं, वहाँ क्या कर सकते हैं, उसका ध्यान रखें। सम्मान के साथ प्यार से कठिन से कठिन बात उठाई जा सकती है। नई पीढ़ी के सामने रोल मॉडल का संकट है। जैसे रोल मॉडल होंगे वैसा ही समाज बनेगा। इन स्थितियों में लोकतंत्र के सभी स्तंभों पर ध्यान देने की जरूरत है। देश बदलने के लिए देश को समझना जरूरी है। साथ ही हमें जिम्मेदारी स्वीकार करने की पहल करनी होगी। इसके लिए सामाजिक घटनाओं को गंभीरता से लेना होगा। जिस तरह सामाजिक विषमता देश के सामने बेहद गंभीर समस्या बनती जा रही है, इस समय लोकतंत्र के सभी स्तंभों पर ध्यान देने की ज़रूरत है।
स्मार्ट मोबाइल बना रहे बुद्धू
सामाजिक संस्था यूथ एलायंस के सीईओ शशांक कालरा ने कहा कि मोबाइल नई पीढ़ी का बहुत नुकसान कर रहे हैं। मोबाइल फोन तो स्मार्ट हो रहे हैं, किन्तु ये हमें बुद्धू बना रहे हैं। युवावस्था मे जरूरी है कि हम अपनी खुशियों को परिभाषित करें और स्वयं का विश्लेषण कर आगे की राह चुने। नई पीढ़ी के पास अवसर तो बढ़ रहे हैं किन्तु हमारे दिमाग की खिड़किया बंद कर दी गयी हैं। इस दौरान समन्वयक प्रो. मनोज शुक्ला, प्राचार्य डॉ.आशीष त्रिवेदी, उपप्रबंधक डॉ.संजीव मिश्र, डॉ.सीके तिवारी, डॉ.सतीश ओझा, डॉ.योगेश पुरी. केके भारतीय, रितु सिंह, डॉ.शुचिता शुक्ला, स्मिता द्रोण, प्रियंका गुप्ता, राशी सक्सेना, रिचा मिश्रा आदि उपस्थित रहे।
आंतरिक बदलाव से खुलेगी सामाजिक बदलाव की राह