लोकतंत्र सेनानी नहीं होते, तो नहीं बचता देश में लोकतंत्रः शिवराज सिंह चौहान


                भोपाल। हर तरह की परेशानियां सहते हुए, तमाम कष्ट उठाते हुए उन्होंने लोकतंत्र की रक्षा की। सरकार के दमनचक्र के चलते कितने ही लोकतंत्र सेनानियों ने दम तोड़ दिया, लेकिन वे झुके नहीं, डटे रहे। यदि ये लोकतंत्र सेनानी नहीं होते, तो देश में लोकतंत्र भी नहीं बचता। 


लोकतंत्र सेनानियों का सम्मान अपराध नहीं


                पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष  शिवराजसिंह चौहान ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रदेश कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में लोकतंत्र सेनानियों का सम्मान करते हुए  कहा कि उस समय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी तानाशाह बन गई थीं। यदि लोकतंत्र सेनानी न होते, तो पता नहीं देश का क्या स्वरूप होता। हमें लगा कि लोकतंत्र सेनानियों का सम्मान होना चाहिए। उनका सम्मान करके हम पाप नहीं कर रहे, अपराध नहीं कर रहे। उनके परिवार के परिवार तबाह हो गए थे, इसलिए हमारी सरकार ने उन्हें सम्मान निधि दी थी।  चौहान ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस पर जिस तरह स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान करते हैं, उसी तरह लोकतंत्र बचाने वालों का सम्मान भी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार ने लोकतंत्र सेनानियों का जो अपमान किया है, यह सहन नहीं किया जाएगा। उन्होंने लोकतंत्र सेनानियों का शॉल-श्रीफल से सम्मान किया।


कई परिवार तबाह कर दिए गए


                लोकतंत्र बचाने की इस लड़ाई में सरकार ने कई परिवार तबाह कर दिए। कई गरीब कार्यकर्ता थे, रोजी-रोटी चलाते थे, किसी की दुकान थी, कोई छोटा-मोटा काम करता था, सभी के धंधे चौपट हो गए। उनके बच्चे सड़कों पर आ गए। परिवार तबाह और बर्बाद हो गए। लेकिन उन्होंने दमदारी के साथ लड़ाई लड़ी। वे पूरी ताकत के साथ खड़े रहे और लोकतंत्र बचाया। लोकतंत्र सेनानियों के इस संघर्ष के रूप में आजादी की तीसरी लड़ाई लड़ी गई। अगर ना लड़ते, तो ना बचता लोकतंत्र। पूरा देश कैदखाने में तब्दील हो गया था। न अपील, न वकील और न दलील, कुछ नहीं चलता था। पकड़ो और ठूंसो, मारो और जेल में बंद कर दो, बस यही चलता था।


                बैठक में वरिष्ठ नेता तपन भौमिक, रघुनंदन शर्मा, पूर्व सांसद आलोक संजर, जिला अध्यक्ष विकास वीरानी सहित लोकतंत्र सेनानी उपस्थित थे।