मध्यप्रदेश में कितनी सुरक्षित है बेटियां ?



                भोपाल। मध्यप्रदेश में दुधमुंही बच्चियों से लेकर स्कूली छात्राएं तक हैवानियत की शिकार हो रही हैं। बच्चियां न घरों में सुरक्षित हैं, न स्कूल में और न मां के आंचल में। मुख्यमंत्री कमलनाथ को उन्नाव की दुष्कर्म पीड़िता को प्रदेश में बसने का आमंत्रण देने से पहले यह बताएं कि मध्यप्रदेश की कानून व्यवस्था आज किस दौर में पहुंच गयी है। मध्यप्रदेश की बेटियों को कितनी सुरक्षा वे दे पा रहें हैं ? यह बात भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद  राकेश सिंह ने मुख्यमंत्री कमलनाथ ने उन्नाव की दुष्कर्म पीड़िता को दिए गए प्रदेश में बसने के आमंत्रण पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कही। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का यह आमंत्रण बताता है कि वे संवेदनशील विषयों पर भी राजनैतिक रोटियां सेंकने से बाज नहीं आते हैं।


                 राकेश सिंह ने कहा कि जब से प्रदेश में कमलनाथ सरकार सत्ता में आई है, बच्चियों और मासूमों पर जुल्म का सिलसिला थम नहीं रहा है। कहीं दुधमुंही बच्ची को मां के आंचल से छीनकर हैवानियत का शिकार बनाया जाता है, तो कहीं किसी मासूम बच्ची की जिंदगी का सौदा टॉफी या चॉकलेट के बदले में किया जा रहा है। प्रदेश में दिनदहाड़े बच्चों को स्कूलों से उठाया जा रहा है और फिरौती वसूलने के बाद भी उनकी निर्मम हत्या कर दी जाती है। राजधानी भोपाल में ही पुलिस चार दिनों तक एक अगवा बच्चे की खोज का नाटक करती रही और बच्चे को निर्ममतापूर्वक जलाकर मार डाला गया। दूसरी तरफ कमलनाथ की पुलिस एक युवक की पीट-पीटकर जान ले लेती है और सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती। प्रदेश के हालात इतने बदतर होने पर भी मुख्यमंत्री कमलनाथ सारी हदें पार करते हुए उन्नाव की दुष्कर्म पीड़िता को मध्यप्रदेश में बसने का आमंत्रण दे रहे हैं। सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री कमलनाथ दुष्कर्म पीड़िता को बेटी की तरह का सुरक्षा देने का वादा कर रहे हैं तो उन्हें यह बताना चाहिए कि क्या प्रदेश में दुष्कर्म और हत्या की शिकार हो रही बेटियों को मुख्यमंत्री अपनी बेटियां नहीं मानते? या फिर वे उन्नाव की दुष्कर्म पीड़िता को भी ऐसे ही असुरक्षित माहौल के बीच प्रदेश में बसने का आमंत्रण दे रहे हैं?