इज्जत देने से इज़्ज़त मिलती है- प्रो.एनबी सिंह
कानपुर।
हरकोर्ट बटलर प्राविधिक विश्वविद्यालय (एचबीटीयू) परिसर स्थित स्टेप-एचबीटीआई में एमबीए व पीजीडीएम प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों का इंडक्शन व ओरिएंटेशन सप्ताह बुधवार से शुरू होगा। प्रातः 10ः30 बजे से एचबीटीयू के कुलपति प्रो.एनबी सिंह की अध्यक्षता में उद्घाटन सत्र को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के उपनिदेशक प्रो.मनीन्द्र अग्रवाल मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करेंगे। स्टेप के समन्वयक प्रो. मनोज शुक्ल ने बताया कि विद्यार्थियों को इस सप्ताह के दौरान देश-विदेश के विद्वानों का मार्गदर्शन प्राप्त होगा। इनमें ब्रांड जगत के दिग्गज आलोक सांवल, कोलंबिया विश्वविद्यालय से प्रखर भारतीय, टैक्स विशेषज्ञ संतोष गुप्ता, चार्टर्ड एकाउंटेंट दीप मिश्र, अधिवक्ता चिन्मय पाठक आदि शामिल हैं।
मणीन्द्र अग्रवाल का जन्म २० मई १९६६, इलाहाबाद में हुआ। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के संगणक विज्ञान एवं अभियान्त्रिकी विभाग में प्रोफेसर है। संगणक विज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए सन् २०१३ में भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री प्रदान किया।
अग्रवाल ने आईआईटी कानपुर से बी.टेक. एवं पीएचडी की उपाधियाँ प्राप्त की। उन्होंने नीरज कयाल एवं नितिन सक्सेना के साथ मिलकर ऐकेएस पराएमीलिटी टेस्ट का आविष्कार किया, जिसके लिए उन्हें उनके सहकर्ताओं के साथ संयुक्त रूप से वर्ष २००६ का प्रतिष्ठित गोडेल पुरस्कार मिला.
वर्ष २००८ में गणित के क्षेत्र में उनके असीम योगदान के लिए अग्रवाल का चयन प्रथम इन्फोसिस गणित पुरस्कार के लिए किया गया।
प्रो.एनबी सिंह ने कहा कि हमे अपने व्यवहार में प्रबंधन को लाना चाहिए जिससे परिवार, कार्यालय तथा समाज मे समरसता आ सके। इज्जत देने से इज़्ज़त मिलती है।
प्रो मनिंद्र अग्रवाल ने अपने व्याख्यान मे प्रबंधन के पढ़ाई के महत्व को बताते हुए छात्रों में लीडरशिप की गुणवत्ता विकसित करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि एक अच्छा मैनेजर अपनी लीडरशिप में सभी का कल्याण कर सकता है।
कोई साधारण सा विचार भी समाज की दिशा बदल सकता है।
इस बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज के निधन पर दो मिनट का मौन रख उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।
अधिवक्ता चिन्मय पाठक ने कहा कि विद्यार्थियों को हर स्तर पर चौकन्ना रहना चाहिए। कई बार छोटी घटनाएँ भी बड़े अवसर लेकर आती है।
ब्राण्ड गुरु आलोक साँवल ने कहा कि दुनिया में कुछ भी कठिन नहीं है। कई बार हम विद्वानों से ज़्यादा आसपास के लोगों से सीखते हैं। हमेशा विश्लेषण करें कि जो काम आप कर रहे हैं क्या आप वो काम करना चाहते हैं। अपने दिल की सुन कर ही आगे बढ़ें। इन सबके बीच पढ़ाई पर फ़ोकस करना भी ज़रूरी है।
इस अवसर पर अध्यक्ष एन बी सिंह, उपनिदेशक आई आई टी के प्रो मनिंद्र अग्रवाल, उपप्रबंधक डॉ संजीव मिश्र, कोऑर्डिनेटर प्रो मनोज शुक्ल तथा प्रिन्सिपल डॉ आशीष त्रिवेदी के अलावा अन्य शिक्षक तथा प्रथम वर्ष के एम बी ए व पीजीडीएम के छात्र उपस्थित रहे।