भले ही मैं सीएम नहीं, लेकिन मेरा दिल पीड़ितों के साथ- शिवराजसिंह चौहान


    मंदसौर। मैं मंदसौर में बाढ़ और अति वर्षा से पीड़ित हुए लोगों के बीच हूं। मैंने जब लोगों के बीच पहुँचकर उनका सहयोग करना शुरू किया, उनसे संवाद कर उनकी तकलीफें जानना शुरू किया, तो कांग्रेस के मित्रों ने मुझ पर तरह- तरह के आरोप लगाना शुरू कर दिये। कांग्रेस के लोगों ने मुझे ही गालियां देना शुरू कर दिया। मैं फिर भी यही कहता हूं, यह समय 'मैं और तू' करने का नहीं है, बल्कि लोगों के सहयोग के लिए साथ खड़े होने का है । यह बात पूर्व मुख्यमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान ने मंदसौर में मीडिया से चर्चा करते हुए कही।


पीड़ितों के साथ खड़े होने का समय


               चौहान ने कहा कि मैं पूरे प्रदेश से भी अपील करता हूं कि संकट की इस घड़ी में मंदसौर और नीमच के भाई-बहनों के साथ खड़े हों और उन्हें राहत सामग्री पहुंचाएं। लोगों की सहायता के लिए मैंने, क्षेत्रीय सांसद,  विधायकों ने एक माह की सैलरी देने का निर्णय किया है। रतलाम, उज्जैन से हमारे विधायकों, साथियों,  कार्यकर्ताओं ने ट्रक भरकर राहत सामग्री भेजी है। भोपाल और इंदौर से भी राहत सामग्री आ रही है।  चौहान ने कहा कि बाढ़ राहत के लिए मैंने मुख्यमंत्री से बात की, कमिश्नर- कलेक्टर से चर्चा करके उन्हें स्थिति से अवगत कराया है। मैं फिर सरकार से अपील कर रहा हूं कि मंदसौर और नीमच में जल्द से जल्द लोगों के लिए राहत पहुंचाएं । उन्होंने कहा कि भले ही मैं मुख्यमंत्री नहीं हूं,  लेकिन मेरा लोगों से दिल का रिश्ता है और इस संकट के समय में मैं उनके साथ खड़ा हूं।


गांधी सागर बांध में इतना पानी भरा कैसे ?


                चौहान ने कहा कि गांधी सागर बांध में इतना पानी जमा कैसे हो गया, सरकार को इस पर श्वेत पत्र लाना चाहिए। उन्होंने कहा कि डैम से पानी निकालने का समय निर्धारित होता है। किस माह तक कितना पानी रहेगा और कितना निकालना है, यह तय रहता है। फिर गांधी सागर बांध का पानी फुल लेवल तक कैसे पहुंच गया ? उन्होंने सवाल किया कि जुलाई, अगस्त माह में डैम से पानी क्यों नहीं निकाला गया? बांध के गेट एक साथ क्यों खोले गए। मौसम विभाग चेतावनी देता रहा, लेकिन मुख्यमंत्री और प्रशासन कुंभकरण की नींद सो रहे थे। उन्होंने कहा कि यह शताब्दी की सबसे बड़ी त्रासदी है और इस लापरवाही के लिए जो भी जिम्मेदार है, उस पर कार्यवाही होनी चाहिए।


इससे भयंकर मंजर नहीं देखा


                पूर्व मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि मुझे लोग अपने घर ले लेकर जा रहे हैं । एक-एक घर दिखा रहे हैं। यह देखकर आत्मा दुखती है कि प्रशासन कहीं नहीं दिख रहा है। उन्होंने कहा कि मैंने अपनी जिंदगी में इससे भयंकर मंजर नहीं देखा है। नींव सहित घर बह गए हैं। अनाज सड़ गया है, बर्तन-भांडे,  गाय-भैंस सब बह गए। राशन कार्ड, आधार कार्ड घर का सारा सामान बर्बाद हो गया है। देवरान में 70 ट्रैक्टर अनाज सहित बह गए। मंदसौर में व्यापारियों की दुकानों के अंदर तक घुस गया, पूरा माल खराब हो गया।  चौहान ने कहा कि मुख्य सचिव पत्रकारवार्ता में कह रहे है कि सब ठीक है,  कोई समस्या नहीं है। यदि सब ठीक है तो रामपुरा कैसे बह गया ? वहां की रिंग वाल कैसे टूट गई ? रामपुरा के लोग कह रहे हैं कि एकदम से पानी आया , किसी ने कोई सूचना नहीं दी।


जनता के बीच जाकर सहायता करें मंत्री


                 चौहान ने कहा कि सरकार के मंत्री मुझे गाली देने की जगह जनता के बीच जाएं और उन्हें तत्काल सहायता पहुंचाएं। मैं प्रशासन से आग्रह करता हूं कि सबसे पहले बाढ़ पीड़ितों को 25 हज़ार रुपये, 50 किलो अनाज और  5 लीटर केरोसीन का तेल दें ताकि कम से कम उनका चूल्हा जल सके, वे रोटी खा सकें। जिनके मकान तबाह हो गए हैं उन्हें नए मकान बना कर दें और 6- 8 महीने के लिए अस्थाई शेड बना कर दें । गांवों में अनेक लोगों को बड़े-बड़े बिजली के बिल आए हैं और कुर्की का नोटिस भी मिला है। मैं प्रशासन से अपील करता हूं कि बाढ़ के बाद ये लोग बिजली के बिल देने में असमर्थ हैं, इसलिए बिल माफ किए जाएं और नोटिस जल्द वापस लिए जाएं । बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए।


अब तो कर्जा माफ कर दो


                 चौहान ने कहा कि किसान पूरी तरह बर्बाद हो चुका है, 100 प्रतिशत नुकसान हुआ है। मैं सरकार से मांग करता हूं कि 40000 रुपए प्रति हेक्टेयर की दर से किसानों को मुआवजा दे। गेहूं और चने की बुवाई के लिए सरकार इन्हें जीरो प्रतिशत पर कर्ज दे। मुख्यमंत्री से अपील है कि मंदसौर की धरती पर आप ही ने वचन दिया था कि किसानों का कर्ज 10 दिनों में माफ कर देंगे। अब तो उनका कर्जा माफ कर दो।


21 तक राहत नहीं दी, तो धरना-प्रदर्शन करेंगे


                 चौहान ने कहा कि मैं आज मुख्यमंत्री जी को कलेक्टर के माध्यम से ज्ञापन दे रहा हूं। सरकार से प्रार्थना है कि लोगों की मदद करना शुरू करे। अगर आप पर्याप्त राहत की व्यवस्था नहीं करते हैं तो 21 सितंबर को हम वापस आएंगे । हम मंदसौर-नीमच में शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन करेंगे । हमारा यह आंदोलन अहिंसक होगा,  हम राहत की मांग के लिए सरकार पर दबाव बनाएंगे ।  चौहान ने कहा कि मुझे विश्वास है कि सरकार तत्परता के साथ काम करेगी जिससे आंदोलन करने की नौबत ही नहीं आएगी।