भोपाल। ऐसे किसान जो पहले ही कुदरत के कहर से पीड़ित हैं। जिनका सब कुछ बाढ़ और अतिवृष्टि में तबाह हो गया। कमलनाथ सरकार अपराधियों की तरह ऐसे लाचार किसानों की तस्वीर खिंचवा रही है। इन किसानों की तस्वीरों में जो दिख रहा है, वह इन किसानों का नहीं, इस असंवेदनशील सरकार का अमानवीय चेहरा है।
राकेश सिंह ने कहा कि बाढ़ और अतिवृष्टि के कारण प्रदेश में जो बर्बादी हुई है, वह विकट है। घर और मवेशी बह गए, फसलें बर्बाद हो गईं, गृहस्थी का सामान और बच्चों की किताबें तक बाढ़ और बारिश की भेंट चढ़ गईं। ऐसे में कुंभकरणी नींद में सोई इस सरकार ने अब जाकर किसानों की सुध ली है। सरकार ने सर्वे तो शुरू कराया, लेकिन उसके तौर तरीके सामंती युग की याद दिलाते हैं, जब जरा सी सरकारी मदद भी उन्हें अहसान के तौर पर दी जाती थी और इसके लिए किसानों को कई अपमानजनक काम करना पड़ते थे।
सिंह ने कहा कि कांग्रेस की कमलनाथ सरकार अन्नदाता को भिखारी समझने की भूल न करे। इस सरकार ने कैदियों की तरह तस्वीरें खिंचाकर उस अन्नदाता का अपमान किया है, जो अपने उगाए अन्न से पूरी धरती का पेट भरने की सामर्थ्य रखता है। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी तबाही के बाद अगर प्रदेश के किसान सरकार से मुआवजे की अपेक्षा रखते हैं, तो यह उनका अधिकार है। वे सरकार से कोई खैरात नहीं, बल्कि अपना हक मांग रहे हैं और इसके लिए उन्हें अपमानित करने का सरकार कोई अधिकार नहीं है।
किसानों की तस्वीरों में दिखा कमलनाथ सरकार का अमानवीय चेहराः राकेश सिंह