टूंडला जं को मिली आधुनिकतम इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग 


प्रयागराज। उत्तर मध्य रेलवे भारतीय रेल की एकमात्र ज़ोनल रेलवे है जो मात्र 5% परिसम्पत्ति का प्रयोग कर भारतीय रेलवे के कुल यातायात 10% यातायात को पूरा करता है। सबसे महत्वपूर्ण और व्यस्त नई दिल्ली-हावड़ा रेलवे मार्ग के 53% पर का रखरखाव और संचालन करने वाली एक मात्र रेलवे भी है। गाजियाबाद और पं दीन दयाल उपाध्याय जं के मध्य उत्तर मध्य रेलवे पर इस ग्रैंड कॉर्ड मार्ग पर ट्रेनों की मोबिलिटी उत्तर से पूर्व की ओर यात्री और माल ढुलाई के समग्र आवागमन के लिए अति महत्वपूर्ण है। टूंडला जं 160% पर संचालित हो रहे इस सुपरसैचुरेटेड मार्ग पर एक महत्वपूर्ण जंक्शन है और  आगरा कैंट को मुख्य लाइन से  भी जोड़ता है। ट्रेन संचालन की दृष्टि से बेहद संवेदनशील होने के बावजूद टूंडला जंक्शन अभी तक 1955  में स्थापित मेकैनिकल इंटरलॉकिंग सिग्नलिंग सिस्टम के साथ काम कर रहा था। इस प्रणाली में 05 अलग-अलग केबिनों से ट्रेनों को  रिसीव और डिस्पैच करने के लिए मैनुअल लीवर का प्रयोग किया जाता था। प्रत्येक ट्रेन को महत्वपूर्ण जंक्शन पर परिचालित करने के लिए केबिनों के बीच मैनुअल संचालन और समन्वय में लगभग 05-07 मिनट का समय लगता  था जिससे स्टेशन पर प्रतिदिन अधिकतम 190-200 ट्रेन हैंडल हो सकती थी। इसके अतिरिक्त ट्रेन संचालन में वैश्विक संरक्षा मानकों के स्तर के अनुरूप होने के लिए मैकेनिकल सिग्नलिंग को अपग्रेड भी करने की आवश्यकता थी। टूंडला जंक्शन के लेआउट में कुशल रेल परिचालन के लिए लंबी ट्रेनों और अधिक रूट कॉम्बीनेशन को समायोजित करने के लिए भी महत्वपूर्ण परिवर्तनों की आवश्यकता थी। इस परिवर्तन की आवश्यकता बहुत पहले महसूस की गई थी और 1998-99 में मैकेनिकल सिग्नलिंग की रीमॉडेलिंग और उसे हटाने के काम को स्वीकृत कर दिया गया था, पर टूंडला जंक्शन में ट्रेन संचालन के अत्यधिक दबाव के कारण वास्तविक क्रियान्वय में देरी हुई। इस कार्य के लिए बड़ी संख्या में गाड़ियों को रद्द करने की आवश्यकता थी, यह तब तक संभव नहीं था जब तक कि इस समस्या का 2019 में एक अभिनव और नया समाधान उत्तर मध्य रेलवे द्वारा ना ढूंढा जाए। इस कार्य के दौरान भदान- खुर्जा सेक्शन के बीच नवनिर्मित पूर्वी समर्पित फ्रेट कॉरिडोर सेक्शन का उपयोग करते हुए और टूंडला को बाईपास करते हुए कुछ माल गाड़ियों को डायवर्ट किया गया। इस प्रकार से इस कार्य के निष्पादन के दौरान कुछ यात्री ट्रेनों को रद्द करना पड़ा। इलाहाबाद मंडल, उत्तर मध्य रेलवे निर्माण संगठन और एनसीआरपीयू ने  2 सितंबर 2019 से शुरू किए गए इस जटिल कार्य का सावधानीपूर्वक योजना बनाकर समन्वित रूप से क्रियान्वयन किया और रविवार  20 अक्टूबर, 2019 को ऐतिहासिक दिन पर, 65 साल पुरानी मैकेनिकल सिग्नलिंग प्रणाली को इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग के सबसे उन्नत और सुरक्षित सिस्टम से  बदल दिया । इस प्रणाली के चालू होने और 17.11.2019 तक कुछ पोस्ट कमीशनिंग कार्य के उपरांत ट्रेनों के संचालन में बड़े लाभ प्राप्त होंगे। नई दिल्ली- हावड़ा मुख्य लाइन पर ट्रेनों की समय पालनता में सुधार के लिए यह काम एक बड़ा कदम है और इससे टूंडला जंक्शन पर ट्रेनों की संरक्षित और डीटेंशन रहित हैंडलिंग से आगामी कोहरे के मौसम के दौरान अत्यधिक लाभ होगा। दक्षिण पूर्व रेलवे के खड़गपुर के 800 मार्गों के बाद दूसरे बड़े 613 रूट कॉम्बिनेशन वाले इस महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक इंटरलाकिंग कार्य के सुसंगत क्रियांवयन के लिए उत्तर मध्य रेलवे के महाप्रबंधक राजीव चौधरी ने मंडल रेल प्रबंधक इलाहाबाद, उनके अधिकारियों, कर्मचारियों और पर्यवेक्षकों की टीम की सराहना की। उत्तर मध्य रेलवे इलेकट्रॉनिक इंटरलॉकिंग  में अग्रणी है और यहां पर ही वर्ष 2011 में कानपुर सेंट्रल के पास जूही में 505 मार्गों का इलेक्ट्रॉनिक इंटरलाकिंग की स्थापना का कार्य सफलतापूर्वक किया गया था जो उस समय भारतीय रेल की का सबसे बड़ी  इलेक्ट्रॉनिक इंटरलाकिंग थी।



  • ट्रेन की हैंडलिंग का वर्तमान समय मौजूदा 05-07 मिनट से घटकर 30-60 सेकंड हो गया है, इससे  केंद्रीय पावर केबिन की क्षमता बढ़ गई है। इससे प्रतिदिन की 200 गाड़ियों की अधिकतम क्षमता से बढ़कर अब 250 गाड़ियां हैंडल की जा सकेंगी,  इस प्रकार टूंडला के पहले गाड़ियों का डिटेंशन कम हो सकेगा और गाड़ियों की समयपालनता भी बेहतर हो सकेगी।

  •  दो अतिरिक्त प्लेटफार्मों के कारण आगरा की ओर ट्रेनों का परिचालन अधिक सुचारु जाएगा और तीन मौजूदा प्लेटफार्मों 3,4 और 5 के विस्तार से  पूरी लंबाई की ट्रेनों का संचालन किया जा सकेगा।

  •  सभी अप-दिशा की यार्ड लाइनें अब यात्री ट्रेनों के परिचालन के लिए फिट हैं  जिससे अधिक कोचिंग ट्रेन की कुशल हैंडलिंग संभव हो सकेगी।

  • लंबी माल और यात्री गाड़ियों को संभालने के लिए यार्ड लाइनों की लंबाई बढ़ा दी गई है ।

  •  दुर्घटनाओं आदि के दौरान तत्काल मूवमेंट के लिए एआरएमई को डबल एग्जिट की सुविधा हो सकेगी  और इससे दुर्घटना राहत के कार्य को अधिक तीव्रता और कुशलता से संचालित किया जा सकेगा।

  • 05 केबिनों में फैले जटिल मैनुअल ऑपरेशन की जगह माउस बटन के क्लिक द्वारा पावर केबिन से केंद्रीकृत फेल-सेफ संचालन हो सकेगा। जनशक्ति की भी पर्याप्त बचत होगी।