भस्मासुर बनने पर आमादा मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड!


मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। श्रीराजन्मभूमि के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के पूर्व आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अधिकांश सदस्यों ने मध्यस्थता से समाधान करने के प्रस्ताव को यह कह के ठुकरा दिया था कि हम न्यायालय का ही फैसला मानेंगे। हमें किसी मध्यस्थ की जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने सहमति कोर्ट के बाहर इसके समाधान का प्रयास किया था। श्री श्री रविशंकर व अन्य हिन्दू-मुस्लिम धर्मगुरुओं बुद्धजीवियों ने समाधान का प्रयास किया लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के लोगों ने अस्वीकार के दिया। जब 9 नवम्बर 2019 को मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने फैसला सुनाया तो बोर्ड मुकर रहा है। आल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड के वकील एडवोकेट जफरयाब जिलानी ने दोका सामना को बताया कि बाबरी मस्जिद के लिए जब तक न्यायालय में लड़ने का प्रावधान होगा तब लडूंगा। अभी तो इस फैसले के खिलता हम रिव्यू में जा रहे हैं यदि रिव्यू में हार गये तो किवरेटिव पटीशन दाखिल करेंगे। बता दें कि आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्यों ने लखनऊ में बैठक कर श्रीराजन्मभूमि में आये फैसले के खिलाफ रिव्यू दाखिल करने का निर्णय लिया है। देश के अधिकांश मुस्लिम और श्रीराजन्मभूमि के विपक्ष में मुकदमा लड़ रहे पक्षकार इकबाल अंसारी, शिया वफ बोर्ड और सुन्नी वफ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की शिरोधार्य कर इसके खिलाफ रिव्यू नहीं करने का फैसला कर लिया है।यही नहीं शिया वफ बोर्ड ने इस फैसले को सौहार्द का माध्यम बना कर श्रीराजन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर बनवाने के लिए 51 हजार रुपये भी दान करने का प्रस्ताव स्वतः दिया है।श्रीराजन्मभूमि मंदिर के पक्ष में फैसला आने के बाद सुन्नी वफ बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारुखी ने कहा कि अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया,हमें इसके खिलाफ नहीं जाना है। बहुत कोशिश जे बाद भी जब सुन्नी वफ बोर्ड जब जिलानी के बहकावे में नहीं आया तो जिलानी ने सुन्नी वफ बोर्ड से खुद को अलग कर लिया। इस संदर्भ में उत्तर प्रदेश सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण एवं वफ मंत्री मोहसिनरजा ने दोका सामना से कहा कि देश का मुसलमान शांति चाहता है।इस इतिहासिक फैसले के बाद देश के सभी पक्षों ने शांति स्थापित किया। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड एक एनजीओ हो, यह एनजीओ क्यों देश का सौहार्द पूर्ण माहौल बिगाड़ने पर अमादा है। इसको पैसा कहां से मिलता है इसकी जांच होनी चाहिए। पर्सनल लॉ बोर्ड मुसलमानों को गुमराह कर अशांति पैदा करना चाहता है। जो जिलानी सुप्रीम कोर्ट का हर फैसला मानने की बात करते नहीं थकते थे वह अब श्रीराजन्मभूमि पर बाबरी मस्जिद देखने की जिद पर अड़ गए हैं। जिसका हश्र शायद शांति नहीं है। इनके कुत्सित मानसिकता के कारण यदि राख में चिंगारी निकली तो वह ज्वालामुखी बन कर समाप्त होगी।