मस्जिद में हुए विस्फोट को क्यों मिटा रहा था आर्मी का डॉक्टर?

 


लखनऊ। रामजन्मभूमि मंदिर पर आये फैसले के दो दिन बाद कुशीनगर में मस्जिद के अंदर हुआ विस्फोट इनवर्टर की बैटरी से नहीं "बारूद से  हुआ था। ये जानकारी पुलिस अधीक्षक विनोद कुमार मिश्र ने दी। लेकिन प्रदेश में हाई अलर्ट के बाद भी इतना विस्फोटक लाकर कहाँ से इकट्ठा किया गया इसका जवाब पुलिस नहीं दे पा रही है। अभी तक इस मामले में चार आरोपियों को गिरफ्तार करने के बाद भी पुलिस खाली हाथ है। पुलिस के लोग अभी तक यह नहीं पता लगा पाये हैं कि बारूद लाने वालों की क्या मंशा थी ? बता दें कि सोमवार को कुशीनगर के थाना तुर्कपट्टी के वैरागपट्टी गांव में मस्जिद के अंदर जोरदार धमाका हुआ था। रामजन्मभूमि के मुद्दे पर फैसला आने के कारण पूरा प्रदेश हाई अलर्ट पर था। जिसके नाते थोड़े ही समय में पुलिस घटनास्थल पर पहुंच गई। मस्जिद के मौलाना अजीमुद्दीन ने पुलिस को यह कह के गुमराह कर दिया कि इनवर्टर की बैटरी फटने से विस्फोट हुआ है। जब घटना की जांच के लिए फोरेंसिक टीम आयी तब पता चला कि यह विस्फोट बारूद से हुआ है। इसके बाद पुलिस ने मस्जिद के मौलाना को गिरफ्तार कर लिया। घटनास्थल के अगल- बगल जिन लोगों ने आवाज सुनी उनके अनुसार आवाज इतना जबरदस्त था कि मस्जिद के अलावा आस-पास के खिड़कियों के शीशे टूट कर चूर-चूर हो गए। लोगों में वहां आम चर्चा है कि आठ से दस किलो विस्फोटक था। सुरक्षा एजेंसियां यह जांच कर रही हैं कि जब इतना जबरदस्त विस्फोट था तो विस्फोट कितना रहा होगा? जब स्थानीय पुलिस ने मौलाना को गिरफ्तार कर के  कड़ाई से पूंछ-तांछ शुरू किया तो वह टूट गया। उसने बताया कि गांव के कुछ युवकों ने मस्जिद में विस्फोटक रखा था। युवक यह विस्फोटक कहाँ से लाये और कहाँ-कहाँ रखे उनका मकसद क्या था यह वह नहीं जानता। पुलिस ने इस मामले में अब तक 7 लोगों को नामजद किया है। 7 नामजद आरोपियों में चार पुलिस के हत्थे चढ़ चुके हैं।मुख्य अभियुक्त समेत तीन आरोपी भागने में कामयाब रहे। पुलिस सूत्रों की मानें तो इस मामले में स्थानीय पुलिस और गुप्तचर एजेंसियां अपनी नाकामी छुपाने के चक्कर मे आपस मे उलझ गए हैं। पुलिस ने अब तक मौलाना अजीमुद्दीन के अलावा असफाक आलम, इजहार अंसारी, आसिफ अंसारी और जावेद अंसारी को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार लोगों ने पुलिस की बताया है कि घटना का मास्टर माइंड हाजी कुतबुद्दीन है। समाचार लिखे जाने तक मुख्य आरोपी सहित तीन आरोपी पुकिस की गिरफ्त से भागने में कामयाब रहे। इस संदर्भ में थाना इंचार्ज तुर्कपट्टी ने दोपहर का सामना को बताया कि असफाक आलम मुख्य आरोपी हाजी कुतबुद्दीन का बेटा है। वह खुद को आर्मी के मेडिकल कोर में डॉक्टर बता रहा है। उसकी पत्नी भी आर्मी के मेडिकल कोर में डॉ है। दोनों की तैनाती हैदराबाद में है। पुलिस के अनुसार मस्जिद में हुए  विस्फोट के बाद असफाक सबूत मिटाने का काम कर रहा था। अभी तक के जांच में यही निकला है कि आरोपियों की मंशा संदिग्ध थी। भारी विस्फोट का मामला जान कर पुलिस के छोटे कर्मचारी इस मामले पर मुंह खोलने से बच रहे हैं। जब इस संदर्भ में दोका सामना ने पुलिस उपाधीक्षक से बात करनी चाही तो उन्होंने कहा कि पुलिस अधीक्षक से बात करिये। पुलिस अधीक्षक बताते हैं कि अभी जांच चल रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दबदबे वाले क्षेत्र में हुई इतनी बड़ी घटना पर एडीजी कानून व्यवस्था उत्तर प्रदेश और पुलिस महानिदेशक न तो फोन पिक किये न ही मैसेज का कोई जवाब दिए। सवाल उठता है कि जिस तरह सपा सरकार में बुलंदशहर में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी से जुड़े लोगों के द्वारा रखे गए बारूद में विस्फोट के बाद कुकर फटना बता कर पुलिस और अखिलेश सरकार की किरकिरी हुई थी कहीं मस्जिद में हुए विस्फोट में योगी सरकार की भी किरकिरी न हो जाय। चूंकि आईबी ने श्रीराजन्मभूमि मुद्दे पर फैसला आने के पूर्व इनपुट दिया था कि नेपाल के रास्ते भारत के उत्तर प्रदेश में सात आतंकवादी घुसे हैं। अभी तक पुलिस को कोई उस इनपुट पर कोई कामयाबी नहीं मिली है। बस दबी जुबान से यह भी चर्चा हो रही है कि कहीं यह विस्फोटक आईबी द्वारा इनपुट दिए गए यूपी में घुसे उन सात आतंकवादियों का तो नहीं है? बता दें कि कुशीनगर बिहार सीमा से सटे होने के अलावा नेपाल सीमा से न सट कर भी बहुत दूर नहीं है।