पूर्व मध्य रेल ने आधुनिकीकरण की दिशा में लगायी लंबी छलांग 


हाजीपुर। पूर्व मध्य रेल ने अपने सिग्नल और टेलीकॉम परिसंपत्तियों के आधुनिकीकरण में एक लंबी छलांग लगायी है । पुराने तार संचालित सेमाफोर सिग्नलों को पहले चरण में रंगीन प्रकाश के साथ बदला गया । तत्पश्चात लीवर ऑपरेशन को केंद्रीय रूप से संचालित पैनल इंटरलॉकिंग के साथ बदला जा चुका है । अब सभी नए इंस्टॉलेशन हेतु अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग उपलब्ध कराया जा रहा है जो ट्रेन परिचालन की दक्षता और सुरक्षा को बढ़ाएगा और परिचालन के लिए आवश्यक मानव शक्ति को भी कम करेगा । इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग माइक्रोप्रोसेसर आधारित है और केंद्रीकृत यातायात नियंत्रण के लिए अनुकूल भी है । एक ओर जहां यह उच्च स्तरीय सुरक्षा मानदंड पर खरा है वहीं दूसरी ओर भविष्य में रेलवे यार्डों में होने वाले परिवर्तनों के भी अनुकूल है । पूर्व मध्य रेल ने एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करते हुए इस वर्ष कुल 49 पीआई / आरआरआई / ईआई ( Panel Interlocking / Route Relay Interlocking / Electronic Interlocking ) कमीशन किया है जो भारतीय रेल में अब तक का सर्वाधिक है। 


पूमरे द्वारा कमीशन किये गये कुछ प्रमुख पीआई / आरआरआई / ईआई हैं : 1. छह केबिनों से संचालित दानापुर स्टेशन के वर्षों पुराने सिग्नल और टेलीकॉम सिस्टम को केंद्रीय रूप से संचालित आरआरआई से बदला गया । आरआरआई के चालू हो जाने से ट्रेनों के परिचालन दक्षता में काफी सुधार हुआ है जिससे यहां से गुजरने वाली प्रत्येक ट्रेनों में कम से कम 3 से 4 मिनट की बचत हो रही है ।

2 . करनौती से बख्तियारपुर लिंक और बंधुआ से पेमार तक 06 इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग के साथ बाईपास लाइनों को चालू किया गया है जिससे कोयले लदे मालगाड़ियों को बिना इंजन रिवर्सल के बाढ़ थर्मल पावर प्लांट को कोयले मुहैया कराने में पहले की तुलना में कई घंटों की बचत हो रही है । 

3 . 06 स्टेशनों के इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग के साथ टोरी - शिवपुर में डबल लाइन चालू की गई है । अब इस लाइन के माध्यम से प्रत्येक दिन 14 से 15 रेक कोयले का लदान किया जा रहा है जिसे बढ़ाकर प्रतिदिन 25 रेक तक किया जा सकता है । 

4 . जोगेसर बिहार - करमाहाट और मेरालग्राम - रमना दोहरीकरण परियोजना को 05 इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग के साथ चाल किया गया है ।

5 . दिल्ली - हावड़ा रूट पर ट्रेनों का परिचालन 160 किमी प्रतिघंटा तक किया जा सके इसके लिए ETCS level - II की स्वीकृति मिल चुकी है और जल्द ही इसपर कार्य प्रारंभ हो जाएगा । इससे ट्रेनों को केंद्रीय रूप से नियंत्रित किया जा सकेगा तथा ट्रेन के चालक के केबिन में सिग्नल इत्यादि की अद्यतन स्थिति व मूवमेंट अथॉरिटी दिखाई पड़ेगी । इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि घने कोहरे के दौरान ट्रेन परिचालन में चालक को आने वाली सिगनल संबंधी बाधाए दूर हो जायेंगी । इसके साथ ही यह सिस्टम स्वचालित ट्रेन सुरक्षा से युक्त है जिसमें किसी कारणवश अगर ड्राइवर ट्रेन को रोकने में विफल रहता है तो ट्रेन में ऑटोमैटिक रूप से ब्रेक लग जायेगा जिससे ट्रेनों के आमने - सामने टकराव व साइड टक्कर आदि के मामलों को पूरी तरह से टाला जा सकेगा । 

6 . किउल और पतरातु स्टेशनों पर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग का लगाने का कार्य चल रहा है । इन कार्यों के उपरांत पूर्व मध्य रेल में इस वर्ष के अंत तक सभी परंपरागत यांत्रिक लीवर फ्रेम वाले सिगनल सिस्टम समाप्त हो जाएंगे ।