पुलिस की बार-बार विफलता की बड़ी कीमत न चुकानी पड़े!


मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हिन्दू नेता कमलेश तिवारी की इस्लामी आतंकवादियों द्वारा की गयी हत्या हो, कुशीनगर के तुर्कपट्टी मुहल्ले में बनी मस्जिद के अंदर और बिजनौर के खाली मकान में हुए विस्फोट की घटना हो या अयोध्या फैसला आने से पहले प्रयागराज में नाम बदल कर रह रहा कनाडाई मिंया खुफिया एजेंसियों के निशाने पर आने के बाद सफलता से फरार होने की घटनाओं ने यूपी पुलिस और उसकी अभिसूचना इकाई बहुत फजीहत कराई। कमलेश तिवारी की हत्या के बाद लखनऊ पुलिस ने यह कहा था कि यह घटना आपसी रंजिश का है। कमलेश तिवारी के हत्यारों को यूपी में ही दर्जनों मददगार मिल गये वह यूपी से गुजरात पहुंच गए जहां गुजरात पुलिस ने उन सबों को गिरफ्तार करके यूपी भेजा। इतने बड़े हाईप्रोफाइल मामले में एक बार फिर यूपी पुलिस हाथ मलती रह गयी। कुशीनगर में कितने दिनों से कुतबुद्दीन और पश्चिम बंगाल से आये मौलाना युवकों को देश-द्रोही जाकिर नाईक का साहित्य पढ़ा कर आतंकी शिक्षा का प्रसार हो रहा था लेकिन स्थानीय पुलिस और खुफिया इकाइयां हाथ पर हाथ धरे बैठी रह गयीं। स्थानीय लोगों के अनुसार वह यह जान कर हैरत में आ गए कि सेना से जुड़े पति-पत्नी वहां गांव के युवकों को दी जा रही जेहादी शिक्षा का संरक्षण कर रहे थे।बताते हैं कि मुख्य अभियुक्त और उसका पोता विस्फोट के बाद हैदराबाद भाग गए थे। इसी प्रकार बिजनौर के मकान में हुए विस्फोट को स्थानीय पुलिस यह बता रही है कि बहुत दिनों से बंद घर में चोर गया था चोरी करने वह बारूद से तिजोरी उड़ा रहा था, जिसकी जद में आने से वह घायल हुआ और इलाज के दैरान मारा गया। पुलिस यह नहीं बता सकी बारूद की मात्रा कितनी थी या घर में बारूद कब से रखा जा रहा था। अयोध्या फैसला आने से पहले प्रयागराज के सच्चा बाबा आश्रम से फरार हुआ संदिग्ध विदेशी बंगलौर से पकड़ा गया तो यूपी पुलिस और खुफिया की फिर फजीहत हुई। जब बंगलौर को उसकी गतिविधियां संदिग्ध लगी और उसने कड़ाई किया तो कनाडाई मूल के विदेशी ने बताया कि उसका नाम अहमद खालिद है, वह 2015 से भारत के विभिन्न शहरों में अपनी असली पहचान छुपा कर मोहन नाम से रह रहा था। दीपावली से एक दिन पहले वह प्रयागराज के अरैल स्थित सच्चा बाबा के आश्रम में पहुंचा था। उसकी संदिग्ध गतिविधियों को देख कर आश्रम के संतो ने पुलिस में शिकायत किया था उसके बाद भी यूपी पुलिस और खुफिया के लोग पुनवहः-तांछ की खानापूर्ति कर डियूटी पर कर ली, मौका पाते ही वह फरार हो गया। इस संदर्भ में राजधानी के वरिष्ठ क्राइम पत्रकार ने कहा कि ये घटनाएं सामान्य नहीं हैं। 6 दिसंबर1992 में अयोध्या की घटना के 4 माह बाद मुंबई में सीरियल बम विस्फोट किये गए थे। इस बार श्रीराजन्मभूमि का फैसला आने के बाद बिजनौर और कुशीनगर के विस्फोटों को एटीएस सतर्कता से कार्यवाही नहीं करेगी तो परिणाम गंभीर हो सकते हैं। यूपी पुलिस को बार-बार इस्लामी आतंकी आंख में धूल झोंकने में कामयाब ही रहे हैं या संसाधन के अभाव में हमारी खुफिया ईकाइयां गच्चा खा जा रही हैं, कुछ भी हो समय रहते हमारी पुलिस और खुफिया जागे नहीं तो इस चूक की कीमत जनता को चुकानी पड़ेगी।