‘विद्युत् लोको’ के कार्य निष्पादन तथा कोहरे के मौसम में लोको की विश्वसनीयता तथा संरक्षा पर संगोष्ठी


प्रयागराज।


विद्युत् लोकोमोटिव को भारतीय रेल का “वर्कहॉर्स” कहा जाता है। उत्तर मध्य रेलवे के अंतर्गत दो विद्युत् लोको शेड, कानपुर एवं झांसी में हैं जिनमें अत्याधुनिक 3-फेज इंजनों सहित कुल 472 विद्युत लोकोमोटिव  का उत्कृष्ट रख-रखाव किया जाता है ताकि रेल संचालन सुचारू रूप से होता रहे। उत्तर मध्य रेलवे, मुख्यालय के बिजली विभाग में विद्युत् लोको के कार्य निष्पादन तथा कोहरे के मौसम में लोको की विश्वसनीयता तथा संरक्षा विषय पर बुधवार को संगोष्ठी आयोजित की गई। पूरे दिन चली इस संगोष्ठी में मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा लोकोमोटिव के कार्य निष्पादन और आगामी सर्दियों एवं कोहरे के मौसम के लिए तैयारियों की विस्तृत और गहन समीक्षा की गई।संगोष्ठी में लोकोमोटिव के कार्य निष्पादन की समीक्षा के अतिरिक्त, महत्वपूर्ण निर्धारित मानकों के अनुरूप अनुरक्षण, विश्वसनीयता और संरक्षा की कार्य योजना, ऊर्जा संरक्षण के उपायों इत्यादि पर भी विस्तार से विचार-विमर्श किया गया।


मुख्य बिजली लोको इंजीनियर,  उत्तर मध्य रेलवे, अनुपम सिंहल ने लोको शेड के अधिकारियों को निर्देशित किया कि लोको विफलताओं के कारणों की गहनता से समीक्षा करें। प्रत्येक उपकरण की विफलता का सटीक विश्लेषण कर, पुनरावृत्ति को रोकने के लिए सुधारात्मक कार्य योजना तैयार कर उनका क्रियान्वयन सुनिश्चित करें।


इस संगोष्ठी में कोहरे और सर्दियों के मौसम के दौरान सभी आवश्यक उपकरण जैसे हेड लाइट, मार्कर लाइट, फ्लैशर लाइट, वाइपर, विंडो शटर, लोको पायलट की सीट, कैब हीटर और एयर टाइटनेस, अग्नि-शमन यंत्र आदि की कार्य प्रणाली को सुनिश्चित करने पर विशेष बल दिया गया।


संगोष्ठी को संबोधित करते हुए प्रमुख मुख्य बिजली इंजीनियर, उत्तर मध्य रेलवे, राज नारायण ने निर्देशित किया कि शेड के सभी अधिकारी अधिकाधिक समय शॉप-फ्लोर पर रहें और कर्मचारियों कोे सही रखरखाव के बारे में उचित मार्गदर्शन कर उन्हें शॉर्ट-कट से बचने के लिए प्रेरित करें ।


''कार्यस्थल पर संरक्षा'' पर विशेष जोर देते हुए उन्होंने निर्देशित किया कि शॉप-फ्लोर पर उपकरणों का रखरखाव उच्च स्तर का हो एवं सभी कर्मचारी ष्व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणष् का अनिवार्य रूप से  उपयोग तथा संरक्षा संबंधी नियमों का शत-प्रतिशत पालन सुनिश्चित करें जिससे शॉप-फ्लोर पर  “ मिशन शून्य दुर्घटना” को प्राप्त किया जा सके।


संगोष्ठी का आयोजन अत्यन्त उपयोगी एवं सफल रहा जिसमें लोको की विश्वसनीयता और संरक्षा दोनों क्षेत्रों में निरंतर सुधार हेतु दृढ़ संकल्प के साथ नवीन विचारों का आदान-प्रदान किया गया।


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