लखनऊः निदेशक ,उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण एस0 वी0 शर्मा ने बताया कि प्रदेश में आम की फसलों के गुणवत्तायुक्त उत्पादन हेतु समसामयिक महत्व के रोगों/व्याधियों को समय से नियंत्रित किया जाना अत्यंत आवश्यक है। शर्मा ने बताया आम की अच्छी उत्पादकता सुनिश्चित करने हेतु गुजिया कीट (मैन्गो मिलीबग ) से बचाया जाना अत्यंत आवश्यक है इस कीट से आम की फसल को काफी छति पहुंचती है, इससे शिशु कीट (निम्फ) को पेड़ों पर चढ़ने से रोकने के लिए आम के पेड़ के मुख्य तने पर पर भूमि से 30 से 50 सेंटीमीटर की ऊंचाई पर 400 गेज की पॉलीथिन शीट की 25 सेंटीमीटर चौड़ी पट्टी को तने के चारों ओर लपेटकर ऊपर व नीचे से सुतली से बांधकर पॉलिथीन सीट के ऊपरी व निचले हिस्से पर ग्रीस लगा देना चाहिए। कीट के नियन्त्रण हेतु जनवरी के प्रथम सप्ताह से 15-15 दिन के अन्तर पर दो बार क्लोरीपाइरीफास(1.5 प्रतिशत) चूर्ण 250 ग्राम प्रति पेड़के हिसाब से तने के चारो ओर बुरकाव करना चाहिए। अधिक प्रकोप की दशा में यदि कीट पेड़ पर चढ़ जाते हैं ,तो ऐसी स्थिति में कार्बोसल्फान अथवा डायमेथोयेट 2.0 मिली दवा को प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर अनुसार छिड़काव करना चाहिए।