पहली बार मोबाइल एप के माध्यम से होगी आर्थिक गणना 

 

लखनऊ। सातवीं आर्थिक गणना 2019 का शुभारम्भ गुरुवार (28 दिसम्बर 2019) को  मुख्यमंत्री ने लोक भवन , लखनऊ में सम्पन्न किया ।  मख्यमंत्री के शुभारम्भ के बाद यह कार्य प्रदेश के समस्त जिलों में प्रारम्भ हो जाएगा । सातवीं आर्थिक गणना का कार्य भारत सरकार के द्वारा निर्धारित कार्यदायी संस्था " सी०एस०सी० ई - गवर्नेस सर्विसेज इण्डिया लि0 "  सम्पादित कर रही है।  कार्यदायी संस्था द्वारा लगभग 2 लाख प्रशिक्षित प्रगणकों एवं लगभग 60 हजार प्रशिक्षित पर्यवेक्षकों को सम्बद्ध करते हुए इस कार्य को मोबाइल एप के माध्यम से सम्पन्न कराया जा रहा है । राज्य स्तर पर अर्थ एवं संख्या प्रभाग , उ0प्र0 / सूक्ष्म , लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग , उ0प्र0 / राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ( क्षेत्रीय संकार्य प्रभाग ) , भारत सरकार , लखनऊ के जनपद स्तरीय , मण्डल स्तरीय एवं मुख्यालय स्तरीय अधिकारियों द्वारा द्वितीय स्तर का पर्यवेक्षण कार्य किया जाएगा ।

 


 

सातवीं आर्थिक गणना का कार्य प्रथम बार मोबाइल एप के माध्यम से सम्पादित होने के कारण निर्धारित 3.5 माह में सम्पन्न होगा ।  सर्वेक्षण की समाप्ति के बाद प्राप्त परिणामों को 2 स्तर पर घोषित किये जाने का कार्यक्रम भारत सरकार द्वारा निर्धारित किया गया है , जिसके अन्तर्गत प्रथम स्तर पर जनपद में जिलाधिकारी अपने - अपने जनपदों में सम्बन्धित परिणामों की घोषणा करेंगे तथा समग्र रूप से प्रदेश स्तर पर मुख्य सचिव , उ0प्र0 शासन द्वारा उत्तर प्रदेश के परिणामों की घोषणा की जाएगी । उल्लेखनीय है कि भारत सरकार द्वारा प्रथम बार वर्ष 1977 में देश व्यापी आर्थिक गणना कराई गई थी तथा औद्योगिक इकाइयों की गतिशीलता एवं नश्वरता के दृष्टिगत प्रत्येक 5 वर्ष के अन्तराल पर आर्थिक गणना की पुनरावृत्ति कराई जा रही है । इस क्रम में वर्ष 1977 , 1981 , 1991 , 1998 , 2005 व 2012 में 6 बार आर्थिक गणना कराई जा चुकी है । आर्थिक गणना के अन्तर्गत निर्धारित भौगोलिक सीमा में समस्त उद्यमों / इकाइयों की सम्पूर्ण गणना की जाती है जिसमें कृषि उत्पादन एवं बागवानी को छोड़कर समस्त उद्यम / इकाई जो वस्तुओं के उत्पादन एवं वितरण के कार्य में संलिप्त है , की गणना होती है । आर्थिक गणना के परिणाम आर्थिक विकास को स्थायी गति एवं दिशा देने , योजना की वैज्ञानिक आधार पर संरचना करने राज्य आय के आंकलन व उद्यमों के लिये समुचित नीति निर्धारण एवं विकास कार्यक्रम को गति प्रदान करने में सहायक होंगे ।