मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा ने मुजफ्फरनगर और मेरठ में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा के शिकार हुए पीड़ित परिवारों से मुलाकात कर एक विज्ञप्ति जारी किया। जिसके अनुसार वह मुज़फ्फरनगर में उन्होंने मौलाना असद रज़ा हुसैनी से मुलाकात किया। पुलिस ने उनको बुरी तरह से पीटा है। उनके हाथ तीन जगह से बुरी तरह टूट गए हैं। विज्ञप्ति के अनुसार मदरसे से पुलिस 17 बच्चों को उठा कर ले गयी, जिसमें से ज्यादातर नाबालिक बच्चें हैं। गिरफ्तार किए गए बच्चों को भी पुलिस ने बर्बर तरीके से मारापीटा है। अभी भी ज्यादातर बच्चे हिरासत में हैं। मौलाना असद रजा का मेडिकल तक नहीं हुआ है। उसके बाद वह हिंसा में मारे गए नूर मोहम्मद के पत्नी सन्नो से उनके घर जाकर मिली। मारे गए नूर मोहम्मद की पत्नी सन्नो के गोद मे 15 माह की बेटी और पेट में सात माह का बच्चा है। नूर मोहम्मद की मौत का एफआईआर जबरन पुलिस ने अज्ञात के नाम दर्ज कर दिया। अभी तक उनकी बेवा सन्नो पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के लिए ऑफिसों का चक्कर लगा रहीं हैं। प्रियंका रुकैया परवीन से भी मिलीं, रुकैया और उनकी बहन की फरवरी में शादी है। उनके घर पर पुलिस रात के वक्त पहुंची और पूरे घर में तोड़फोड़ मचा दी। परिजनों का आरोप है कि दहेज का सामान और कैश भी पुलिस लूट कर ले गयी। रुकैया परवीन ने जब गिड़गिड़ाते हुए पुलिस से गुजारिश की तो पुलिस ने उनके साथ मारपीट की। पुलिस ने इतनी बुरी तरह से पीटा है कि उसके सर में 16 टांके लगे हैं। प्रियंका गांधी ने कहा कि जहां जहाँ अन्याय हुआ है हम वहां खड़े होंगे।
उन्होंने कहा अगर कोई हिंसा किया है तो पुलिस कार्यवाही करे, उसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन पुलिस खुद घर में घुसकर मारपीट कर रही है। उन्होंने कहा कि पुलिस का काम क्या है जनता की सुरक्षा और न्याय दिलाना लेकिन यहां तो उल्टा हुआ है तो जहां-जहां उल्टा हुआ है उसके खिलाफ हम लड़ेंगे।इसके बाद प्रियंका मेरठ में ओम साई धाम कालोनी में हिंसा में मारे गए मो अलीम पुत्र श्री हबीब, आसिफ पुत्र श्री ईद उल हसन, मोहसिन पुत्र मौ अहसान, आसिफ पुत्र सईद और जहीर पुत्र मुन्शी के परिजनों से मुलाकात कीं। मेरठ में नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन में मारे गए सभी मृतक बेहद गरीब परिवार से आते हैं। हिंसा मेंं मारे गए अलीम होटल पर वेटर का काम करते थे। उनके परिजनों का कहना है कि वे अपने घर लौट रहे थे कि रास्ते में पुलिस ने गोली मार दी। आसिफ रिक्शा चलाते थे। मोहसिन, आसिफ और जहीर दिहाड़ी मजदूरी करके किसी तरह अपना परिवार पालते थे। जहीर के परिजनों का दावा है कि जहीर गली में समान लेने गए थे पर वे लौट कर नहीं आ पाएं, पुलिसिया हिंसा में वे मारे गए। उन्होंने कहा कि जिन परिवारों से वे मेरठ में मिलीं हैं उनके साथ सरासर अत्याचार हुआ। मारे गए लोगों के परिवारों के लोगों का एफआईआर तक दर्ज नहीं हो पाई है। परिजनों को पोस्टमार्टम रिपोर्ट तक नहीं दी गई जोकि उनका कानूनी हक है। इस तरह की नाइंसाफी और अत्याचार हुआ है।
उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ हो रहे शांतिपूर्ण प्रदर्शन के बाद हुई पुलिसिया हिंसा के खिलाफ उन्होंने उत्तर प्रदेश के राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा था और चार प्रमुख मांग कीं थीं-
1. उ0प्र0 सरकार के गृह विभाग और डीजीपी द्वारा तुरन्त आदेश जारी करके पुलिस और सरकार द्वारा किये जा रहे गैर कानूनी, हिंसात्मक और आपराधिक कार्यवाही को तुरन्त रोका जाए।
2. मौजूदा हाईकोर्ट के जज या सेवानिवृत्त हाईकोर्ट के जज की निगरानी में कानूनी ढंग से शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों पर लगाये गये आरोपों की सत्यता और तथ्य की निष्पक्ष जांच का आदेश दिया जाए।
3. न्यायिक प्रक्रिया पूरी किये बिना सम्पत्तियों को सीज करना या सम्पत्तियों की कुर्की सम्बन्धी प्रक्रिया पर तुरन्त रोक लगाई जाए।
4. शांतिपूर्ण ढंग से विरोध प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थी जो निर्दोष हैं उन पर किसी तरीके का आपराधिक और गैर कानूनी कार्यवाही न की जाए।