मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी में बेखौफ अपराधी पुलिस को एक के बाद एक चुनौती दे रहें हैं। बुधवार को एक अधिवक्ता की नृशंस हत्या का मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि पुरानी रंजिश के चलते मंलगवार देर रात धारदार हथियार से हत्या कर दी गई। घटना के विरोध में वकीलों ने पोस्टमॉर्टम के बाद शव को सीधे कलेक्ट्रेट परिसर के भीतर रखकर जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया। पुलिस-प्रशासन मुर्दाबाद के नारे लगाये। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल यादव भी प्रदर्शन में शामिल हुये। उसके बाद स्थानीय कृष्णानगर थाने के प्रभारी प्रदीप कुमार सिंह को निलंबित कर दिया गया। एडवोकेट की हत्या के बाद कांग्रेस पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट कर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए। मृतक के भाई ने पांच आरोपितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है।जिसमें से मुख्य आरोपित को गिरफ्तार कर लिया गया है, शेष फरार की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है। लेकिन कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा उत्तर प्रदेश के किसी भी मामले को राजनैतिक रूप देने का एक भी अवसर हाथ से जाने नहीं दे रहीं हैं। उन्होंने ट्वीट कर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए टियूट किया कि 'सोरांव के विजयशंकर तिवारी और शामली के अजय पाठक की हत्या के बाद अब लखनऊ में अधिवक्ता शिशिर त्रिपाठी की नृशंस तरीके से हत्या कर दी गई। क्या प्रदेश पूरी तरह से अपराधियों के हाथ में है? भाजपा सरकार कानून व्यवस्था के बारे में पूरी तरह फेल है।
मैं इन सभी परिवारों की न्याय की लड़ाई में इनके साथ खड़ी हूं।' बता दें की वकील शिशिर त्रिपाठी की हत्या का मामला कृष्णानगर थाना क्षेत्र के दामोदरनगर इलाके का है। यहां शिशिर त्रिपाठी (32) पिता गोपी चंद्र व बड़े भाई शरद त्रिपाठी के साथ रहते थे। मृतक के बड़े भाई शरद त्रिपाठी ने बताया कि गांजा तस्कर मोनू तिवारी नामक युवक से छोटे भाई की रंजिश चल रही थी। जिसके चलते कई बार भाई को जान से मारने की धमकी भी मिल चुकी थी। तीन साल से मोनू तिवारी तस्करी कर रहा था। बीते दिन बातचीत करने के लिए भाई से मिलने भी आया था। वहीं, मृतक के पिता ने बताया कि मंगलवार शाम उनके बेटे शिशिर को दो युवक घर से अपने साथ बुलाकर ले गये थे। दो घंटे बाद एक युवक आया और कहा कि शिशिर को लोकबंधु अस्पताल ले जाया गया है। जब पिता समेत अन्य परिवारीजन वहां पहुंचे तो शिशिर की मौत हो चुकी थी। उनके चेहरे समेत अन्य हिस्सों पर धारदार हथियार के साथ लोहे के रॉड से हमला किया गया था। पूर्व में कृष्णानगर पुलिस ने गांजा बेचने के आरोप में एक युवक को जेल भेजा था, जिसमें उपेंद्र तिवारी ने शिशिर पर आरोप लगाया था कि उसके इशारे पर गांजे के साथ युवक को पकड़ा गया। इसी बात को लेकर दोनों में रंजिश शुर हुई थी। मामला थाने तक पहुंचा था लेकिन कृष्णानगर थाने की पुलिस सोती रही। शिशिर त्रिपाठी की हत्या के बाद पुलिस की कार्यप्रणाली से क्षुब्ध होकर मृतक के वकील साथियों ने सड़क पर उतर कर रोष जताया।
कलेक्ट्रेट परिसर में चार सूत्रीय मांगों के साथ शव रखकर पुलिस विरोधी नारेबाजी भी की। इसके साथ ही कार्रवाई व पीडि़त परिवार के लिए इंसाफ की मांग की। वकील से जुड़े मामले की जानकारी होने पर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी नेता शिवपाल यादव भी मौके पर पहुंच गये। शिवपाल के सामने वकीलों ने जिला प्रशासन से अविलम्ब अभियुक्तों की गिरफ्तारी की मांग की शर्त रखी। शोक संतृप्त परिवार को एक करोड़ रुपये की धनराशि आर्थिक सहायता के रुप में प्रदान किया जाए। परिवार के एक सदस्य को राज्य सरकार में नौकरी दी जाए। एसओ कृष्णानगर को तत्काल निलंबित किया जाए। वकील शिशिर त्रिपाठी हत्या मामले में मृतक के परिवार को जिलाधिकारी ने दो लाख व सेंट्रल बार एसोसिएशन की तरफ से 50 हजार की आर्थिक सहायता दी गई है। मामले में फरार आरोपितों की तलाश में पुलिस ने अब तक 45 स्थानों पर दबिश दी है। एसएसपी लखनऊ कलानिधि नैथानी के मुताबिक, शिशिर हत्याकांड में मृतक के भाई शरद त्रिपाठी की तहरीर पर उपेंद्र तिवारी उर्फ मोनू, विनायक ठाकुर, धीरज कुमार, मुस्तफा, शुभम यादव व अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ कृष्णानगर कोतवाली में हत्या समेत अन्य गंभीर धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कराई है। हत्याकांड में नामजद अभियुक्त विनायक ठाकुर को गिरफ्तार कर लिया गया है, जो खुद को वकील बता रहा है। अन्य की तलाश की जा रही है।