मुख्यमंत्री बताएं, दलित और आदिवासियों  की हत्याओं का सिलसिला कब रूकेगा: राकेश सिंह

 





भोपाल। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने छिंदवाड़ा जिले में नाबालिक आदिवासी के साथ सामूहिक दुष्कर्म और हत्या की घटना पर कहा कि जब प्रदेश के मुखिया के गृह जिले में ही आदिवासियों के यह हालात में तो प्रदेश की स्थिति कितनी भयावह होगी, यह हम समझ सकते हैं। सागर में दलित धन प्रसाद को विशेष वर्ग द्वारा जिंदा जला देना और अब छिंदवाड़ा में आदिवासी नाबालिग बेटी के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई। लगातार ऐसी घटनाएं प्रदेश को शर्मसार करती है। उन्होंने मुख्यमंत्री कमलनाथ से पूछा कि मुख्यमंत्री बताएं कि प्रदेश में दलितों और आदिवासियों पर लगातार हो रहे इन अत्याचार के लिए कौन दोषी है? यह दर्दनाक सिलसिला कब रूकेगा।
छिंदवाड़ा जिले के पांढुर्ना क्षेत्र के पाटई गांव में 18 जनवरी को 17 वर्षीय आदिवासी बालिका का अपहरण हो जाता है। पीड़ित परिवार एसपी को शिकायत करते हैं। घटना के एक हफ्ते बाद जंगलों में नाबालिक की सड़ी हुई निर्वस्त्र लाश मिलती है। आरोप है कि घटना पर तत्काल संज्ञान लेने के बजाय पुलिस शव के पोस्टमार्टम के लिए 5 हजार रुपये की रिश्वत मांगती है। इस मामले को दबाने का काम किया जाता है। जब  गांव के लोग शिकायत करते हैं तब लगभग 2 हफ्ते बाद पुलिस और प्रशासन हरकत में आता है और दो युवकों को हिरासत में लेता है।  प्रदेश अध्यक्ष श्री राकेश सिंह ने  पुलिस के इस संवेदनहीन  रवैये की कड़े शब्दों में आलोचना की है।
उन्होंने कहा कि जब मुख्यमंत्री के गृह जिले में ही एक गरीब आदिवासी से पुलिस पोस्टमार्टम के लिए रिश्वत मांगी जाती है, तो प्रदेश कि कानून व्यवस्था किस तरह चल रही होगी यह जनता भलीभांति समझ सकती है।  उन्होंने कहा कि पिछले 1 वर्ष के भीतर प्रदेश में दलितों आदिवासियों और शोषित वर्ग पर लगातार अत्याचार की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। इन घटनाओं के लिए कांग्रेस की प्रदेश सरकार जिम्मेदार है।
उन्होंने कहा कि सागर में दलित धनप्रसाद के साथ घटना घट जाती है और पुलिस संज्ञान नहीं लेती, ठीक उसी प्रकार छिंदवाड़ा में नाबालिक के साथ हुई इस घटना में पुलिस प्रशासन दो हफ्तों बाद संज्ञान लेता है। सरकार और पुलिस प्रशासन का यह रवैया दलित और आदिवासियों के प्रति उनकी गंभीरता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी उत्तरप्रदेश में जाकर दलितों के घर जाकर राजनीति करते हैं, लेकिन मध्यप्रदेश में दलित और आदिवासियों पर हो रहे अत्याचार पर मौन धारण कर लेते हैं।