पीएफआई को दीनी तालीम के नाम पर आठ करोड़ की फंडिंग

 


मनोज श्रीवास्तव/मेरठ।सीएए के विरोध में प्रदेशभर में हुई हिंसा के बीच पीएफआई फंडिंग को लेकर चल रही जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। मेरठ रेंज आईजी प्रवीण कुमार के अनुसार, अभी तक केवल एक मनी ट्रेल पकड़ा गया है। इसमें करीब आठ करोड़ से ज्यादा की रकम दीनी तालीम और समाजसेवा के नाम पर आई है, जो एक नंबर में दर्शायी गई है। बाकी करोड़ों रुपए भी अवैध ढंग से जुटाने की जानकारी सामने आई है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) सभी खातों की जांच कर रहा है। उन्होंने बताया कि वेस्ट यूपी के कुछ संदिग्ध बैंक खातों में आठ करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम आई है। ज्यादातर रकम एक नंबर में है। जाहिर है कि इस काम में चार्टड अकाउंटेंट की मदद ली गई है। आईजी ने माना कि बैंक खातों में करोड़ों की लेनदेन करने वाले इस बात से वाकिफ होंगे कि बाद में खातों की जांच हो सकती है। इसलिए उन्होंने उतना पैसा ही खातों में ट्रांसफर किया है, जो एक नंबर में दिखाया जा सके। आईजी ने यह भी आशंका जताई है कि इससे ज्यादा रकम नकद या हवाला कारोबार के रूप में स्थानीय लोगों तक पहुंचायी गयी हो। आईजी ने गोपनीय जांच बताते हुए यह खुलासा नहीं किया कि फंडिंग की रकम कितने खातों में आई। आईजी प्रवीण कुमार ने कहा कि वेस्ट यूपी में पत्थरबाजी करते हुए युवक का पोस्टर सबसे पहले पीएफआई ने जारी किया। कुछ ऐसे पर्चे भी बांटे गए, जिसमें अवैध शस्त्र के साथ युवक दिखाए गए हैं। ये पोस्टर भी पीएफआई ने जारी किए। इन पर्चों पर प्रिंटिंग प्रेस का नाम नहीं लिखा। जानकारी आई है कि दिल्ली के शाहीनबाग में पीएफआई का मुख्यालय है। यहां से भड़काऊ प्रचार सामग्री आसपास के राज्यों को भेजी गई, जिससे सीएए को लेकर हिंसा हुई। कुछ लोग दूसरे संगठनों से भी जुड़े हैं।आईजी ने कहा कि बीते दो साल से पीएफआई वेस्ट यूपी में ज्यादा सक्रिय हुई है। यह भी तब प्रकाश में आई, जब पीएफआई ने जगह-जगह भड़काऊ पोस्टर लगाने शुरू किए। आईजी प्रवीण कुमार ने यह भी आशंका जताई कि पीएफआई से जुड़े लोग दूसरे संगठनों से भी जुड़े हो सकते हैं, क्योंकि पीएफआई कोई राजनीतिक संगठन नहीं है। ऐसे में इन लोगों को ट्रेस कर पाना बड़ा मुश्किल है। खुफिया एजेंसियां इस काम में लगी हुई हैं।