झाझा-डीडीयू रेलखंड का रिमॉडलिंग कार्य पूरा 
 

 संरक्षित ट्रेन  परिचालन की दिशा में आज पूर्व मध्य रेल ने उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है । किउल यार्ड ( 304 रूट ) में 60 वर्ष पुराना मेकेनिकल लीवर फ्रेम को हटाते हुए आज से इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग प्रणाली से परिचालन प्रारंभ हो गया है ।

 पूर्व मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि नए यार्ड में 83 प्वाइंट , 47 मेन सिगनल , 47 शंट सिगनल , 127 ट्रैक सर्किट और चार दिशाओं में बीपीएसी के साथ यूएवएसबीआई की सुविधा है ।  12 दिन का एनआई 06 मई को प्रारंभ किया गया था और तय समय सीमा से एक दिन पहले ही आज ही सफलतापूर्वक पूरा करते हुए चालू भी कर दिया गया । इस प्रकार झाझा से पंडित दीन दयाल उपाध्याय रेलखंड में अब एक भी मैकेनिकल लीवर फ्रेम शेष नहीं है । अब इस रेलखंड पर मैकेनिकल लीवर फ्रेम की जगह इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग / पैनल इंटरलॉकिंग / रूट रिले इंटरलॉकिंग का कार्य शत - प्रतिशत पूरा कर लिया गया है । साथ ही सभी यार्डों का आधुनिकीकरण भी किया जा चुका है । इससे एक ओर जहां संरक्षा में वृति होगी वहीं ट्रेन परिचालन में भी पहले से कम समय लगेगा । नए किऊल ब्रिज पर भी ट्रेन परिचालन के लिए पूरी तरह तैयार हो चुका है तथा इसपर परिचालन भी प्रारंभ हो गया है । लखीसराय में अब प्लेटफार्म की संख्या 02 से बढ़कर 04 हो गई है । इसी तरह किऊल स्टेशन पर भी 01 प्लेटफार्म बढ़ गए हैं । किऊल एवं लखीसराय स्टेशन पर यार्ड रिमॉडलिंग कार्य पूरा हो जाने से कई फायदे होंगे । अब तक किउल स्टेशन पर जमालपुर , झाझा , पटना और गया सहित चार दिशाओं से ट्रेनों का आवागमन होता है जिसका अधिकांश कार्य पारंपरिक तरीके से मानव द्वारा संचालित पद्धति से ही हो रहा था जिससे अब मुक्ति मिल गई है । पटना और गया से आने वाली अधिकतर ट्रेनें लखीसराय होकर गुजरती हैं जबकि जमालपुर और झाझा छोर से आने वाली ट्रेनों का परिचालन किऊल होकर किया जाता है । लखीसरसय स्टेशन पर प्लेटफार्म की संख्या में वृद्धि हो जाने से परिचालन सुगम जो जाएगा । अब तक प्लेटफार्म की संख्या कम होने के कारण परिचालनिक कठिनाइयां भी आती थीं , जो अब दूर हो जाएंगी।