मानव समाज की प्रगति का आधार प्रकृति के साथ समन्वय  - योगी आदित्यनाथ

 

 मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ  ने बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर आज यहां अपने सरकारी आवास पर वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बौद्ध भिक्षुओं और भगवान बुद्ध के अनुयायियों से संवाद स्थापित किया। इस अवसर पर बौद्ध मतावलम्बियों सहित प्रदेशवासियों को बुद्ध पूर्णिमा की बधाई देते हुए मुख्यमंत्री जी ने विश्वास जताया कि सभी बौद्ध भिक्षु तथा भगवान बुद्ध के अनुयायी उनके शान्ति, करुणा, मैत्री के सन्देश को जन-जन तक पहुंचाकर मानव कल्याण एवं कोविड-19 की वैश्विक महामारी के प्रति उन्हें तैयार करने में योगदान करेंगे। 



     मुख्यमंत्री  ने कहा कि प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी  ने संयुक्त राष्ट्र संघ के सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा था कि भारत ने दुनिया को बुद्ध दिया, जिनका शान्ति, करुणा, मैत्री आदि का सन्देश विश्व कल्याण का मार्ग प्रशस्त करने वाला है। मुख्यमंत्री  ने विश्वास जताया कि कोविड-19 की महामारी के संक्रमण काल में जिस प्रकार महात्मा बुद्ध के अनुयायियों ने बुद्ध पूर्णिमा का कार्यक्रम घर पर रहकर शान्तिपूर्ण ढंग से सम्पादित किया है, वैसे ही अन्य धर्मावलम्बी भी अपने धार्मिक अनुष्ठानों को घर पर रहकर ही सम्पन्न करेंगे। 

    मुख्यमंत्री  ने कहा कि वैश्विक स्तर पर कोविड-19 का संक्रमण मानव समाज की आंख खोलने वाला रहा है। इसके संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए लागू किए गए लाॅकडाउन व सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों ने जीवन में आत्मानुशासन के महत्व से परिचित कराया है। मानव समाज की प्रगति का आधार प्रकृति के साथ समन्वय रहा है। दुनिया में कोविड-19 का प्रसार तेजी से हो रहा है। अमेरिका, यूरोप आदि में कोविड-19 की विभीषिका प्रचण्ड है। प्रधानमंत्री  के नेतृत्व में भारत अपनी बड़ी जनसंख्या के बावजूद, इस महामारी को नियंत्रित करने में बड़ी सीमा तक सफल हुआ है। 

    मुख्यमंत्री  ने कहा कि राज्य सरकार भी कोविड-19 को रोकने में काफी हद तक सफल रही है। यूरोप और उत्तर प्रदेश की जनसंख्या लगभग समान है, किन्तु यूरोप के मुकाबले प्रदेश में कोविड-19 का संक्रमण और इससे होने वाली मृत्यु की संख्या काफी कम है। इस सफलता में लाॅकडाउन के दौरान प्रदेशवासियों के संयमित आचरण की बड़ी भूमिका है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 भविष्य में और भी बड़ी चुनौती है। हम सभी के सम्मिलित प्रयास से ही इस महामारी के विरुद्ध सफलता प्राप्त की जा सकती है। 

    मुख्यमंत्री  ने कहा कि प्रधानमंत्री  ने कोविड-19 से संघर्ष में गरीबों की मदद के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना लागू की है। इसके माध्यम से 80 करोड़ से अधिक लोगों की सहायता की जा रही है। इस योजना के अन्तर्गत देशवासियों के लिए मुफ्त राशन, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अन्तर्गत आर्थिक सहायता, पेंशनधारकों को पेंशन, जन-धन खाताधारकों को आर्थिक सहायता आदि सुलभ कराई जा रही है। 

    मुख्यमंत्री  ने कहा कि महात्मा बुद्ध, तीर्थंकर महावीर तथा हमारी ऋषि परम्परा ने शासन का उद्देश्य लोक कल्याण बताया था। प्रदेश सरकार द्वारा भी जन कल्याण के लिए मनरेगा श्रमिकों को भुगतान कराया गया है। निर्माण श्रमिकों, दिहाड़ी श्रमिकों जैसे-रेहड़ी, खोमचा, ठेला लगाने वालों, पल्लेदार, रिक्शा, ई-रिक्शा चालकों, ग्रामीण इलाकों के शिल्पकारों आदि की मदद के लिए खाद्यान्न के साथ-साथ भरण-पोषण भत्ते की व्यवस्था की गई है। वृद्धावस्था, निराश्रित महिला, दिव्यांगजन आदि को एडवांस पेंशन भुगतान कराया गया है। 

    मुख्यमंत्री  ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश के बाहर कार्य करने वाले प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षित वापसी के लिए निरन्तर कार्य कर रही है। अभी तक 07 लाख से अधिक श्रमिकों की सुरक्षित वापसी कराने के साथ ही, उनके लिए भोजन की व्यवस्था, घर पहुंचाने, खाद्यान्न एवं 1000 रुपए का भरण-पोषण भत्ता देने का कार्य किया गया है। उन्होंने कहा कि 12 लाख से अधिक प्रवासी कामगारों व श्रमिकों के लिए अस्थायी आश्रय स्थल बनाकर रखे गए हैं। राज्य सरकार ने राजस्थान के कोटा तथा प्रदेश के प्रयागराज में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों की सुरक्षित वापसी भी सुनिश्चित की है। 

    मुख्यमंत्री  ने कहा कि किसी भी बीमारी के उपचार से पहले बचाव की तैयारी आवश्यक है। कोविड-19 से बचाव के लिए लाॅकडाउन व सोशल डिस्टेंसिंग जैसे उपाय अपनाए जा रहे हैं। राज्य सरकार ने कोविड-19 से संक्रमित व्यक्तियों के उपचार के लिए कारगर व्यवस्था की है। इस संक्रमण के प्रसार की स्थिति से निपटने के लिए चिकित्सालयों में 50 हजार से अधिक बेड का इंतजाम कर आरक्षित किया गया है। मई, 2020 के अन्त तक 01 लाख बेड की व्यवस्था की तैयारी भी की गई है। 

    वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के दौरान मुख्यमंत्री  ने भदन्त शान्ति मित्र, भदन्त घनानन्द विवेचन, भन्ते शीलरतन, भन्ते देवानन्दवर्धन, भदन्त धर्मानन्द, भदन्त वर सम्बोधि, भिक्षु के0 मेधांकर, भदन्त पी0 शिवली, आचार्य लोकेश जैन, भन्ते महेन्द्र सिंह,  लालजी प्रसाद निर्मल आदि से संवाद किया।