प्रदेश में अब तक करीब 65 मजदूरों की अलग अलग सड़क दुर्घटनाओं में मौत हो चुकी है जोकि सूबे में कोरोना महामारी से मरने वालों की संख्या से भी अधिक है।
हजारों मील चलने से श्रमिकों के पैरों में छाले पड़ गए हैं, भोजन के भी लाले हैं। मासूम बच्चें धूप और भूख में तड़प रहे हैं।
ट्रकों में लाचार मजदूर ठसाठस भरें है। झांसी में श्रमिक पति-पत्नी के पैदल पहुंचते ही, गर्भवती महिला ने बच्चे को जन्म दिया, जिसकी मृत्यु हो गई, बाद में महिला भी मौत की गोद में सो गई। जिसके सदमें के कारण पति की भी मौत हो गयी। ऐसा ही एक दर्दनाक हादसा उन्नाव में लखनऊ आगरा एक्सप्रेस-वे पर ऑटो से बिहार जा रहे परिवार की टक्कर लोडर से हो गयी, इसमें दम्पत्ति की मौत हो गयी।
ट्रकों में लाचार मजदूर ठसाठस भरें है। झांसी में श्रमिक पति-पत्नी के पैदल पहुंचते ही, गर्भवती महिला ने बच्चे को जन्म दिया, जिसकी मृत्यु हो गई, बाद में महिला भी मौत की गोद में सो गई। जिसके सदमें के कारण पति की भी मौत हो गयी। ऐसा ही एक दर्दनाक हादसा उन्नाव में लखनऊ आगरा एक्सप्रेस-वे पर ऑटो से बिहार जा रहे परिवार की टक्कर लोडर से हो गयी, इसमें दम्पत्ति की मौत हो गयी।
औरैया जनपद में सड़क हादसे में 24 से ज्यादा गरीब प्रवासी मजदूरों की मौत दिल दहला देने वाली घटना है। दो ट्रकों की टक्टर में लाशें बिछ गईं। सड़क खून से लाल हो गई।
सिर्फ चार घंटे के नोटिस पर लॉकडाऊन करने के कारण लाखों श्रमिक व कामगार घर वापस लौटने से वंचित हो गए ।
कोरोना काल में देश वो दिल दहलाने वाला मंजर देख रहा है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी के अपने-अपने घरों में ही रहने के आवाह्न के बाद भी हजारों श्रमिक व कामगार सैकड़ों किलोमीटर पैदल चल घर वापसी के लिए मजबूर हैं ।
सरकार के बहुत प्रयासों के बाद भी प्रवासी मजदूरों को ये विश्वास नहीं हो पा रहा है कि केंद्र व राज्य सरकार उनके साथ है। प्रवासी मजदूरों के पास न राशन , न पैसा , न दवाई , न साधन , पर केवल अपने परिवार के पास वापस, गांव पहुंचने की लगन ।
इस भगदड़ का मुख्य कारण यह भी है कि अब मकान मालिकों का सब्र जवाब दे गया है।
प्रधानमंत्री ने यह भी आवाह्न किया था कि जो लोग किराए के घरों में रहते हैं उनके मकान मालिक मकान व बिजली का किराया न लें। लेकिन लगभग दो महीनों के लॉक डॉउन में मकान मालिकों धेर्य भी जवाब दे चुका है।
लॉक डॉउन के दौरान ही कुछ दिनों पूर्व सोनिया गांधी ने कहा था कि हम विदेशों में फंसे भारतीयों को अपना कर्तव्य समझकर हवाई जहाजों से निशुल्क वापस लेकर आ सकते हैं, तो मजदूरों को रेल की निशुल्क सुविधा क्यों नहीं दी जा सकती ? और कांग्रेस अध्यक्षा ने प्रावसी मजदूरों को अपने राज्य जाने के लिए किराया वहन करने की घोषणा कर दी थी।
और अब कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर 1000 बसें से देश के विभिन्न राज्यों से उत्तर प्रदेश आने वाले गरीब मजदूर प्रवासियों के लिए मांगी और साथ इन बसों का खर्चा कांग्रेस पार्टी वहन करेगी का जो उत्तर प्रदेश की राजनीति में मास्टर स्ट्रोक मारा है उसने (हालांकि की कहना बहुत जल्दी होगा) कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री की कुर्सी के एक कदम पास ला दिया है।